‘सलाम बॉम्बे’ के बाल कलाकार शफीक सैयद अपने परिवार का पेट पालने के लिए बेंगलुरु में ऑटो रिक्शा चला रहे हैं..

ऐसा सिर्फ बॉलीवुड में ही हो सकता है सोचिए बेस्ट चाइल्ड एक्टर का अवार्ड जीतने वाला एक्टर आज गलियों में ऑटो चला रहा है और वह भी उस फिल्म का एक्टर जो बॉलीवुड की क्लासिक कल्ट फिल्म मानी जाती है और आपने भी जरूर इस फिल्म का नाम सुना होगा फिल्म इंडस्ट्री इतनी क्रूर कैसे हो सकती है यह सवाल आप खुद से पूछेंगे साल 1988 में रिलीज हुई फिल्म सलाम बॉम्बे आपने भले ना देखी हो.

लेकिन इस फिल्म का नाम आपने जरूर सुना होगा यह फिल्म उस वक्त मुंबई की हकीकत को बयां करती थी जब मुंबई में अंडरवर्ल्ड और क्राइम चरम पर था लड़कियां बेची जा रही थी सड़कों पर जगह-जगह लोग नशा कर रहे थे इस फिल्म में इरफान खान और नाना पाटेकर जैसे एक्टर थे लेकिन इस फिल्म की जान था वह बच्चा जिसने फिल्म में लीड रोल निभाया था सलाम बॉम्बे में जब शफीक सैयद ने काम किया तब वह 12 साल के थे उन्होंने फिल्म में चैप का किरदार निभाया था शफीक ने ऐसा काम किया था कि सिनेमा हॉल में लोग सीट पर खड़े होकर उनके लिए तालियां बजाया करते थे.

शफीक को इस फिल्म के लिए 36 वां राष्ट्रीय फिल्म फेयल अवार्ड बेस्ट चाइल्ड एक्टर की कैटेगरी में दिया गया सलाम बॉम्बे को भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए भी नॉमिनेट किया गया था वहां भी शफीक के काम की बहुत तारीफ हुई फिल्म में शफीक इरफान और नाना पाटेकर पर भी भारी पड़ गए थे इसके बाद उन्होंने साल 1994 में आई फिल्म पतंग में भी काम किया लेकिन यह फिल्म करके उन्हें फिल्म इंडस्ट्री से कोई मान सम्मान नहीं मिला मजबूर होकर वह बेंगलोर अपने घर लौट गए शफीक बेंगलोर की झुग्गियों में पले बड़े वह अपने दोस्तों के साथ भागकर मुंबई आ गए थे.

कुछ सालों तक शफीक चर्च गेट रेलवे स्टेशन के पास एक फुटपाथ पर रहने लगे थे फिर उन पर मीरा नायर की नजर पड़ी साल 2009 में जब फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर ब्लॉकबस्टर हुई तब लोगों को सलाम बॉम्बे के चैप की याद आई तो पता चला कि वह बेंगलोर में ऑटो रिक्शा चला रहे हैं शफीक आज भी रिक्शा ही चला रहे हैं बीच-बीच में वह टीवी शोज के प्रोडक्शन यूनिट में काम करते हैं टेलीग्राफ को दिए एक पुराने इंटरव्यू में शफीक ने कहा था मुझे फैमिली संभालने थी.

1987 में मेरे पास ऐसी जिम्मेदारी नहीं थी शफीक ने बताया था कि मीरा नायर ने उन्हें एक दिन का ₹ देने और वर्कशॉप करने पर भरपेट खाना खिलाने का वादा किया था शफीक शादीशुदा हैं और अपनी पत्नी मां और तीन बेटों और बेटी के साथ बेंगलोर से 30 किमी दूर एक टाउन में रहते हैं शफीक अब भी सक्सेस की तलाश में है वह भारतीय सिनेमा के सच में स्लम डॉग बनकर रह गए हैं.

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