जब भी हम अमीर फिल्मी सितारों के बारे में बात करते हैं तो अक्सर संजय खान शाहरुख खान सैफ अली खान और विवेक ओवरयूज्ड होगा मगर एक ऐसा परिवार भी है जो आपार संपत्ति का मालिक होने के बावजूद पूरी तरह से बॉलीवुड पर केंद्रित रहा है इस परिवार का धन हर वक्त बॉलीवुड की फिल्मों पर लुटाया जाता रहा है यकीन मानिए अगर आपको पता चले कि नाडियाड वाला परिवार के पास कुल मिलाकर 000 करोड़ की संपत्ति है तो आपके होश उड़ जाएंगे और दिलचस्प बात यह है कि यह सारा पैसा उनकी आने वाली फिल्म में लगाया जाने वाला है ।
राज चोपड़ा ने जरूर स्विटजरलैंड जैसी खूबसूरत लोकेशन पर शूटिंग करने की परंपरा शुरू की थी लेकिन पूरी की पूरी फिल्म विदेश में फिल्माने का श्रेय साजिद नाडियाड वाला और फिरोज नाडियाड वाला इन दोनों भाइयों को जाता है तो आइए आज के हिंदी रेडियो चैनल के इस खास एपिसोड में विस्तार से चर्चा करते हैं नाडियाड वाला परिवार की फिल्मी विरासत नाडियाड वाला परिवार तीन पीढ़ियों से फिल्म जगत में राज करता आ रहा है लेकिन हकीकत यह है कि बहुत कम लोग जानते हैं कि इस परिवार को शानो शौकत तक पहुंचाने वाले अब्दुल करीम नाडियाड वाला खुद फिल्मी दुनिया से पूरी तरह अनजान थे।
अब्दुल करीम गुजरात के खेड़ा जिले के नाडियाड इलाके से ताल्लुक रखते थे और जब वे 50 के दशक में मुंबई आकर बसे तो उनके नाम के साथ नाडियाड वाला जुड़ गया बड़ौदा और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में व्यापार करने के बाद उनका मुंबई से नाता चुड़ा वे गुजरात से कच्चा माल लेकर मुंबई में बेच ने लगे और धीरे-धीरे उनका मुनाफा बढ़ता गया उनकी शोहरत इतनी बढ़ गई कि उन्होंने मुंबई के मलाड इलाके में बड़ी मात्रा में जमीन खरीद ली उस समय मलाड में शहरीकरण की शुरुआत हो रही थी और इस मौके का फायदा उठाते हुए उन्होंने वहां एक थिएटर भी खोल लिया जैसे-जैसे उस इलाके में आबादी बढ़ी वह जगह नाडियाड वाला कॉलोनी के नाम से जानी जाने लगी अब आप सोच सकते हैं कि अकेले अब्दुल करीम के पास बड़ौदा खेड़ा और मुंबई जैसे बड़े शहरों में करोड़ों की संपत्ति फैली हुई थी ।
आज के समय में उन प्रॉपर्टीज की कीमत इतनी अधिक है कि उनके परिवार के लिए करोड़ों रुपए कमाना कोई बड़ी बात नहीं है शायद यही वजह है कि अगर आज साजिद नाडियावाला की कोई फिल्म फ्लॉप हो जाती है तो वे तुरंत अगले प्रोजेक्ट पर शिफ्ट हो जाते हैं लेकिन असली सवाल यह है कि नाडियाड वाला परिवार का फिल्मों से जुड़ाव आखिर कैसे हुआ असल में थिएटर खोलने के बाद अब्दुल करीम की मुलाकात बड़े-बड़े फिल्मकार से होने लगी दिलचस्प बात यह थी कि वे ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे लेकिन फिल्मकारों ने उन्हें यकीन दिलाया कि अगर वे उनकी फिल्मों में निवेश करें तो उन्हें कई गुना मुनाफा होगा इस पर विचार करने के बाद अब्दुल करम ने फिल्म प्रोडक्शन में कदम रखा और उनके नाम से पहली फिल्म ताज महल रिलीज हुई किस्मत का खेल देखिए 1963 में रिलीज हुई इस फिल्म ने प्रदीप कुमार और बीना रॉय की जोड़ी को एक बार फिर दर्शकों के सामने ला दिया इससे पहले वे अनारकली 1953 में साथ काम कर चुके थे हालांकि उनके बाद की दो फिल्में घूंघट और दुर्गेश नंदिनी बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी लेकिन ताजमहल की सफलता ने अनारकली की यादों को ताजा कर दिया और वही इसकी कामयाबी का बड़ा कारण बनी इसके बाद नाडियाड वाला परिवार ने यह ठान लिया कि चाहे फिल्म की कहानी कितनी भी कमजोर क्यों ना हो लेकिन हीरो हीरोइन की जोड़ी जरूर चर्चित होनी चाहिए।
