क्या आप जानते हैं कि समुद्र की गहराइयों में पाई जाने वाली एक दुर्लभ चीज जिसे वेल की उल्टी कहते हैं उसकी कीमत करोड़ों में होती है जिसका साइंटिफिक नाम एंबर ग्रीस है इसे समंदर का सोना भी कहा जाता है गुजरात के भावनगर में पुलिस ने 12 किलो दुर्लभ एंबर गरीज जप्त की है जिसकी कीमत करीब 12 से 15 करोड़ बताई जा रही है इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है क्योंकि आरोपी इसे बेचने की कोशिश कर रहे थे.
आखिर यह क्या है यह इतनी महंगी क्यों है और इसका व्यापार गैर कानूनी क्यों है एंबर ग्रीस जिसे आमतौर पर वेल की उल्टी कहा जाता है वास्तव में स्पर्म वेल के पेट में बनने वाला एक ठोस और मोम जैसा पदार्थ है यह वेल के पाचन तंत्र में उन चीजों को घेरने के लिए बनता है जिन्हें वह पचा नहीं सकती कभी-कभी वेल इसे बाहर उगल देती है और यह समंदर में तैरता हुआ या किनारे पर पाया जाता है एंबर ग्रीस को समंदर का सोना इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यह बेहद दुर्लभ है और खास परफ्यूम इंडस्ट्री में इसकी भारी मांग है एंबर ग्रीस में एक खास गुण होता है.
यह सुगंध को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करता है पुराने समय से इसका इस्तेमाल महंगे परफ्यूम्स बनाने में होता आ रहा है समंदर में एबर ग्रीस मिलना बहुत ही मुश्किल है यह केवल कुछ खास वेल्स से ही निकलता है और वह भी हर समय नहीं इसकी दुर्लभता ही इसकी कीमत को आसमान छूने वाली बनाती है यह प्राकृतिक रूप से बनने वाला पदार्थ है जिसे आर्टिफिशियल तरीके से नहीं बनाया जा सकता यही वजह है कि लग्जरी ब्रांड्स इसे खरीदने के लिए भारी रकम चुकाने को तैयार रहते हैं वेल की महज एक किलो उल्टी की कीमत करोड़ों में होती है.
भारत समेत कई देशों में एग्रीस का व्यापार वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत गैर कानूनी है क्योंकि स्पर्म वेल एक संरक्षित प्रजाति है अंतरराष्ट्रीय समझौतों और भारतीय कानूनों के तहत इनका शिकार करना या इनसे जुड़े उत्पादों का व्यापार करना अपराध है एंबर ग्रीस की मांग इतनी ज्यादा है.
कि वेल्स के अवैध शिकार की घटनाएं बढ़ सकती हैं इससे इनकी आबादी पर गहरा असर पड़ता है एंबर ग्रीस यानी वेल की उल्टी प्रकृति का एक अद्भुत तोहफा है लेकिन इसका गलत इस्तेमाल वेल्स और पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकता है इसे संरक्षित करना और वेल्स की सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है.