दोस्त शांतनु नायडू के लिए क्या-क्या कर गए रतन टाटा?..

यह शांतनु नायडू है देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा अपने आखिरी दिनों में इस युवा बिजनेसमैन के साथ सबसे ज्यादा देखे गए शांतनु रतन टाटा को अपना दोस्त बताते रहे हैं और एक दोस्त की तरह कई मौकों पर शांतन रतन टाटा के कंधे पर हाथ रखे दिखते हैं रतन टाटा की अंतिम यात्रा के दौरान भी शांतन उनके साथ देखी इस दौरान मीडिया जब उनसे दोस्त के निधन पर उनकी प्रतिक्रिया के लिए पहुंची तो उन्होंने साफ-साफ कहा कि अगर आप मुझे शांति से शोक मनाने दे तो मैं आपका आभारी रहूंगा बता दें कि शांतन और रतन टाटा की दोस्ती.

लंबे समय से चर्चा में रही देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा की उनसे करीब 50 साल छोटे नौजवान के साथ दोस्ती देखकर सब हैरान होते रहे हैं हालांकि इस दोस्ती के पीछे एक दिलचस्प किस्सा भी है 31 वर्षीय शांतन एक उद्यमी और गुड फेलोज स्टार्टअप के संस्थापक भी हैं व मोटो पज जैसे मुहीम से भी दर्शकों से जुड़े रहे हैं शांतन नायडू ने रतन टाटा को काफी प्रभावित किया था शांतन अब रतन टाटा के ऑफिस में जनरल मैनेजर के पद पर काम करते हैं साथ ही वह नए स्टार्टअप में निवेश को लेकर टाटा समूह को सलाह भी देते हैं.

शांतनु एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंस और लेखक भी दरअसल शांतनु और रतन टाटा की पहली मुलाकात साल 2014 में हुई थी तब शांतन टाटा एलेक्सी में डिजाइन इंजीनियर के तौर पर काम करते थे पुणे में देर रात हाईवे से गुजरते समय शांतन को सड़क पर कुत्तों के शब दिखाई देते थे जिनकी तेज रफ्तार से चलने वाली गाड़ियों के नीचे आने से मौत हो जाती थी.

वहां रोशनी कम होने की वजह से लोगों को सड़क पर मौजूद कुत्ते नहीं दिखते थे इन घटनाओं ने शांतन को बहुत परेशान किया और वह सोचने लगे कि आवारा कुत्तों की जान कैसे बचाई जा सकती है उन्होंने इसके लिए एक प्लान तैयार किया इसके बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था चूंकि मैं एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर था इसलिए मेरे मन में कुत्तों के लिए कॉलर बनाने का विचार आया जिससे वे रात में स्ट्रीट लाइट के बिना भी दिखाई दे सके कई तरह की कोशिशों के बाद शांतन ने एक डॉग कॉलर बनाया कॉलर को बनाने के लिए शांतन और उनके दोस्तों ने चंदा किया शांतन की मुहिम की वजह से कुत्तों के लिए बनाया गया.

रिफ्लेक्टिव कॉलर रात में उनकी जान बचाने लगा इसकी जानकारी रतन टाटा तक पहुंची तो उन्होंने शांतन को मिलने के लिए बुलाए यहीं से दोनों की दोस्ती शुरू हो गई शांतन रतन टाटा के संपर्क में रहे और अक्सर उनसे सलाह और मार्गदर्शन लेते रहे शांतन कहते हैं मैं उनके संपर्क में रहा और उनसे अलग-अलग विषयों और मुद्दों पर बात करता रहा और हमारी दोस्ती बढ़ती गई एक दिन मैंने टाटा को कॉर्नेल में एमबीए करने की अपनी योजना के बारे में बताया जैसे ही मुझे कॉर्नेल में दाखिला मिला मैंने टाटा को बताया कि मैं स्नातक होने के बाद टाटा ट्रस्ट में योगदान करने का अवसर तलाशने के लिए भारत लौटूंगा.

जब शांतन अपनी डिग्री लेकर वापस लौटे तो टाटा ने उन्हें अपने ऑफिस में शामिल होने के लिए कहा यह साल 2017 की बात है और तब से वह उनके ऑफिस में काम कर रहे हैं अब शांतन ने रतन टाटा को आखिरी विदाई देते हुए अपने लिंक न पोस्ट में अपने मित्र के प्रति प्रेम का इजहार करते हुए लिखा इस दोस्ती ने अब मेरे अंदर जो खालीपन पैदा कर दिया है मैं अपनी बाकी की जिंदगी उसे भरने की कोशिश में बिता दूंगा प्यार के लिए दुख की कीमत चुकानी पड़ती है.

अलविदा मेरे प्यारे लाइट हाउस बता दें कि 31 साल के शांतन ने सावित्रीबाई फूले पुणे विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है इसके बाद उन्होंने साल 2016 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए किया शांतन नायडू अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी है जो टाटा ग्रुप में काम कर रहे हैं अगर बात शांतन नायडू की संपत्ति की करें तो अलग-अलग जगह इसे लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शांतन नायडू की कुल संपत्ति 6 करोड़ रुप के करीब है उनके इस नेटवर्क में रतन टाटा के साथ काम करने मोटो पॉस के माध्यम से समाज सेवा और उनके द्वारा ऑनलाइन की गई कमाई भी शामिल बताई जाती [संगीत] है रतन टाटा जी उद्योगपति नहीं थे सेवा पति थे.