यही वजह है कि आज भी जब नाडियाड वाला परिवार कोई फिल्म बनाता है तो उसमें हीरो हीरोइन की जोड़ी को लेकर खूब चर्चाएं होती हैं उनकी फिल्मों में भव्यता और विदेशी लोकेशंस पर इतना पैसा लगाया जाता है कि दर्शक बस चकित रह जाते हैं और कहानी पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता खैर अब फिर लौटते हैं अब्दुल करीम पर ताजमहल फिल्म के लिए उन्होंने जब अपना खजाना खोला तो फाइनेंसर बनने के बजाय प्रोड्यूसर बनने का बड़ा कदम उठाया इसके साथ ही उन्होंने पुष्प पिक्चर्स नामक एक प्रोडक्शन हाउस भी खरीद लिया जो 1953 में रिलीज हुई अनारकली फिल्म के निर्देशक नंदलाल जसवंत लाल की कंपनी थी इसलिए जब अब्दुल करीम ने ताजमहल बनाई तो उन्होंने इसे नंदलाल जसवंत लाल को एक श्रद्धांजलि के रूप में भी समर्पित किया क्योंकि 1961 में उनका आकस्मिक निधन हो गया था खैर ताजमहल फिल्म के बाद अब्दुल करीम नाडियाड वाला के सपने और भी बुलंद होते गए उन्होंने अपने दोनों बेटों को भी फिल्मी दुनिया में पहले से उतारा हुआ था उनके दो बेटे थे अब्दुल गफ्फार और सुलेमान अब्दुल करीम नाडियाड वाला की पत्नी का नाम था फातिमा दोनों बेटों में बड़े थे अब्दुल गफ्फार जिनका जन्म 1931 में हुआ था और छोटे बेटे सुलेमान का जन्म 1936 में हुआ था अगर नाडियाड वाला परिवार के फिल्मी सफर को आकार देने वाले सबसे अहम शख्स की बात करें तो वे थे अब्दुल गफार उन्होंने 1955 से लेकर अब तक 200 से भी अधिक फिल्मों में पैसा लगाया।
लेकिन बतौर प्रोड्यूसर उनका नाम गिनी चुनी फिल्मों में ही दर्ज हुआ जैसे महाभारत 1965 झूठा सच 1984 लहू के दो रंग 1997 हेराफेरी 2000 और वेलकम 2007 असल में फिल्म जगत में पहला कदम अब्दुल गफ्फार ने ही रखा था उसके बाद उनके पिता अब्दुल करीम ने पुष्पा पिक्चर नामक प्रोडक्शन कंपनी खरीदी अब्दुल गफ्फार के फिल्मी सफर की शुरुआत इंस्पेक्टर 1955 अयोध्यापति 1956 हिल स्टेशन 1957 और मेहंदी 1957 जैसी फिल्मों से हुई थी पारिवारिक जानकारी देते हुए उनके व्यक्तिगत जीवन की चर्चा ना करना ही बेहतर होगा लेकिन इतना जरूर बताना चाहूंगी कि उन्होंने अभिनेत्री शीला कश्मीरी से शादी की थी इस शादी से तीन संतानें हुए मुश्ताक फिरोज और बेटी मेहनाज इनमें सबसे चर्चित नाम फिरोज नाडियाड वाला का है जिनका जन्म 30 मार्च 1965 को हुआ था फिरोज वही फिल्मकार हैं जिन्होंने पूरी की पूरी फिल्म दुबई में शूट करने की हिम्मत दिखाई थी।
हालांकि आज वे कॉमेडी फिल्में बनाते हैं लेकिन जब उन्होंने 1983 में फिल्मी सफर शुरू किया था तब उनकी फिल्में गंभीर विषयों पर आधारित होती थी एक दिन बहू का झूठा सच घर हो तो ऐसा कारतूस हंसते खेलते जैसे फिल्में इसी दौर की हैं धीरे-धीरे उन्होंने कॉमेडी की ओर रुख किया और जब हेराफेरी सुपरहिट हुई तो उन्हो उन्होंने अक्षय कुमार को लेकर कई कॉमेडी फिल्में बनाई जिनमें आवारा पागल दीवाना दीवाने हुए पागल फुल एंड फाइनल और वेलकम जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल है फिरोज के भाई बहन भी फिल्म और सामाजिक जगत में सक्रिय हैं उनकी बहन महनाज एक जानी मानी लेखिका है और मानव अधिकार कार्यों में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया है इतना ही नहीं उन्हें डॉक्टर की उपाधि भी मिली हुई है उनके बड़े भाई मुश्ताक के बारे में लोग कम जानते हैं जबकि वे भी एक प्रतिष्ठित हस्ती हैं स्टूडियो वन कंपनी के मालिक मुश्ताक शुरू से ही पोस्ट प्रोडक्शन के काम में दिलचस्पी लेते रहे ।
