और यही वजह है कि सलमान खान ने बलूचिस्तान का नाम भर लिया। उन्हें आतंकी घोषित कर दिया गया। यह नोटिफिकेशन जारी हुआ और देखिए नाम भी लिखा है। सीरियल नंबर वन में नाम लिखा है अब्दुल राशिद सलीम सलमान खान। सलमान खान एड्रेस मुंबई का सेक्शन फिल्म और लिखा हुआ है उन्हें घोषित किया जाता है।
सो मेनी पीपल फ्रॉम आवर कंट्रीज हैव कम हियर। दे पीपल फ्रॉम बलूचिस्तान, पीपल फ्रॉम बलूचिस्तान, देयर पीपल फ्रॉम अफगानिस्तान, देयर पीपल फ्रॉम पाकिस्तान। सलमान ने बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग क्या बताया? पूरी शाहबाज सरकार और मुनीर फौज सलमान खान की जानी दुश्मन बन गई। सलमान को घोषित कर दिया। आतंकियों की तरह हेड लिस्ट में उनका नाम जारी कर दिया।
क्या पाकिस्तान को सबसे ज्यादा मिर्ची इस बात से लगी कि सलमान खान ने बलूचिस्तान वाला बयान सऊदी अरब में जाकर दिया। जहां से पाकिस्तान दोस्ती की नई कसमें खा रहा है। सलमान खान बॉलीवुड के सुपरस्टार हैं। भारत ने उन्हें हाईटेक सुरक्षा दी है। यानी पाकिस्तान सलमान खान का कुछ बिगाड़ तो नहीं सकता। क्या इसीलिए बौखलाहट मिटाने के लिए वो झूठी धमकी और घोषित करने पर उतर आया है? अब देखिए जरा पाकिस्तान ने कैसे सलमान खान को आतंकी घोषित किया है। क्या किया ऐसा? शाहबाज सरकार ने सलमान खान को डिक्लेअ कर दिया है। सलमान को आतंकी बताते हुए इनके गृह मंत्रालय ने नोटिस जारी किया है। पाक के गृह विभाग ने सलमान का नाम चौथे शेड्यूल में डाल दिया है।
इस शेड्यूल में नाम आने का मतलब होता है समझकर कारवाई। ऐसे शख्स को आतंकी कनेक्शन के चलते ब्लैक लिस्ट किया जाता है। मतलब शाहबाज सरकार पाकिस्तान में सलमान की एंट्री पर रोक लगा सकती है। सलमान या उससे जुड़े कार्यक्रम पर कड़ी नजर रख सकती है। सलमान की फिल्मों पर रोक और गिरफ्तारी की मांग कर सकती है। वैसे पाकिस्तान में कानून का इस्तेमाल निजी दुश्मनी निकालने में होता है। हाल में पाक ने आतंक अपने आतंकवाद विरोधी कानून में संशोधन भी किया है।
सुप्रीम कोर्ट तक चिंता जता चुका है कि कानून का दुरुपयोग ना हो लेकिन पाकिस्तान जब सीधे एक्शन नहीं ले पाता तो ऐसी चाले चलता है। आतंक विरोधी कानून की आड़ में बदला निकालने की कोशिश करता है। जिस सऊदी से उसने हाल ही में और डील की। सलमान खान सोचिए उसी सऊदी अरब में कार्यक्रम में थे।
शाहरुख खान और आमिर खान भी थे। मंच पर भाषण देते हुए सलमान सऊदी में फिल्मों पर बात कर रहे थे। उन्होंने कहा अगर कोई हिंदी फिल्म यहां रिलीज करते हैं तो वह सुपरहिट होगी। तमिल, तेलुगु या मलयालम फिल्म भी करोड़ों का बिजनेस करेगी क्योंकि यहां अलग-अलग देशों से बहुत सारे लोग बसे हुए हैं। यहां बलूचिस्तान से, अफगानिस्तान से, पाकिस्तान के लोग हैं। सऊदी अरब में हर कोई काफी मेहनत से काम कर रहा है। बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग बताने पर पाकिस्तान आग बबूला हो गया। उसने सलमान के बयान पर पहले ऐतराज जताया, फिर कड़ा विरोध किया।
