अमिताभ बच्चन के करीबी दोस्तने उन्हे दिया बड़ा धोखा, जया बच्चन भड़की अमिताभ पर…

बच्चन अगर एक्टिंग में ना होते तो शायद वह पॉलिटिशियन होते राजनेता होते राजनेता होने की शुरुआत तो उन्होंने तभी कर दी थी जब उनके जिग्री यार राजीव गांधी के साथ उन्होंने काम करना शुरू किया था सभी जानते हैं कि अमिताभ बच्चन का कांग्रेस पार्टी से कितना पुराना नाता है राजीव गांधी की शादी हुई तब भी उनके साथ अमिताभ बच्चन मौजूद थे इंदिरा गांधी के कदम से कदम मिला करके चलते थे ना केवल अमिताभ बच्चन पूरा बच्चन परिवार कांग्रेस पार्टी से काफी ज्यादा जुड़ाव में था देखा तो यह जा रहा था कि लगता है मानो जैसे कभी कांग्रेस पार्टी के साथ इनका रिश्ता टूटेगा ही नहीं सोनिया गांधी के साथ भी कई सारी तस्वीरें सामने आई राजनीति में किस तरीके से पूरी तरीके से कांग्रेस के साथ चलते हुए पूरा बच्चन परिवार नजर आया था।

यह सभी ने देखा लेकिन क्या हुआ धीरे-धीरे दोस्ती टूटी और उसके बाद राजनीति का यह सफर अमिताभ बच्चन का वहीं थमसा गया देखा जाए तो जया बच्चन को यह तमाम बातें पता थी जया बच्चन उस वक्त भी कांग्रेस के साथ थी लेकिन जया बच्चन का क्योंकि कांग्रेस के साथ नाता टूटा तो वह समाजवादी पार्टी उन्होंने जवाइन कर ली और हाल में ही जब ऐश्वर्या राय बच्चन को लेकर के राहुल गांधी ने अपनी टिप्पणी दी थी तब किसी ने कुछ भी नहीं बोला और सबने स्मृति रानी तक ने यह कह दिया कि बताओ अमिताभ बच्चन उस दौर में जहां उनके राहुल गांधी के पिता के साथ उनकी जिगरी यारी थी।

उनकी दोस्ती थी उनके बार बारे में आखिर राहुल गांधी ऐसा कह कैसे सकते हैं अमिताभ बच्चन हर मुश्किल घड़ी में कांग्रेस पार्टी के साथ थे लेकिन ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी के साथ और खासकर गांधी परिवार के साथ उनका नाता टूट गया दरअसल गांधी परिवार के साथ उनका नाता टूटने की सबसे बड़ा बड़ी जो वजह थी वो थी करियर राजीव गांधी का राजीव गांधी जिस उस वक्त में चल रहे थे जिस दौर में वो चल रहे थे वह राजनेता बनने की पूरी कोशिश कर रहे थे और इंदिरा गांधी यह तमाम चीजें देख रही थी उनका मानना यह था कि अगर अमिताभ बच्चन इस तरीके से उनके साथ रहेंगे अमिताभ बच्चन चुनाव में आएंगे तो शायद राजीव गांधी को व पद हासिल नहीं हो पाएगा और इस वजह से किस तरीके से यह पूरी जो राजनीतिक बागडोर है।

वह अमिताभ बच्चन से छीनी गई और फिर उसके बाद धीरे-धीरे ये जो रिश्ता है वो पूरी तरीके से खत्म हो गया इसकी आज कहानी आपको बताने वाले हैं कि कैसे एक करियर एक राजनीतिक सफर जो अमिताभ बच्चन का बनने वाला था वो उनकी जिगरी दोस्त की वजह से टूटता हुआ नजर आ गया और यह कहा भी जाता रहा कि राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन को धोखा दिया है आखिर यह कैसे देखिए रिपोर्ट अमिताभ बच्चन के राजनीति को छोड़ने से लेकर के कई सारी कहानियां मौजूद हैं कहा जाता है कि अमिताभ बच्चन पर एक ऐसा केस शामिल हो गया था उनके ऊपर एक ऐसा इल्जाम लग गया था जिसकी वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा तो वहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन की दोस्ती के किस्से कई और पुराने हैं एक कहानी यह दावा करती है कि इंदिरा गांधी नहीं चाहती थी कि अमिताभ बच्चन राजनीति में आगे बढ़े ताकि राजीव गांधी को एक अच्छा मौका ना मिल पाए दरअसल क्योंकि अमिताभ बच्चन बड़े स्टार थे।

