वरुण मोहन एक ऐसे शख्स जिसने सिलिकॉन वैली में तहलका मचा दिया। एक भारतीय मूल के टेक जीनियस जिनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें एआई की दुनिया में एक सितारा बनाया। लेकिन उनके एक फैसले ने उन्हें विलेन का टैग भी दिला दिया। आखिर क्या था वो फैसला और क्या है वरुण मोहन की कहानी?
वरुण मोहन का जन्म कैलिफोर्निया के सनी बेल में हुआ। इंडियन इमीग्रेंट्स पेरेंट्स के घर पर। उनके परिवार ने उन्हें पढ़ाई में अव्वल होने की प्रेरणा दी। बचपन से ही वरुण का दिमाग मैथ्स और कंप्यूटर साइंस में दौड़ता था। नेशनल ओलंपियाार्ड्स और कंपटीशंस में वो ट्रॉफियां बटोरते थे। वरुण ने एमआईटी यानी मेसचोसेट्स इंस्टट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया पड़े होते। और वहां एक रेयर ड्यूल डिग्री प्रोग्राम पूरा किया। बैचलर और मास्टर दोनों इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस में मशीन लर्निंग ऑपरेटिंग सिस्टम्स और एल्गोरिदम्स में उनकी महारत ने उन्हें एक अलग पहचान दे दी।
इंटर्नशिप्स में उन्होंने कोरा, , सेमासंग जैसे बड़े नामों के साथ काम किया। उनकी मेहनत ने उन्हें एi की दुनिया में एक मजबूत नीव दी। यह वो दौर था जब वरुण ने दिन रात मेहनत कर अपने सपनों को सच करने की ठानी। फिर साल आया 2021। वरुण ने अपने एमआईटी के दोस्त डगलस चेन के साथ मिलकर कोडियम शुरू किया जो बाद में विंडसर्फ बना। यह कंपनी पहले जीपीयू वर्चुअलाइजेशन पर काम कर रही थी लेकिन फिर उन्होंने कैस्केट बनाया। एक ए पावर्ड आईडी जो डेवलपर्स को कोड लिखने, टेस्ट करने और रिफैक्टर करने में मदद करता था। सिर्फ 4 महीने में कैस्केट के 10 लाख से ज्यादा यूज़र्स हो गए। कंपनी ने 243 मिलियन की फंडिंग जुटाई और 1.25 बिलियन की वैल्यू्यूएशन हासिल कर ली।
वरुण मोहन का नाम सिलिकॉन वैली में गूंजने लगा। उनका सपना उनकी मेहनत अब दुनिया बदल रही थी। लेकिन 2025 में एक ऐसा तूफान आया जिसने वरुण की इमेज को हिला कर रख दिया। ओपन एआई विंडर्फ को $3 बिलियन में खरीदने वाली थी। लेकिन आखिरी मौके पर वरुण और उनके पार्टनर ने कंपनी छोड़ दी और विंडs की टेक्नोलॉजी को Google के लिए 2.4 बिलियन में लाइसेंस कर दिया। एक तरीके से कहूं तो बेच दिया। वरुण Google डीप माइंड में चले गए अपने कुछ खास टीम मेंबर्स के साथ। इस कदम से टेक वर्ल्ड में हंगामा मच गया। विनोद खोसला जैसे इन्वेस्टर्स ने वरुण की आलोचना की। कॉग्निशन के सीईओ ने इसे फाउंडर्स की जिम्मेदारी का विश्वासघात तक कह दिया। सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें जनरेशनल विलेन तक कह डाला।
वरुण की मेहनत पर सवाल उठने लगे। क्या यह वाकई में सिर्फ पैसे का खेल था? लेकिन वरुण मोहन की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। वो आज भी गुगल डीप माइंड में एi की दुनिया को नई दिशा दे रहे हैं। उनकी बनाई टेक्नोलॉजी ने डेवलपर्स की जिंदगी आसान की। हां, विवादों में उनका नाम जरूर पड़ा, लेकिन टेक की दुनिया में एक नया कदम हमेशा पुरानी कहानियों को मिटा भी देता है। तो दोस्तों, क्या आपको लगता है कि वरुण मोहन की मेहनत और संघर्ष उनकी एक गलती से बड़े हैं?