निधन के बाद भटक रही होगी सुशांत की आत्मा?

आज हम जिंदा है बट इस जिंदगी के बाद क्या सुशांत अब वो नहीं है अब वो क्या कर रहे होंगे अगर आपको मोक्ष मिल गया तो आप लिबरेटेड हो तब एज अ सोल वापस आने का जरूरत नहीं है किसी बॉडी में कई बार मेरे मन में ख्याल आता है कि आज हम जिंदा है बट इस जिंदगी के बाद क्या हम या वो जो कल जिंदा थे हम मेरे ग्रैंडफादर्स मेरे कुछ रिलेटिव्स वो आज नहीं है हम इस जिंदगी के बाद अब वो क्या करेंगे सुशांत आपके जीवन का हिस्सा थे। अब वो नहीं है। हम अब वो क्या कर रहे होंगे? आफ्टर लाइफ में क्या होता होगा? हां एक बहुत अच्छी बुक है ब्रायन एल्विस की मेनी मास्टर्स मेनी लाइफ्स।

उसमें ना वो हिप्न हिप्नोथेरेपिस्ट हैं। तो वो क्या करते हैं ना जब करते हैं ना तो एक बंदी होती है जो अपने लाइफ के एक लाइफ लिया दूसरे लाइफ के बीच में क्या होता है ना उसमें चली जाती है। बारडो स्टेट में। ठीक है? तो वो बताती है कि उस समय क्या होता है। इट्स लाइक अ लाइफ रिव्यू। हमारे हमारे संस्कृति में हमारे स्क्रिप्चर्स में सारा कुछ लिखा हुआ है। हम लोग को कहीं और सर्च करने का कुछ भी जरूरत नहीं है। ये सब लिखा हुआ है कि क्या होता है। एक लाइफ रिव्यू होता है जिसमें आपको बताया जाता है और आप कोई और नहीं आके रिव्यु करता। आप खुद ही रिव्यु करते हैं। आपका हायर सेल्फ रिव्यु करता है। हमारे अंदर एक कॉन्शियस होता है शुभांकर जो हमेशा रहता है।

जो अभी भी है जो अभी भी देख रहा है कि आप क्या बोल रहे हो यू नो क्या कर रहे हो। हमेशा वो कॉन्शियस हमारे साथ हमेशा रहता है। जब तक आप उसका गला घोट के उसको दबा के मार नहीं दो। होता क्या है ना वो कॉन्शियस आपको हमेशा बोलता रहता है। यह सही है। यह गलत है। यह करो। यह सही रहेगा। इसीलिए हमारे स्क्रिप्चर्स में यम और नियम सबसे पहले आते हैं। इवन बुद्धिज्म में शीला सबसे पहले आता है। हम लोग पंचशील पहले ग्रहण करते हैं बिफोर वी गेट इंटू समाधि बिफोर वी स्टार्ट प्रैक्टिसिंग विपासना। तो ये बहुत इंपॉर्टेंट होता है। सच बोलो। ऐसे ही क्यों? सच बोलने पे सच में हार्ट प्योर होता है। हार्ट प्योर होता है मतलब क्या?

आपका कॉन्शियस को बल मिलता है अंदर से। चेतना जिंदा रहती है। हां। और वो जो आपका बल होता है ना अंदर से वही आपको हेल्प करता है समाधि में घुसने में। बट फिर मेरा सवाल वही रहा कि इस पूरी प्रक्रिया में आप समाधि तक गए। मोक्ष तक आपने बातें की। आप उन लोगों से मिले जो सो नहीं रहे थे। हम जीवन के बाद क्या समझा आपने? जीवन के बाद क्या होता होगा? हां। तो ओके। अगर आपको मोक्ष मिल गया तो आप लिबरेटेड हो। तब एज अ सोल यह सूक्ष्म शरीर को वापस आने का जरूरत नहीं है किसी बॉडी में। ठीक है? तो वहां आनंद है या यहां आनंद है? यहां आनंद कैसे? आपको आनंद फील हो रहा है यहां पे? आपको आनंद फील हो रहा है क्या यहां? मैंने कईयों से जब मैंने बात की तो उन्होंने कहा कि ये जीवन जो है यही आनंद है। वो प्रक्रिया जो है मोक्ष पाने की प्रक्रिया वही असल आनंद है कि आप उसमें जा रहे हो। आपने उसको यह जो उतार-चढ़ाव अलग-अलग इमोशंस को जाना महसूस करना या यह सिर्फ एक यह लर्निंग प्रोसेस है। आई अग्री यह लर्निंग प्रोसेस है।

