सोनू सूद, खली क्रिस गेल, से प्रचार कराता था 1500 करोड़ की ठगी का आरोपी रविंद्र सोनी।

क्रिकेटर क्रिस गेल और रेसलर खली में कौन सी बात कॉमन है? सिर्फ यह ना कि दोनों खिलाड़ी हैं? नहीं। दोनों में एक और बात कॉमन है। वह यह कि 1500 करोड़ की ठगी के मामले में इन दोनों महारथियों का नाम सामने आ रहा है। तो क्रीड़ा जगत की इन हस्तियों के नाम ठगी के मामले में किस लिए और किसकी वजह से लिए जा रहे हैं?

यह कहानी के मुख्य पात्र हैं। इनका नाम है रविंद्रनाथ सोनी। मुताबिक 30 नवंबर के दिन कानपुर पुलिस ने इन्हें ₹42 लाख की ठगी के केस में गिरफ्तार किया।

उस वक्त पुलिस को जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि पूछताछ में मामला इंटरनेशनल होकर हजारों करोड़ों की ठगी तक चला जाएगा और जांच की आंच क्रिस गेल, खली और अभिनेता सोनू सूद तक आएगी। पुलिस ने रविंद्रनाथ सोनी को रिमांड पर लिया। इन्वेस्टिगेशन के लिए की टीम और साइबर एक्सपर्ट्स ने रविनाथ सोनी को सामने बैठाया और उसने बेहद मासूमियत से क्या कहा मालूम है? मैं तो कचौड़ी का आउटलेट लगाकर अपनी फैमिली का गुजारा कर रहा था।

इस बात ने जांच टीम को सतर्क कर दिया और साफ संकेत दे दिया कि सामने बैठा व्यक्ति कोई साधारण ठग नहीं बल्कि ऐसा अपराधी है जो योजना बनाकर अपराध तो करता है और उसी तरह योजना बनाकर उससे बचने की कोशिश भी करता है। फिलहाल जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी तो पता पड़ा कि रविंद्र नाथ सोनी ने ब्लूचिप नाम से करीब 20 कंपनियां खड़ी की थी। नाम अलग-अलग, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स अलग-अलग, बैंक खाते अलग-अलग लेकिन उन्हें ऑपरेट करने वाला सिर्फ वही एक आदमी।

इन कंपनियों का इस्तेमाल वो निवेश के नाम पर लोगों से पैसा लेने और फिर उसे एक झटके में गायब कर देने के लिए करता था। इस पूरे फर्जी साम्राज्य का प्रचार करने के लिए उसने बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद के साथ करोड़ों रुपए का प्रमोशनल करार किया था। रविनाथ सोनी ने ब्लूचिप नाम से जो डिजिटल बैंक शुरू किया था उसके प्रमोशन में उसने क्रिकेटर क्रिस गेल, रेसलर खली जैसे नामी सितारों का इस्तेमाल भी किया।

पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि Sony ने कनाडा में ब्लूचिप बैंक की रजिस्ट्रेशन कराया और डिजिटल करेंसी ल्च की थी। उसने ब्लूचिप सिक्यर्ड और ब्लूचिप टोकन के जरिए लोगों को निवेश के लिए उकसाया। उसने दावा किया कि निवेश से प्रॉपर्टी डीलिंग में लाभ मिलेगा। लेकिन रिटर्न समय पर ना मिलने से निवेशकों ने हंगामा किया और इस सीन से गायब।

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक रविंद्र नाथ सोनी ने अपनी कंपनी के प्रमोशन के लिए विदेशों में कई बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किए। उसने क्रिस गेल के हाथों उद्घाटन कराकर लोगों को यह विश्वास दिलाया कि बैंक सही तरीके से काम कर रहा है। एक्टर सोनू सूद कंपनी के प्रमोशन का हिस्सा भी बने। इस दौरान रव नाथ सोनी के साथ उनकी कई तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई।

वीडियो तस्वीरें कानपुर पुलिस के भी हाथ लग गई और उन्होंने सोनू सूद को नोटिस भेजकर जवाब मांगा। पिछले हफ्ते सोनू सूद ने अपने वकीलों के जरिए कानपुर पुलिस को जवाब भेजा भी कहा कि वह ब्लू चिप कंपनी के ब्रांड एंबेसडर नहीं है।