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ऐसे में वह चुनाव जल्द जीत जा रहे थे और एक एक्टर के अलावा एक राजनेता के तौर पर उनकी सक्रियता बढ़ती जा रही थी वह लोगों के प्रति अपनी जो जवाबदारी थी वह भी पूरी अच्छी तरीके से तय कर रहे थे ऐसे में साल 1968 में जनवरी के ठंड के महीने में धुंद भरी सुबह में अमिताभ सोनिया गांधी को दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर रिसीव करने पहुंचे थे सोनिया उनके दोस्त राजीव गांधी की पत्नी बनने वाली थी सोनिया अमिताभ बच्चन और उनके भाई अज दब के साथ आई वह उनको अपनी भाई मानती थी उनका रिश्ता भी लंबा चला प्र गांधी भी अमिताभ को मामा कहकर पुकारती थी देश में इमरजेंसी के वक्त अमिताभ अक्सर संजय गांधी के साथ दिखाई देते थे इस वक्त में उन्होंने भी मीडिया का विरोध किया उनको भी मीडिया का विरोध सहना पड़ा संजय गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी की एंट्री हुई अमिताभ बच्चन ने साल 1982 में दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एशियन गैंप में ओपनिंग सेरेमनी में अपनी आवाज का जादू बिखेरा था राजीव गांधी पहली पंक्ति में बैठकर अमिताभ को सुनते रहे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से सांसद बने अमिताभ ने बोफोर्स घोटाले में नाम आने पर राजनीति छोड़ दी थी।

उनके ऊपर कई सारे आरोप लगने शुरू हो गए थे अमिताभ बच्चन ने अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी और उसमें वह जीत गए हालांकि उन्होंने राजनीति का सफर अपना खत्म कर दिया लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी को यह चेतावनी दी थी कि वह अमिताभ बच्चन को राजनीति में ना लाए दरअसल हुआ कुछ यूं कि 1987 में पहले गांधी परिवार बच्चन परिवार के बीच कई मुद्दों पर विवाद सामने आते रहे 1980 की बात है जब इंदिरा गांधी ने तेजी बच्चन से नजदीकी के बावजूद एक्ट्रेस नरगिश को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया इंदिरा गांधी के छोटे बेटे की पत्नी मेनका गांधी द्वारा निकाले गए एक मैगजीन सूरिया में छपे एक कॉलम के मुताबिक इंदिरा गांधी के इस कदम से तेजी बच्चन नाराज हो गई थी हालांकि इंदिरा ने अपने फैसले को पूरी तरीके से सही ठहराया था साथ ही एक रिपोर्ट की माने तो अ इससे काफी ज्यादा चर्चाएं भी उठने लगी थी एमएल फोतेदार के द्वारा साल 2015 में लिखे गए एक स्मरण के अनुसार ऐसा लगता है।

कि इंदिरा और तेजी के बीच में रिश्ता लंबे समय से तनाव ग्रस्त हो गया है और इंदिरा ने राजीव गांधी को चेतावनी दे दी कि अमिताभ को राजनीति में ना उतारे यह चेतावनी इंदिरा ने अपने निधन से कुछ दिन पहले ही दी थी और साथ ही इस कॉलम में यह भी लिखा कि उस वक्त राजीव गांधी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव थे इंदिरा गांधी ने उस समय संसद के सदस्य अरुण नेहरू और उनके साथ राजीव गांधी को बुलाया था साथ ही पोते दार के मुताबिक मीटिंग के दौरान संसदीय चुनाव पर चर्चा करते हुए इंदिरा ने राजीव गांधी को भविष्य में दो चीजें ना करने की सलाह दी थी पहला तो यह कि तेजी बच्चन के बेटे अमिताभ बच्चन को राजनीति में ना लाए साथ ही यह भी कहा था कि ग्वालियर के पूर्व महाराजा माधव राय सिंधिया के साथ रखे रिपोर्ट की माने तो 1984 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन को टिकट दे दिया था तब फोतेदार समझ गए थे।