बट इसमें आनंद नहीं है शुभांकर जब तक आप अगेन उस अमृत को चख लिए और अगर आप पूरी तरह से फुल्ली लिबरेटेड है। जैसे मैं बता रही थी अरहंत हो गए हैं आप। लिविंग एनलाइटनमेंट आप जी रहे हैं। तब आप बोल सकते हो कि दिस इज अ प्ले। देन यू कैन से दिस इज लीला। तो उस आनंद में क्या अनुभूति होती है? फिर आपको क्या महसूस होता है? उसमें फिर सच में लगने लगता है कि एवरीथिंग इज अ प्ले। जैसे आप ड्रीम देख रहे हो और ल्यूसिड ड्रीमिंग में जैसे आप अवेयर हो गए हो तो आप सब कुछ चेंज कर सकते हो ना इस तरीके से। चेंज कर सकते हो। मजा आ रहा है और फिर उस ड्रामा में जैसे ऑलमोस्ट लाइक मूवी देख रहे हो। एक ड्रामेटिक सा सीन भी देखते हो। तो वो एक सीन लगता है आपको। है ना? वो सी और फिर आप उसको एंजॉय भी कर सकते हो। इवन इफ इट्स वेरी ड्रामेटिक और ट्रोैटिक यू कैन एंजॉय इट बिकॉज़ यू नो दैट इट्स अ सीन इट्स नॉट रियल वो हो जाता है। आपके परिवार में अभी कोई ऐसा है जो अभी भी उस सदमे से पूरी तरह उभर नहीं पाया? सबका दुख ग्रहण करने की क्षमता अलग-अलग होती है। जी जी नहीं हम लोग सारे स्पिरिचुअल हैं। बट हम लोग कोई भी नहीं क्लेम करेंगे कि हम उस सदमे से पूरी तरह से उभर चुके हैं। कोई भी क्लेम कर ही नहीं सकते क्योंकि हमें लगता है कि अच्छा हां अब आई एम इन अ गुड प्लेस। बट वो फिर यू नो फ्यू मंथ्स के बाद फिर उस तरीके का एकदम डीप सा कुछ भी उसका याद आया या कुछ इस तरह से हुआ। फिर आप उस डीप से यू नो रिमोट्स में यू गो इनसाइड दैट। तो हम लोग कोई क्लेम नहीं करेंगे कि हम लोग पूरी तरह से हील हो गए हैं। दीदी को स्टेंट लग गया। रानी दी जिनसे हम लोग सबसे ज्यादा क्लोज हैं। मेरे से 10 साल बड़े हैं। भाई भी उनको अपनी मम्मा की तरह मानते थे। सेकंड मम्मा। मम्मा का डेथ हो गया था ना हमारा 2002 में। उसके बाद हम लोग उन्हीं को मम्मा मानते थे। तो इस तरीके का पूरा पेन हुआ उनको कि उनको स्टेंट लग गया। शी जस्ट शी वास जस्ट 50 व्हेन दैट हैपेंड। आप समझ रहे हो? यू नो क्लोज हो जाता है ऑलमोस्ट हार्ट। फिर आपको आपको हार्ट यू नो पंप कराने के लिए। यू हैव टू पुट स्ट्स एंड स्टफ ओवर देयर। सो दैट ब्लड कैन फ्लो ईजीली। पापा का ओपन हार्ट सर्जरी हुआ। राइट। तो वी हैड टू गो थ्रू अ लॉट लाइक फिजिकली आल्सो वी फेल यू नो इल। सुशांत सिंह राजपूत के बड़े ऑर्गेनिक फैंस हैं। जी। जैसे मैंने कहा कि हर साल जस्टिस फॉर एसएसआर ट्रेंड होता है। आप सुशांत के ऊपर कोई भी बात रख दीजिए। लोग ज्यादा सुनना पसंद करते हैं। जी। उसमें इनवॉल्वमेंट ज्यादा होता है। लोगों के इमोशन ज्यादा होते हैं। हम मेरे मन में ये सवाल कई बार आया हम कि इसकी सुशांत को इतना चाहने के पीछे की वजह आपको क्या लगी? बॉलीवुड में बहुत सारे हीरो हैं। जी सुशांत की जितनी फिल्में हिट है उतनी फिल्में और भी हीरोज़ की हिट होंगी। जी। ये इतना अटैचमेंट आपने क्यों महसूस किया कि सुशांत के ना होने पर अब तक जिंदा है 5 साल बाद भी। क्योंकि लोग उनको ना अपने फैमिली का मेंबर टाइप समझने लगे थे। शंकर आप भी जब बात कर रहे थे डोंट यू फील कि ही वास जस्ट अ पार्ट ऑफ यू ही वाज़ वन ऑफ यू? कभी उनमें इस तरह का ये नहीं था बहुत दिखाना कि मैं एक स्टार हूं या कुछ इस तरह बहुत हंबल थे। है ना? और इसीलिए बहुत रिलेटेबल थे और सच में ही वाज़ वेरी प्योर। उनकी प्योरिटी आंख के उनके ट्विंकल से दिखती उनका जिस तरह से स्माइल करते थे खुल के लाफ करते थे खुल के उससे पता चलता था है ना लोग सेंस कर लेते हैं आप कुछ भी दिखाओ सामने सामने बट लोग सेंस कर लेते हैं कि इंसान असली में क्या है अंदर से वो सबने सेंस कर लिया और क्योंकि भाई का हायर पर्पस था इस लाइफ में भाई एक रीजन से आया था हायर पर्पस से आया था देखो एक तो पहले उस तरह का सोल आना मम्मा लोगों ने 3 साल पूरा प्रे किया तब जाके वह सोल अट्रैक्ट हुआ तो आप सोचो किस तरह का पोरिटी होगा उस सोल में।