इसके अलावा उनका ग्राफिक्स एनिमेशन और विज्ञापन क्षेत्र में भी एक बड़ा नाम है अब बात करें अब्दुल गफ्फार और उनके परिवार की तो इस सिलसिले को यहीं खत्म करते हुए एक आखरी महत्त्वपूर्ण बात जरूर बताना चाहूंगी फिरोज नाडियाडवाला की पत्नी शबाना सईद को 2020 में नारकोटिक्स विभाग ने ड्रग्स के मामले में गिरफ्तार किया था दिलचस्प बात यह थी कि दो दिन बाद ही कोर्ट में पेशी के दौरान जज ने उन्हें जमानत दे दी शवाना की वकील ने नारकोटी विभाग की चार्जशीट का हवाला देते हुए साबित कर दिया कि उनके पास से बहुत ही कम मात्रा में ड्रग्स बरामद हुआ था इस घटना से यह भी सामने आया कि शबाना और फिरोज एक साथ नहीं रहते थे आखिर में यह बताना जरूरी है कि फिरोज के पिता और अब्दुल करीम के बेटे अब्दुल गफ्फार का 22 अगस्त 2022 को निधन हो गया था।
अब बात कर चते हैं नाडियाड वाला परिवार के दूसरे बेटे सुलेमान की सुलेमान अब्दुल गफ्फार के छोटे भाई थे और उन्होंने अपने बड़े भाई से बहुत कुछ सीखा था हालांकि इंटरनेट पर उनके नाम से शायद ही कोई फिल्म उपलब्ध हो लेकिन वे भी अपने पिता और भाई की तरह फिल्मों में निवेश करते थे शायद कम ही लोग जानते होंगे कि सुलेमान के बेटे साजिद 80 के दशक में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट रह चुके थे उन्होंने एक बार कहा था कि उनका सपना आईएएस अफसर बनने का था साज पर चर्चा करने से पहले यह बता दें कि सुलेमान की पत्नी का नाम शफाकत था दुर्भाग्य से 2007 में सुलेमान का निधन हो गया और वे अपने बेटे की पूरी सफलता देख नहीं पाए साजिद का जन्म 18 फरवरी 1966 को हुआ था चार्टेड अकाउंटेंसी और वकालत की पढ़ाई करने के बावजूद उन्होंने फिल्म जगत में बतौर स्पॉट बॉय अपने करियर की शुरुआत की उन्होंने अपने चाचा गफ्फार के साथ रहकर फिल्म मेकिंग की बारीकियां सीखी और नई-नई जोड़ियों को लेकर फिल्में बनाने का सिलसिला जारी रखा अब अगर संपत्ति की बात करें तो अब्दुल करीम की जायदाद सुलेमान और गफ्फार के बच्चों के बीच बढ़ चुकी है चूंकि साजिद अपने माता-पिता के इकलौती संतान थे इसलिए उन्हें इसका बड़ा हिस्सा मिला हैरानी की बात नहीं कि अब्दुल करीम की 50 प्र जायदाद पर आज साजिद अकेले ही हक जताते हैं।
मलाड क्षेत्र में उनके पास कई जमीनें हैं जहां उन्होंने कई इमारतें भी बनवाई हैं नाडियाड वाला परिवार में सबसे चर्चित शख्सियत ने के पीछे साजिद की जिंदगी में दिव्या भारती की कहानी बेहद महत्त्वपूर्ण है यह जगजाहिर है कि साजिद ने दिव्या से चोरी छिपे शादी कर ली थी और जब दिव्या की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई तो लोगों ने साजिद को इसका जिम्मेदार ठहराया कई लोगों का मानना था कि नाडियाड वाला परिवार के अंडरवर्ल्ड से संबंध थे और इसी वजह से कुछ लोग यह भी कहते हैं कि दिव्या की मौत किसी साजिश का हिस्सा थी हालांकि इतने साल बीत जाने के बावजूद कहा जाता है कि साजिद आज भी दिव्या भारती को नहीं भूल पाए हैं और हमेशा उनकी तस्वीर अपनी जेब में रखते हैं दिव्या की मौत के बाद साजिद की जिंदगी में तब्बू आई लेकिन किसी कारण वश दोनों की शादी नहीं हो पाई और तब्बू आजीवन अविवाहित रह गई हालांकि साजिद ने पत्रकार वरदा खान से शादी की और आज उनका एक खुशहाल परिवार है उनके दो बेटे हैं सुभान और सुफियान वर्तमान में साजिद अपने परिवार के साथ मुंबई के अंधेरी वरसोवा इलाके में रहते हैं उनके पास करीब 12000 करोड़ की संपत्ति है।
वीडियो के अंत में हम यह कहना चाहेंगे कि नाडियाड वाला परिवार कभी भी सामाजिक या गंभीर विषयों पर आधारित फिल्में बनाने में रुचि नहीं रखता अगर फिरोज नाडियाडवाला की कुछ फिल्मों को छोड़ दें तो साजिद की अधिकतर फिल्में ऐसी होती हैं जिनमें ठोस कहानी का अभाव होता है दुर्भाग्य से फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा इको सिस्टम बन चुका है कि यदि किसी बड़े कलाकार ने नामी सितारों के साथ फिल्म बनाई और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित किया तो वह फिल्म भले ही फ्लॉप हो लेकिन फिर भी सैकड़ों करोड़ रुपए कमा ही लेती है साजिद नाडियाडवाला की फिल्में इसी रणनीति पर आधारित होती है।