कि आखिर इंदिरा जी ने ऐसा करने से मना क्यों किया था लेकिन राजीव नहीं माने फोतेदार ने बताया कि मुझे य जानकारी मिल रही थी कि मंत्रालय में अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति में अमिताभ हस्तक्षेप कर रहे हैं कई सारे वरिष्ठ नेताओं ने भी इसकी शिकायत की है इलाहाबाद शिक्षा विधियों बुद्धिजीवियों न्यायाधीशों और वकीलों की जगह है लेकिन अमिताभ ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में उन व्यक्तियों को चार्ज दिया जो इन तमाम पदों पर गंभीरता से विचार नहीं करते उन्होंने दावा किया कि उन्होंने इस बारे में राजीव गांधी को बताया तक नहीं अमिताभ सिर्फ उत्तर प्रदेश की सरकार में ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश राजस्थान और महाराष्ट्र की सरकार में भी हस्तक्षेप कर रहे थे राजीव गांधी ने राजनीतिक सचिव रहे दार ने अमिताभ बच्चन के इस्तीफे के दिन को याद करते हुए कहा कि अमिताभ प्रधानमंत्री को देखने आए उनके बीच बात हुई उस समय दिन के करीब 245 बजे तब मैं लंच पर जाने वाला था उस समय प्रधानमंत्री ने मुझे बुलाया अमिताभ हमेशा की तरह कुर्ते पजामे में दिखाई दिए।

हम अंदर गए पीएम कुर्सी पर बैठे उनके दाहिने और अमिताभ और बाई और मैं बैठा इसके बाद राजीव जी ने अमिताभ बच्चन से कहा कि फौत दार आपका इस्तीफा चाहते हैं यह मेरे और अमिताभ दोनों के लिए हैरान कर देने वाला बात था तब अमिताभ ने कहा कि यदि फौत दार जी मेरा इस्तीफा चाहते हैं तो मैं इसके लिए तैयार हूं पेपर दीजिए मुझे क्या लिखना है इसके बाद उन्होंने पेपर पर अपना इस्तीफा लिखा और अध्यक्ष के पास भेजा और इसे स्वीकार कर लिया गया कहा जाता है कि बाद में राजीव गांधी ने इस पर विचार करते हुए अमिताभ से उनका इस्तीफा मांग लिया था इसकी साफ वजह यह थी कि अमिताभ सरकार में लगातार हस्तक्षेप कर रहे थे उस वक्त के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी के बारे में भी वह नहीं सोचते।

वह राजनी राजीव गांधी से कोई सलाह नहीं लिया करते थे इंदिरा गांधी ने हालांकि इसके बारे में चेतावनी दी थी लेकिन राजीव ने टिकट काटने से पहले यह चेतावनी ना सुनी और अमिताभ बच्चन को टिकट दे दिया था तो देखा आपने इस रिपोर्ट में कि कैसे अमिताभ बच्चन का सफर राजनीति से वही थमसा गया राजनीति में अमिताभ बच्चन ने पूरी तरीके से अपने आप को नतमस्तक कर दिया था वह चाहते तो और भी बेहतरीन कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और इन सब की वजह जो आपने रिपोर्ट में देखी यही मानी जा रही थी और इस वजह से उन्होंने धीरे-धीरे राजनीति से किनारा कर एक्टिंग में अपनी शुरुआत की।

और आज सदी के महानायक बन गए एक वो दौर था जब उनका जो पूरा तन मन धन था वो राजनीति से प्रेरित था राजनीति में लगता था लेकिन कहा यह जाता है कि अगर वो ना होता तो शायद आज बॉलीवुड को सदी के महानायक ना मिलते अगर अमिताभ बच्चन राजनीति से ना निकलते तो शायद आज बॉलीवुड को वो एक करिश्मा ना मिलता जो हमेशा के लिए बॉलीवुड के सितारे चमकाता रहा हमेशा ही बॉलीवुड में वो बेहतरीन फिल्में करता रहा जिसने बॉलीवुड को एक मुकाम पर खड़ा किया।

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