बाबा सिद्दीकी की के ऑलमोस्ट एक महीने बाद शिवकुमार को पुलिस अरेस्ट कर पाई है यह वह है जो बाबा सिद्दीकी की करके भीड़ में गायब हो गया था दो तो पुलिस ने पकड़ लिए थे धर्मराज कश्यप और गुरमेल सिंह लेकिन शिवकुमार भागने में कामयाब हो गया था शिवकुमार को पकड़ने के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच ने जो खेल रचा वोह वाकई में किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रिपोर्ट के मुताबिक 12 अक्टूबर को बाबा सिद्दीकी की करने के बाद शिवकुमार पुना भाग गया पुना से झारखंड होते हुए वह अपने गांव बराइज पहुंचा और वहां पर उसे कुछ लोग मदद कर रहे थे.
छुपने में वो बार-बार सिम कार्ड बदल रहा था और गांव पहुंचने के बाद उसने फोन भी यूज करना बंद कर लिया यही कारण है कि पुलिस को उसको ट्रैक करना ही मुश्किल हो गया और पुलिस को उसके गांव का नाम पता था बाकी उसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं मिल पा रही थी इसी बीच बराइज में कम्यून वायलेंस हुआ और वहां पर झगड़ों के तहत भारी पुलिस बल तैनात किया गया बस इसी पुलिस बल में एक टुकड़ी मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच की भी थी किसी को नहीं पता था कि यह जो पुलिस की टुकड़ी है यह यहां पर हो रहे दंगों के कारण नहीं.
बल्कि शिवकुमार को ढूंढने आई है मुंबई की पुलिस वहां की पुलिस के साथ मिक्स होकर नजर रख रही थी गांव वालों पर और शिवकुमार को लेकर जो कुछ जानकारी जुटा सकती थी वो पुलिस ने जुटाने की कोशिश की इसी बीच पुलिस को हिंट लगा कि शिवकुमार गांव में ही कहीं छु छुपा हुआ है और वह बाहर नहीं निकल रहा है वो नजरबंद है और चार लोग हैं जो उसे जरूरी सामान टाइम टाइम पर पहुंचाते हैं पुलिस ने इन चार लोगों पर नजर रखनी शुरू की ये चार लोग थे अनुराग कश्यप ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी आकाश श्रीवास्तव और अखिलेंद्र प्रताप सिंह ये चारों लोग शिवकुमार के साथ कांटेक्ट में थे और उसे जरूरत का सामान पहुंचा रहे थे एक बार पुलिस ने इनका पीछा किया.
और इसी बीच पुलिस देखती है कि ये चारों जंगल की तरफ जा रहे हैं जंगल में एक झोपड़ी है जहां पर यह सामान पहुंचाने गए थे और वहीं पर पुलिस ने इन चारों को अरेस्ट किया पुलिस ने इनसे पूछताछ की तो इन्होंने बताया कि शिवकुमार यहां पर छुपकर रहता है और हम उसे जरूरत का सामान पहुंचा रहे हैं जिस वक्त पुलिस इन चारों के साथ उस झोपड़ी पर पहुंची तब शिवकुमार वहां पर नहीं था इन चारों के साथ पुलिस ने भी छुपकर शिवकुमार के आने का इंतजार किया 8 घंटे इंतजार करने के बाद झोपड़ी पर शिवकुमार पहुंचता है जिसके बाद पुलिस ने शिवकुमार को अरेस्ट कर लिया अब शिवकुमार को अरेस्ट करने के बाद पुलिस ने जो पूछताछ की है उसमें उसने बेहद शॉकिंग खुलासे किए हैं.
उसने बताया कि इन चारों लोगों से उसे सपोर्ट मिला और यह चारों लोग मिलकर उसे मदद करके नेपाल भगाने में मदद कर रहे थे ताकि वह पुलिस के हाथों कभी आता ही नहीं लेकिन उससे पहले ही क्राइम ब्रांच ने उसे अरेस्ट कर दिया शिवकुमार ने पुलिस को बताया कि की तरफ से उन्हें बाबा सिद्दीकी की करने के लिए ₹1 लाख एक मुश्त दिए जाने थे इसके अलावा महीने का खर्चा दिया जाना था साथ ही पिस्टल रहने की जगह जो भी जरूरतमंद चीजें थी व की तरफ से ही दी जाती थी शिवकुमार ने बताया कि पुणे में उसने कबाड़ का धंधा किया था.
उसकी जो दुकान थी कबाड़ की उसी के पास से जुड़े शुभम लोंकर की कबाड़ की दुकान थी यहीं से इन दोनों की दोस्ती हुई और यहीं से शिवकुमार ने भी को जवाइन कर लिया शुभम लोन करर के थ्रू ही शिवकुमार से जुड़ा था और शुभम लौंड करर ने एक बार से शिवकुमार की बात भी कराई थी तो एक महीने तक जंगलों में छुपता रहा शिवकुमार बट अब फाइनली अरेस्ट हो गया है अब जिन ने बाबा सिद्दीकी की हत्या की थी वो सभी पुलिस की गिरफ्त में है अब तक इस मामले में तकरीबन 20 अरेस्ट हो चुके हैं.