फिर उसे लगा कि उसके विरोध से ज्यादा चर्चा तो सलमान के बयान की हो रही है। क्या इसी से बौखलाए पाकिस्तान ने सलमान को आतंकी घोषित कर दिया? कि आखिर पाकिस्तान इतना आग बबूला क्यों हो गया? सलमान खान ने सिर्फ बलूचिस्तान का नाम ही तो लिया था। वजह है ये। पाकिस्तान को डर है कि कहीं बलूचिस्तान अलग ना हो जाए। ये जो लाल हिस्सा आप पूरा देख रहे हैं ये पूरा बलूचिस्तान है। इसमें कोटा भी आता है। ये हरा हिस्सा आप देख रहे हैं। सिंध, पंजाब, लाहौर आता है। यानी पाकिस्तान के पास देखिए। सिर्फ ये हरा वाला हिस्सा बचेगा। अगर बलूचिस्तान अलग हो गया। इतना छोटा पाकिस्तान हो जाएगा जैसे भारत में राजस्थान एक राज्य है। उतना बड़ा इलाका बचेगा।
बस डर यही है कि ऐसे सब अगर बलूचिस्तान का नाम अलग लेने लगे तो पाकिस्तान को लग रहा है उसके पास कुछ नहीं बचेगा। और सलमान खान ने बलूचिस्तान का नाम लिया तो बलूचिस्तान के लोग सलमान खान के साथ खड़े हैं। देखिए क्या कह रहे हैं। मीर यार बलोच बलूच नेता हैं। सलमान खान को आतंकी घोषित करने के बाद कह रहे हैं सलमान का बयान 6 करोड़ बलोचों के लिए खुशियों भरा है। बलूचिस्तान का जिक्र पहले भी भारतीय फिल्मों में हुआ है। लेकिन अब किसी भी फिल्म में नहीं सऊदी अरब की धरती पर हुआ है।
सलमान ने बलूच और भारतीयों के बीच बढ़ते बंधन की पुष्टि की है। यह एक तरह से हमें पहचान देने जैसा है जिससे हम बहुत खुश हैं। डॉक्टर ताराचंद बलूचिस्तान के पूर्व मंत्री कह रहे हैं। बलूचिस्तान के मंत्री ने भी सलमान की तारीफ की है। कहा सलमान ने बलूचिस्तान के लाखों लोगों का दिल जीत लिया है। पाकिस्तान की सेना पिछले 75 सालों से बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों को लूट घसोट कर रही है। बलूच नेता नौबत मरी भी सलमान के बयान से गदगद है। वह कह रहे हैं सलमान खान का बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग मानना इस क्षेत्र की असली पहचान के बारे में ईमानदारी दिखाता है। वैश्विक समुदाय बलूचों के साथ हो रही ज़्यादती पर ध्यान दें। हमारी अलग पहचान और अलग देश के रूप में मान्यता दे हमें। अब सोचिए कि आखिर बलूचिस्तान इतनी नफरत क्यों करता है पाकिस्तान से वहां रहने वाले लोग? क्योंकि बलूचों पर बहुत अत्याचार करते हैं पाकिस्तानी सेना। उन्हें मारती है, पीटती है, किडनैप कर लेती है। उनके सैकड़ों लोग गायब हैं। ना जाने कितने लोग अब तक मारे जा चुके हैं।
अब देखिए बलूच पाकिस्तानी सैनिकों के साथ क्या कर रहे हैं। ये जो दहशतगर्दी है ये जो दहशतगर्दी है ये जो दहशत गर्दी है चलेगी नहीं चलेगी। अब ये जो आपने तस्वीरें देखी वहां पाकिस्तानी आर्मी बलूच के लोगों को मारती भी है। इसीलिए बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तानी आर्मी को भी कूटते हैं। अब देखिए ये लड़ाई क्या है? ये आप देख रहे हैं ये जो ब्लिंक कर रहा है लाल हिस्सा यह बलूचिस्तान का इलाका है। वैसे पूरा पाकिस्तान है लेकिन ये अलग होने की मांग करता है। पूरे पाकिस्तान का कुल एरिया है करीब 8 लाख कि.मी. और इसमें सबसे बड़ा हिस्सा 3.5 लाख कि.मी. का बलूचिस्तान का है। मतलब क्षेत्रफल में बलूचिस्तान भारत के राजस्थान के बराबर है।