वो लोग पूरा प्रैक्टिस करते थे कि मांस नहीं खाना है, शराब नहीं पीना है। उस समय जब भगवती का प्रैक्टिस कर रहे थे वो तब जाके वो सोल आया था। है ना? तो एक तो उस तरीके का सोल अट्रैक्ट हुआ। हम उसका एक प्रॉपर पर्पस था शुभांकर। वो हम लोग को अवेकन करने के लिए आया था कि हम लोग क्यों इस चीजों के पीछे आप अगर उसका आईआईटी का ब्रूट करके एक है यू नो लाइक ही इज़ टॉकिंग लेक्चर है आईआईटी में जाके उसमें वो बता रहा है कि ये सब में लास्टिंग हैप्पीनेस नहीं है। फेम में लास्टिंग हैपनेस नहीं है। पावर में लास्टिंग हैप्पीनेस मैं चाहता हूं कि सब यह टेस्ट कर लें ताकि यू नो सबको समझ में आए कि इसमें एक्चुअली में हैप्पीनेस नहीं है। हैप्पीनेस अंदर से ही इनर जॉय से ही आता है और इनर जॉय आपको स्पिरिचुअलिटी से ही मिलती है। इन्वेस्टिगेशन से मिलती है। इंटेलेक्चुअल क्यूरियस से मिलती है। डीप थिंकिंग से मिलती है। हमारा तो चार मार्ग है ही ना। ज्ञान मार्ग, भक्ति मार्ग, राजयोग और कर्म योग। तो अगर आप बहुत ज्यादा इंक्लाइंड हो इंटेलेक्चुअली तो आपका ज्ञान मार्ग है। आप आत्माओं में यकीन रखते हो? जी एकदम एकदम कभी आपने सोचा कि सुशांत क्योंकि हमारा कहते हैं जैसा आपने कहा ना कि सुशांत इस दुनिया में एक मकसद से आया था। जी एक पर्पस था उनका। हम अब पूरी जिंदगी वो नहीं जी पाए।

एक जिंदगी पर ब्रेक लगा दिया किसी ने उस घट। आप मानते हो कि यह भी नियति का हिस्सा था या वो एनलाइटमेंट जो आज आप फील कर रहे हो उससे रिलेटेड था और अगर ये नियति पूरी नहीं हो पाई तो क्या वो आत्मा आज भी हमारे आसपास होगी हम कैसे इसको देखते हो आप इसको तो पहले एक तरीके से देखो कि कितनी बड़ी जिंदगी जीते हो उससे वो मैटर नहीं करता है।

कितने अच्छे से जो भी जिंदगी है उसको जिया है वो मैटर करता है। क्वालिटी ऑफ़ लाइफ मैटर्स नॉट द नंबर और क्वांटिटी। ठीक है? तो भाई ने जो इतनी छोटी सी लाइफ जी बट जिस तरीके से जी उसने विद फुल ऑफ लाइफ राइट वि फुल ऑफ उसका हार्ट कितना अच्छा था। कितना चैरिटी करता था। किसी और के लिए नहीं अपने खुशी के लिए करता था

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