उन्हें इसके दो प्रोग्राम्स में शामिल होने के लिए पैसा मिला था। सोनू सूद का यह भी कहना है कि वह एक सेलिब्रिटी के तौर पर उस कार्यक्रम में शामिल हुए और इस ठगी से उनका कोई लेना देना नहीं है। इस मामले में सोनू सूद को तीसरा नोटिस भेजा जाने वाला है जिसका जवाब उन्हें पुलिस के सामने आकर देना होगा।

अब रविंद्र नाथ सोनी के ठगी के सफर और उस तक पुलिस के पहुंचने की कहानी समझते हैं। इंडिया टुडे की वेबसाइट में छपी आशीष मिश्र की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के एक संस्थान से एमबीए करने के बाद रविंद्र साल 2010 में दुबई गया। 2012 में उसे दुबई किंग बैंक में नौकरी भी मिल गई।

वह बैंक में ग्राहकों को इंश्योरेंस पॉलिसी बेचता था। नौकरी के दौरान उसने कई ट्रेडिंग कंपनियों और ब्रोकर से संपर्क भी बना लिए। धीरे-धीरे वह खुद को एक सफल फॉरेक्स और कमोडिटी ट्रेडर के रूप में पेश भी करने लगा। 2021 में उसने दुबई में ब्लूचिप ग्रुप की लॉन्चिंग की। कंपनी का दावा था कि वह फॉरेस्ट ट्रेडिंग के अलावा सोना, तेल और मेटल जैसी कमोडिटीज में निवेश करती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्लूचिप की स्कीमें सुनने में बेहद लुभाववनी थी। निवेशकों को 30 से 40% तक का रिटर्न का वादा किया जाता था। कुछ स्कीमों में यह भी कहा गया कि 30 से 40 महीनों में पैसा दो गुना हो जाएगा।

पुलिस के मुताबिक निवेशकों की प्रोफाइल अलग-अलग थी। इनमें विदेशों में काम करने वाले भारतीय छोटे कारोबारी, रिटायर्ड लोग और यहां तक कि विदेशी नागरिक भी शामिल थे। रविनाथ सोनी और उसके सहयोगियों ने भारत के अलावा शारजा, ओमान, अमेरिका, मलेशिया, जापान और कनाडा जैसे देशों में भी निवेशकों को जोड़ा। यहां तक तो सब कुछ ठीक चल रहा था।

समस्या तब शुरू हुई जब निवेशकों को अचानक ब्याज और रिटर्न का भुगतान बंद हो गया। निवेशकों ने सवाल उठाए तो उन्हें तकनीकी दिक्कतें और मार्केट कंडीशन का हवाला दे दिया गया। कुछ वक्त और बीता और पता चला कि दुबई वाला ऑफिस बंद हो गया है और कंपनी की वेबसाइट और कांटेक्ट नंबर भी काम करना बंद कर चुके थे। यहीं से निवेशकों को एहसास हुआ कि उनके साथ ठगी हुई है। अलग-अलग देशों से शिकायतें भी सामने आने लगी। इसी बीच कानपुर के परेड इलाके में रहने वाले अब्दुल करीम ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई और यहां से ठगी के एक बड़े खेल से परतें उठनी शुरू हो गई।

अब्दुल करीम के पिता ने पुलिस से यह बताया कि उनका बेटा जो दुबई में नौकरी करता है उसे ब्लू चिप कंपनी ने मोटे मुनाफे का लालच दिया और करीब ₹42 लाख ट्रांसफर करवा लिए। बाद में वही हुआ जो अक्सर ठगी के ऐसे मामलों में होता है। यानी शुरुआत में कुछ रिटर्न का मिलना और फिर कंपनी और उसके मालिकों का 9 टू 11 हो जाना। यहां भी यही हुआ। खैर इस शिकायत के आधार पर जांच शुरू हुई और पुलिस रविंद्रनाथ सोनी की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाने लगी। देहरादून में छिपे सोनी को पकड़ने में एक फूड डिलीवरी ऑर्डर ने बहुत अहम भूमिका निभाई।

उनकी टीम ने यानी पुलिस की टीम ने उसके ऑर्डर को ट्रैक किया और 30 नवंबर की देर रात रवींद्र नाथ सोनी को गिरफ्तार कर लिया। रविंद्र नाथ सोनी फिल वक्त कानपुर की जेल में है। मामले में 15 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। अधिकारियों ने भी मामले की डिटेल्स मांगी है और इंटरनेशनल एजेंसियों से सहयोग के सहयोग मांगने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

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