देश के प्रमुख व्यवसाई रतन टाटा का मुंबई के ब्रिज कैंडी हॉस्पिटल में निधन हो गया वह अपने चेकअप के लिए हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे इससे पहले टाटा ने एक बयान जारी कर कहा था कि उनकी सेहत ठीक है और किसी तरह की चिंता की कोई बात नहीं है बता दें कि रतन टाटा किसी परिचय के मोहताज नहीं है उद्योगपति उद्यमी और टाटा संस के मानद चेयरमैन अपने अच्छे कामों के लिए जाने जाते हैं आज हम आपको रतन टाटा के बारे में कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे रतन टाटा का जीवन जितना सफल और प्रेरक रहा उतना ही उनका निजी जीवन रहस्यमय रहा वे विनम्र और संवेदनशील व्यक्ति थे उन्होंने अपने निजी जीवन को कभी सार्वजनिक नहीं किया.
हालांकि उनके जीवन की एक अनकही और दिलचस्प प्रेम कहानी भी है जिसके बारे में लोगों को कम ही पता है तो चलिए आज जानते हैं रतन टाटा की प्रेम कहानी के बारे में जो कभी परवान नहीं चढ़ पाई वो शादी तो करना चाहते थे लेकिन भारत चीन के बीच 1962 में छड़ी जंग के कारण यह मुमकिन ना हो [संगीत] सका वह साल था 1948 जब रतन टाटा सिर्फ 10 साल के थे उनके माता-पिता अलग हो गए थे और इसलिए उनका पालन पोषण उनकी दादी नवाज बाई टाटा ने किया था बता दें कि रतन टाटा अविवाहित रहे उन्होंने एक बार स्वीकार किया था कि जब वे लॉस एंजल्स में काम कर रहे थे तब एक समय ऐसा आया जब उन्हें प्यार हो गया था लेकिन 1962 के भारत चीन युद्ध के कारण लड़की के माता-पिता उसे भारत भेजने के खिलाफ थे.
जिसके बाद उन्होंने कभी शादी नहीं की रतन टाटा इसके बाद कारोबारी दुनिया में रम गए और फिर निजी जिंदगी के बारे में सोचने का मौका ही नहीं मिला दरअसल रतन टाटा ने इसका जिक्र खुद एक इंटरव्यू में किया था उन्होंने कहा था कि जब वे 1960 में अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे तब उनकी मुलाकात एक लड़की से हुई थी जिससे वह प्रेम करने लगे थे उन का प्रेम काफी गहरा था वे दोनों एक दूसरे से शादी करने के लिए भी तैयार थे रतन टाटा उस समय अमेरिका में ही रहना चाहते थे और अपनी जिंदगी वहां बसाने की सोच रहे थे.
लेकिन इस प्रेम कहानी का अंत दिल छू लेने वाला है जब रतन टाटा की दादी की तबीयत बिगड़ गई तब वे वापस भारत लौट आए उन्होंने सोचा था कि उनकी प्रेमिका जल्द भारत आ जाएगी और वे यहां शादी कर लेंगे लेकिन तभी भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध छिड़ गया और उनकी प्रेमिका के परिवार ने भारत आने से मना कर दिया और इस तरह से रतन टाटा की शादी नहीं हो पाई इसके बाद रतन टाटा ने अविवाहित रहने का फैसला किया और अपना जीवन बिजनेस और समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया रतन टाटा ने अपने जीवन में कई ऊंचे मुकाम हासिल किए रतन टाटा के अच्छे कामों की वजह से पूरी दुनिया में उनकी तारीफ होती है अब जब वे हमारे बीच नहीं है.
तो लोग उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं पूरे देश का नुकसान है पूरे देश ने एक रतन खोया है आपको लगता है कि क्या ये व्यक्तिगत नुकसान जो आपका है कभी भी फुलफिल हो पाएगा इसका कोई रिप्लेस मैं मैंने किसी को अभी बोला कि मैंने जब अपने पहले पिताजी और फिर उसके बाद माताजी को खोया है आज मैंने तीसरा पेरेंट खोया है और यह सिर्फ कहने की बातें नहीं है क्योंकि देखिए मैं उनको 1990 से जानता हूं 34 साल और मेरी उम्र 61 है तो आधी जिंदगी मैं उनको जानता था और जितना स्नेह उन्होंने मुझे दिया जितना प्यार जितनी जितने विनम्रता से वह पेश आए.
मैं कौन हूं कुछ भी नहीं उनके पास पूरी दुनिया थी पर पर उन्हे उन्हें यह लगता था कि भा हां कि मैं अगर सुहेल के साथ बैठूंगा तो हंसी मजाक होगा और एक एक बात है मिस्टर टाटा में एक खासियत ये थी कि वो सच के पहरेदार थे अगर आप उनको सच एडवाइस देते उनको वही पसंद था वो उनमें से नहीं थे कि भई आप उनकी हां में हां मिलाओ तो वो जो उनकी खासियत थी वो बहुत यूनिक थी एक चीज है कि वो एक सफल बिजनेसमैन थे ये सभी लोग जानते हैं उनकी फिलासफी के बारे में भी बहुत से मशहूर है लेकिन एक ह्यूमन बीइंग के तौर पे कैसे थे.
