सपनों की नगरी मुंबई में कई चेहरे आए चमके और फिर कहीं कुम हो गए लेकिन कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो समय के साथ और भी रोचक हो जाती हैं आज हम बात करेंगे एक ऐसी शख्सियत की जिसने सिनेमा के चका चौद भरे पर्दे से लेकर ज्योतिष के रहस्यमय आकाश तक का सफर तय किया उनका नाम है कोमिला विर्क शायद य नाम आपके लिए नया हो लेकिन 80 के दशक में यह नाम फिल्मी गलियारों में गूंजा करता था कोमिला विर्क का जन्म 15 अगस्त 1953 को पंजाब के जालंधर में हुआ बचपन से ही उनके दिल में एक सपना पल रहा था चमकती दुनिया में अपनी पहचान बनाने का.
दिल्ली के मॉडर्न स्कूल में पढ़ाई के दौरान वह हमेशा अव्वल रहती थी इकोनॉमिक्स में डिग्री लेने के बाद भी उनका रुझान ग्लैमर की ओर था स्कूल कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने मॉडलिंग शुरू कर दी कई विज्ञापनों में उनका चेहरा नजर आने लगा और फिर एक दिन किस्मत ने उन्हें मुंबई बुला लिया वहां पहुंचते ही कोमला ने मिस बॉम्बे का ताज अपने नाम किया यह वह दौर था जब उनके सपनों ने सचमुच उड़ान भरी मुंबई में कदम रखते ही कोमिला को मौका मिला देवानंद की फिल्म इश्क इश्क इश्क में यह फिल्म उनके करियर की पहली सीढ़ी बनी लेकिन उस वक्त का बॉलीवुड बदल रहा था सुनहरा दौर पीछे छूट चुका था और नई प्रतिभाओं को भीड़ में जगह बनाना आसान नहीं था कोमिला ने हार नहीं मानी उन्होंने खुद को बोल्ड और बिंदास किरदारों में ढाला उनकी खूबसूरती और बेबाक अंदाज ने उन्हें गर्ल की पहचान दी.
फिल्म अधूरा आदमी 1982 में वह अमजद खान के साथ नजर आई इस फिल्म की शूटिंग के दौरान अमजद खान के साथ उनका झगड़ा हुआ और कोमिला ने अचानक फिल्म छोड़ दी अफवाह उड़ी कि दोनों के बीच कुछ गहरे मतभेद थे लेकिन सच कभी सामने नहीं आया कोमिला ने सिर्फ हिंदी सिनेमा तक खुद को सीमित नहीं रखा पंजाबी फिल्मों में भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी दारा सिंह की सवा लाख से एक लड़ाऊ और वीरेंद्र की गिता जैसी फिल्मों में उनके किरदार यादगार रहे कन्नड़ और तेलुगु सिनेमा में भी उन्होंने हाथ आजमाया लेकिन जैसे-जैसे 80 का दशक खत्म हुआ वैंप किरदारों की मांग कम होने लगी.
कोमिला का करियर धीरे-धीरे ठंडा पड़ने लगा 90 के दशक में वह अचानक फिल्मी दुनिया से गायब हो गई किसी को कुछ पता ही नहीं चला कि वह कहां चली गई फिर एक दिन खबर आई कि कोमिला ने शादी कर ली उनके पति एक ब्रिटिश नागरिक थे जिनके साथ वह लंदन चली गई मुंबई की भाग दौर और फिल्मों की चका चौद को पीछे छोड़कर कोमिला ने नई जिंदगी शुरू की उनके पति ने उनके करियर को नई दिशा दी लंदन में कोमिला ने एक हस्त शिल्प की दुकान खोली जहां वह अनोख चीजें बेचती थी इसी बीच उनकी दिलचस्पी ज्योतिषी में जागी उन्होंने वैदिक ज्योतिषी का गहन अध्ययन शुरू किया और 1995 तक इस क्षेत्र में महारत हासिल कर ली एक दिन उन्हें ब्रिटेन में भारतीय ज्योतिष पर व्याख्यान देने का मौका मिला वहां लोगों का रुझान देखकर कोमिला को अपनी नई राह मिल गई उन्होंने ज्योतिष पर किताबें लिखना शुरू किया.
धीरे-धीरे अभिनेत्री कोमिला वर्क अब तिशा चार्य कोमिला सतन के नाम से जानी जाने लगी सत्यन उनके पति का सरनेम था आज कोमिला एक मशहूर ज्योतिषी हैं फिल्म दुनिया उनके लिए अब एक पुरानी याद बन चुकी है एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा अगर मैंने पढ़ाई पर ध्यान दिया होता तो शायद जिंदगी कुछ और होती लेकिन जो हुआ वह भी कम खूबसूरत नहीं तो दोस्तों यह थी कोमिला विरकी की कहानी एक ऐसी महिला की जिसने सिनेमा के पर्दे से लेकर सितारों की दुनिया तक अपनी अलग पहचान बनाई नीता मेहता की तरह वह भी अभिनय से आध्यात्म की ओर बढ़ी लेकिन उनका अंदाज उनका सफर बिल्कुल अनूठा रहा.