बलूचिस्तान अलग हुआ तो पाक के पास सिर्फ 4.5 लाख कि.मी. बचेगा। जो बलूचिस्तान पूरे पाक के क्षेत्रफल का 45सदी है। वहां पूरे पाकिस्तान की महज 6 से 7 फीसदी आबादी रहती है और वो भी खुद को बाकी पाकिस्तान से अलग-थलग मानती है। बलूचिस्तान में तेल, सोना, तांबा खनिजों का भारी भंडार है। पाकिस्तान अपनी जरूरत के हिसाब से उनका खूब इस्तेमाल करता है। पाक का जो हिस्सा खनिज भंडार में सबसे ज्यादा मालामाल है, वो इलाका आर्थिक, विकास और अधिकारों के मामले में सबसे पिछड़ा है।
बलूचिस्तान में सोचिए 70% से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। बलूचों को पंजाब के मुसलमानों और सेना का भेदभाव सहना पड़ता है। पाक सेना में टॉप पदों पर कभी बलूचों की भर्ती नहीं की जाती है और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें कुचल दिया जाता है बेरहमी से। इसलिए बलूचिस्तान में पाक सेना और सरकारों के खिलाफ नफरत बढ़ गई है। ऊपर से उसकी मर्जी के बिना पाक सरकार के फैसले ने गुस्सा और बढ़ा दिया है। पहले पाक ने बलूचिस्तान के से लगा गवादर फोर्ट चीन के हवाले कर दिया और अब बलूचिस्तान के तेल और खनिजों पर ट्रंप ने डील कर ली है। इसको लेकर बलूचिस्तान में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन चरम पर है। बस यही बात पाकिस्तान तो सिर्फ बलूचिस्तान नहीं पाकिस्तान की परेशानी है। वो चारों तरफ से मार खा रहा है। बलूचिस्तान से और आगे बढ़ेंगे तो तालिबान है। टीटीपी बैठक हुई। तुर्किए में बैठक हुई लेकिन बैठक का बहुत नतीजा नहीं निकला। तुर्किए में इससे पहले क़तर में बैठक हो चुकी है। तुर्किए में शांति समझौते पर बातचीत हुई। लेकिन हुआ क्या? दूसरी तरफ पाकिस्तान भी तालिबान पर हमला कर रहा है। तस्वीर देख रहे हैं। बताया जा रहा है तालिबानी ठिकानों पर पाकिस्तानी सेना ने अटैक किया है। तो आखिर ऐसे कैसे शांति होगी?
सारा ही शांति समझौता पानी में। अफगान पाक जंग के बीच तुर्किए में दूसरे राउंड की बातचीत हुई। इस्तांबुल में 9 घंटे तक दोनों देशों के बीच जंग रोकने पर बात हुई। लेकिन खबर है कि दोनों देशों में अभी तक बात नहीं बन पाई है। तो क्या तुर्किए में अफगान पाकिस्तान में समझौता नहीं हुआ? क्या बैठक से पहले ही शाहबाज के मंत्री ख्वाजा का बयान भारी पड़ गया? कल मैंने आपको सुनाया था ख्वाजा आसिफ ने कहा अगर सीज फायर वार्ता नाकाम हुई तो पाकिस्तान के पास खुली के अलावा कोई विकल्प नहीं है। शांति वार्ता में पाकिस्तान ने अफगान के सामने फिर कई मांगे उठा दी। कहा अफगान अपनी जमीन पर मौजूद आतंकी और उनके कैंप पहले हटाए। तालिबानी गुटों पर अफगान सरकार कड़ी पाबंदी लगाए। अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान के सामने कई शर्तें रख दी हैं। अफगानिस्तान ने कहा बातचीत को तैयार पर धमकी नहीं चलेगी।
मिलकर एक निगरानी तंत्र बनाएं ताकि दुश्मनी वाली गतिविधियां ना हो। संप्रभुता की रक्षा के लिए दोनों देश मौजूदा कानूनों का सख्ती से पालन करें। पाकिस्तान पिछले दो दशक में अपनी सुरक्षा चुनौतियों की समीक्षा करें। दोनों देशों में कारोबार बहाल हो। अफगान शरणार्थियों को जबरन ना भेजा जाए। खबर है कि दोनों देश इन मांगों और शर्तों की अभी समीक्षा कर रहे हैं। यानी घंटों की मशक्कत के बाद भी दोनों देशों में सहमति नहीं बनी। निकल कर कुछ नहीं आया।
