आपको बता दें कई ऐसी फिल्में हैं बड़ी फिल्में हैं जिनमें मनोज कुमार ने अहम भूमिका निभाई बहुत सारी फिल्मों का प्रोडक्शन भी किया एक कलाकार के तौर पर अभिनेता के तौर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई और उनकी फिल्मों का जब जिक्र आता है तो उनकी फिल्मों में पूर्व पश्चिम एक महत्वपूर्ण फिल्म है इसके अलावा रोटी कपड़ा और मकान जिसमें उन्होंने शानदार भूमिका निभाई थी और क्रांति नाम की एक फिल्म है जिसमें वह एक अलग ही अंदाज में नजर आए थे।
आपको बताएं कि मनोज कुमार ने जो उनकी पूरी फिल्म मेकिंग रही है या फिर उनका जो कैरेक्टर रहा है एक फिल्म आई थी उपकार वहां पर भी जो उनका कररेक्टर था वो हमेशा उनकी फिल्म में एक खास एंगल देखने को मिलता था वो एंगल था देश से जुड़ा हुआ देश की जो समसामयिक समस्या हैं उनका नरेटिव उनकी फिल्मों में देखने को मिलता था और उनकी इर्द-गिर्द देशभक्ति के इर्द-गिर्द उनकी जो फिल्में हमेशा रही हैं और इसीलिए उनको भारत कुमार के नाम से भी लोग पुकारते थे हम सीधे रुख करेंगे हमारे सहयोगी प्रशांत हमारे साथ जुड़ गए हैं।
तमाम डिटेल्स देने के लिए प्रशांत सबसे पहले तो यह बताएं क्या तबीयत खराब चल रही थी मनोज कुमार जी की जी उनको 25 फरवरी के आसपास जो है अस्पताल में भर्ती कराया गया था कोकिला मेन हॉस्पिटल में और तब से वो वहीं थे उसके बाद उनको जो है ये जो है निधन में लिखा हुआ है वो उनको हुआ और उसके बाद उनकी डेथ हुई सुबह 4:03 पे आज तो ये एक काफी लंबे समय से वो दिखते तो नहीं थे घर में ही रहते थे ज्यादातर पर इंटरव्यूज भी जब करते थे तो वो अक्सर बैठते आधा लेट कर ही करते थे तो काफी अराउंड 87 के आसपास ऐज भी उनकी हो गई थी तो यह वजह से उनकी जो है निधन हुई जी अह प्रशांत उनका निधन हो गया है क्या परिवार के किसी सदस्य से बातचीत हो पाई है क्या कुछ जानकारी वहां से मिल रही है नहीं हो पाई है।
अभी हम बातचीत करने के लिए कोशिश कर रहे हैं उनकी क्योंकि अभी जो उनका पार्थिव शरीर था वो अस्पताल में था और अभी जो खबर आई है उसके हिसाब से जो उनका पार्थिव शरीर है उसको घर घर भेजा गया है और मनोज कुमार को आप जानते हैं कि मनोज कुमार हिंदी सिनेमा के लिए क्या है उनका जो इतिहास है वो क्या है उनकी फिल्मों का इतिहास जो है वो क्या है क्योंकि मनोज कुमार एक अकेले ऐसे एक्टर थे जिन्होंने और डायरेक्टर प्रोड्यूसर लिरिक्स राइटर खाली एक्टर ही नहीं क्योंकि उन्होंने जो फिल्में थी उनको अलग ही एक लीग उन्होंने पकड़ी और वो थी पेट्रियोटेकन देशभक्ति की फिल्मों की तो जो मनोज कुमार हैं जिस तरह की फिल्में उन्होंने की है और जिस वक्त तक वो करते रहे उस तरह का कोई भी जो हिंदी एक्टर्स हैं उन्होंने की लेकिन सिर्फ देशभक्ति का जो राह थी वो नहीं पकड़ी तो इस तरह से मैं बोलूं तो उनका एक अलग मुकाम है हिंदी सिनेमा में और बहुत सारी फिल्में मतलब हालांकि उन्होंने शुरुआत जो थी फिल्मों में वो नॉर्मल जो फिल्में थी फिल्म का नाम था 1957 में वहां से उनकी शुरुआत की और 60 में आके 65 के आसपास जब इंडिया पाकिस्तान का हुआ था तब पहली फिल्म की उपकार जो थी जो देशभक्ति की फिल्म थी।
वो उन्होंने डायरेक्ट की और वो भी जय जवान जय किसान का जो नारा था लाल बहादुर शास्त्री जो प्राइम प्राइम मिनिस्टर थे उन्होंने उस वक्त उनको कहा था जय जवान जय किसान का नारा दिया उस पे फिल्म बनाने के लिए तब ये फिल्म जो है बनाई गई थी उपकार और खुद डायरेक्ट की थी मनोज कुमार ने गाने आपको याद है कितने बड़े हिट गाने थे इस फिल्म के चाहे वो मेरे देश की धरती जो आज तक जितने भी कोई भी इंडिपेंडेंस डे हो या संत दिवस ये गाने बजते हैं और बाकी भी चाहे पूरब पश्चिम हो उस तरह के जो थीम्स थे उनकी फिल्मों में वेस्ट और ईस्ट की बात करें जब वेस्टर्न कल्चर ज्यादा हावी हो रहा था हिंदुस्तान पे तो उन्होंने उस तरह की फिल्म बनाई क्रांति की आप बात करें शहीद जो बहुत सबसे हिट फिल्म से ही एक्चुअली जो उनकी शुरुआत पेट्रियोटिज्म में या देशभक्ति फिल्मों में कदम रखने की हुई थी।
भगत सिंह के ऊपर वो फिल्म थी और तब से लेके फिर उन्होंने जो फिल्म थी चाहे बेईमान हो सन्यासी हो 10 नंबरी हो फिर जो समाज से जुड़ी हुई फिल्में थी जो समाज का आईना दिखाती थी चाहे शोर बहुत कमाल की फिल्म थी शोर जिसके लिए उनको अवार्ड्स भी मिले वो फिल्म हो उनकी फिल्मों के गाने हो तो इस तरह की फिल्में उन्होंने हमेशा की और एक अलग मुकाम जो है बनाया जाता था पालके अवार्ड भी मिला उनको नेशनल अवार्ड उन्होंने जीता तो मनोज कुमार का जो योगदान है हिंदी में अलग ही।