उद्योगपति और सेवा पति में फर्क होता है वह सेवा पति थे पब्लिक के सेवा करने वाले व पति थे उद्योगपति तो बहुत है पूरे वर्ल्ड में पूरे भारत में लेकिन जिस प्रकार से इनका सेवा कार्य चलता था टाटा म कैंसर फ से लेक अन्य अन्य चीजों में अपना कमाया हुआ पैसा अपने लिए कुछ खुद नहीं रखना और पब्लिक में बाढ देना पब्लिक में सेवा करना ऐसा महापुरुष भारत में ना कभी हुआ था ना कभी होगा विश्व में नहीं होगा आज एक टू बीएस के फ्लैट में रहते थे रतन जी टू बीज के फ्लैट में रहते कितने बड़े-बड़े लिसान होटल एंपायर लेकिन टू बेज के फ्लैट में उनका घर था.

तो ये एक योगायोग होता है कि नाम ही रतन था और काम भी उन्होंने रतन ने जैसा किया और भारत सरकार को इनके जीवित रहते इनको भारत रत्न का पुरस्कार देना चाहिए था जो भारत सरकार की तरफ से गलती हुई है तो भारत सरकार ने अपनी गलती सुधारना और भारत रत्न देना जो गलती की है क्योंकि आदमी को जीवित रहते ते रन देना चाहिए खेलने वालो को उन्होंने दिया डांस करने वालो को उने दिया लेकिन एक जो व्यक्ति है.

पूरे भारत में अपना पूरा पैसा भारत को लौटा दिया इतनी सारी कंपनियां हजारों के एंप्लॉई लाखों के एंप्लॉई लेकिन एक रुप भी में नहीं तो फ्लैट में रहता है तो बाकी इंडस्ट्रियल ने बाकी नेताओं ने बाकी मंत्रियों ने रतन टाटा जी से सीख लेनी चाहिए कि पब्लिक का पैसा पब्लिक को समर्पित होना चाहिए सर आपका शुभ नाम शशिकांत पिसाल आप भी यही मुंबई के हैं मुंबई के आप भी अंतिम दर्शन करने के लिए आए थे क्या कहना चाहेंगे किस तरीके का य लॉस आप देख रहे हैं रतन टाटा क्योंकि जब से उनके देहांत की खबर आई थी लग रहा था.

जैसे वक्त थमसा गया भारत देश ने एक बहुत बड़ा एक रतन खोया है आज के दिन मेरा तो उनसे कुछ तालुकात नहीं है तो भी मेरे को जैसे न्यूज़ मालूम पड़ा तो भागते दौड़ते कुरला विधान चांदोली विधानसभा से मैं भागते इधर आया तो देखा अंतिम यात्रा देखा पर एकदम बोलते हो जैसे मेरे परिवार का कुछ सदस्य गया है ऐसा मेरे को फील हो गया मन भावुक हो गया मन भावुक हो गया क्या कहना चाहेंगे इनका जाना इनकी इनका देहांत होना कितनी बड़ी क् उन गरीब लोगों के लिए बहुत बड़ी क्षति है उद्योगपतियों के लिए तो है ही है मगर उन गरीब लोगों के लिए बहुत क्षति है.

जो कमजोर तबके थे उनकी बहुत मदद करते थे हमारे घर कानपुर उन्नाव जिले गए थे तो वहां जहाज उतारे थे उन्होंने कहा था यहां हम पार्क बनवा देंगे कौन से साल की बात है यह हो गया सा साल पहले की बात है तब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे वहां उनके साथ गए थे मुख्यमंत्री भी थे तो उन्होंने कहा था यहां पार्क बहुत बड़ा बनाएंगे 48 करोड़ रुपया आपको देंगे हम लोग जी जी जी मगर विडंबना ऐसी है कि फिर मुलाकात नहीं हो पाई.

जी जब आज रात 12 बजे सुने तब हवाई जहाज पकड़ के कानपुर से यहां पर अभी आए 2 बजे हम दिन में जी हां तो आपको लगता है कि इनका जाना एक ऐसी क्षति है जिसका जाना उद्योग जगत को क्षति है उन गरीब लोगों को महान क्षति है जो आम आदमी थे जि मदद करती करते थे और भी लोगों से बात करते हैं सर आपका शुभ नाम किरीट सुरती आप यहीं मुंबई के हैं हां य मुंबई का हूं ओके क्या कहना चाहेंगे सर यह कितना बड़ा लॉस आप देख रहे हैं क्योंकि यह ना सिर्फ एक इंडस्ट्रियलिस्ट के लिए लिए एक बढ़िया आइकॉन थे यूथ आइकॉन के तौर पे भी जाने जाते देखिए.

मैं उनको नहीं जानता हूं ना वो मुझे जानते थे लेकिन मैं यह जानता हूं कि उन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया इसलिए मैं समय निकल के यहां पर आया सिर्फ श्रद्धांजलि देने के लिए बस तो आप काम से समय निकाल कर आ पाए हां मैं मेरा आई रिस्पेक्ट हिम मैं बहुत रिस्पेक्ट करता हूं उसको और जो देश के लिए उन्होंने किया वो यू नो वो जो बयान भी नहीं कर सकते हम लोग और उसके जैसा जो भी जो जो कैलिबर का जो एक लीडर था और नॉट ओनली दैट व सब जो भी एंटरप्रेन्र्दे है व हम मैं यह मानता हूं उसके बारे में.

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