वो एक पर्सनल टच जो उनका लोगों के प्रति होता था अपना स्टाफ अपने दोस्त या अपने जानने वालो के प्रति आप आप मैं आपको एक बात बोलूं अगर वो कहीं बाहर जाते तो यह नहीं कोई स्टाफ अलग टेबल पर खा रहा है और कोई और अलग टेबल पर खा रहे हैं सब एक साथ खाते थे सब एक साथ रहते थे सब एक साथ प्यार से रहते थे और सबकी देखभाल जो उने देखिए मैं आपको एक बात बोलू अगर इंसान एनिमल्स अपने कुत्तों की हिफाजत कर सकता है प्यार से और मैं आपको बोलू जब बमबे हाउस रिनोवेट हुआ और चंद्रशेखर जी चेयरमैन थे और अभी भी हैं जब बमबे हाउस रिनोवेट हुआ रतन टाटा ने इंसिस्ट किया कि एक एरिया सिर्फ कुत्तों के लिए होगा ताज में भी आप जाइए आज ताज बमबे में जाइए अगर कोई इंडी या रेस्क्यू डॉग है उसको अंदर जाने की पूरी परमिशन है यह यह इंसानियत है.
इंसानियत यह नहीं कि आप सिर्फ अपने लोगों में अच्छे रहे पर इंसानियत यह होती है कि जब तपते का सबसे जो वीक आदमी है उसके साथ आपका जो व्यवहार है व इंसानियत है अनमोल रत्न कहते हैं व रहा नहीं य भारत का कोहिनूर हरपल भारत का कोहिनूर रहा नहीं हमसे बिछड़ गया है ऐसा मैं कहूंगा और रतन टाटा जी हमारे में नहीं रहे यह बहुत ही वेदना दई दुखद घटना है हमारे लिए पूरे देश के लिए रतन टाटा के मृत्यु के बा वार्ता सुनने के बाद मुझे बहुत दुख हुआ घर में एक बड़ी हस्ती होते हैं उनके मार्गदर्शन में हम चलते हैं व ध्रुव नक्षत्र जैसे होते हैं ऐसे मुझे लगता था उनके मैं कभी-कभी उनके बारे में सोचती हूं मैं उनकी कंप में काम किया मेरा करियर उधर ही शुरू हुआ मैं उनको 94 में लगता है मैं एक बार मिली पहली बार वो जाके उनके ऑफिस में मिली थी और मुझे वो सुधा ऐसे संबोधित करते थे.
क्योंकि मैं सुधा कुलकर्णी ऐसे जॉइन हुआ और सुधा मूर्ति के नाम से बाहर आ गई मुझे कभी भी सुधा बोलते थे वो मुझे बताया कि आपको क्या चाहिए कल टाटा कंपनी से हमने बताया वो पूछा हमें आपको क्या चाहिए हमने बताया मुझे जमशेद जी और जीआरडी का तस्वीर चाहिए वह तुरंत हमारे ऑफिस को भेज दिया है अभी भी मेरे ऑफिस में वह दोनों तस्वीरें हैं और मैं हुबली एक छोटा शहर है उधर से मैं आई थी हमारे कॉलेज में मैं एक कॉलेज में पढ़ती थी बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग हमारे कॉलेज में सब लोग बोलते थे आपको टाटा टाटा को आप मिले हम कभी मिलेंगे मैं बोलती थी मैं कोशिश करूंगी उनके पास जाकर मैं एक बत बोध लिया स सर हमारे गांव में आपका दर्शन के लिए बहुत लोग इंतजार कर रहे हैं हमारा गांव तो मुंबई नहीं है और ये तो आप बहुत बिजी हस्ती है आपको टाइम नहीं मिलेगा.
लेकिन लोग को आपका दर्शन के बहुत इंतजार है तुरंत व एग्री हुए और हुबली आ गए हमारे कॉलेज में एक दिन सब छात्रों से बातचीत किया मुझे आश्चर्य लगता है इतने बिजी आदमी एक आम आदमी लाइक मी देर एंप्लॉई हमने कोशिश किया और वो आ गए उनका दिल बहुत बड़ा था उनका रूप सुंदर था उनका दिल भी उतना ही बहुत सुंदर था व ट्रू टाटा थे कंपैशन में लोगों को लोगों के बारे में मदद करने के लिए लोगों के बारे में सोचने के लिए और बहुत क्लीन उनके माइंड ऐसे लोग मिलना बहुत मुश्किल है मेरे इतना सालों के प्र प्रयाण में मैं उनको एक ही ऐसे व्यक्ति को देखा है.
उनका बुद्धि और जीव और हृदय ल न एक ही था क्या सोचते हैं क्या बोलते हैं क्या हृदय में है व सब हाथ में है एक वर्ड है और बमबे हास में लिखा है गुड थिंकिंग गुड टंग गुड हार्ट एंड गुड हैंड्स उसके बारे में और चार एक ही लाइन में थे क्या सोचते थे व करते थे क्या बोलते थे वह करते थे क्या हृदय में था वही करते थे वह चारों अलग नहीं था ऐसे लोग आजकल मिलना बहुत मुश्किल है उनके निधन से बहुत अपार नष्ट हमारा देश को इंडस्ट्री को मेरे लिए भी हुआ है मैं भगवान से यही प्रार्थना करती हूं उनके आत्मा को शांति दे.