25 अक्टूबर को भारतीय सिनेमा और टेलीविजन ने अपना एक अनमोल रतन खो दिया। 74 वर्षीय दिग्गज एक्टर सतीश शाह इस दुनिया को अलविदा कह गए। लगभग पांच दशक लंबे अपने शानदार करियर में सतीश शाह ने 250 से ज्यादा फिल्मों और अनगिनत टीवी शोज़ में काम किया। वो सिर्फ एक एक्टर नहीं थे। एक इंस्टिट्यूशन थे जिन्होंने भारतीय कॉमेडी को समृद्ध किया। सतीश शाह ने अपना फिल्मी सफर 1978 में अरविंद देसाई की अजीब दास्तान से शुरू किया था। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी परफेक्ट कॉमेडी टाइमिंग, नेचुरल एक्टिंग और हर किरदार में जान फूंक देने वाली काबिलियत से अपना एक अलग मुकाम बनाया।
उनके जाने से इंडियन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का सख्त नुकसान हुआ है। लेकिन उनके किरदार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे। आइए आज याद करते हैं सतीश शाह के उन 10 अविस्मरणीय किरदारों को जिन्होंने उन्हें भारतीय सिनेमा का एक लेजेंड बना दिया।सारा भाई वैसे सारा भाई भारतीय टेलीविजन के सबसे आइकॉनिक सिट कॉम्स में से एक है और सतीश शाह का निभाया किरदार इंद्रवदन साराभाई इस सीरियल का दिल था। यह शो मुंबई के एक अमीर गुजराती परिवार की कहानी था जो एक अपार्टमेंट में रहते हैं। इंद्रवदन साराभाई एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन है जो अपनी पत्नी माया साराभाई से थोड़ा डरते हैं और बेटे रोेश की बेतुकी शायरी से परेशान रहते हैं।
उन्हें अपनी बहू मोनीषा से प्यार और हमदर्दी है क्योंकि वो भी मिडिल क्लास बैकग्राउंड से हैं। इंद्रवदन की सबसे बड़ी खासियत थी उनका सरल, दयालु और थोड़ा-थोड़ा जोरू का गुलाम टाइप नेचर जिससे उनका किरदार बेहद रिलेटेबल बन गया था। साराभाई वर्सेस साराभाई कल्ट क्लासिक सीरियल बना और इंद्रवदन साराभाई भारतीय टीवी के सबसे प्यारे कैरेक्टर्स में से एक सतीश शाह ने इस रोल में सेटल कॉमेडी का कमाल दिखाया। उनकी मोनीषा के साथ केमिस्ट्री माया के सामने सहमी हुई अदाएं और रोशेष की शायरी सुनते वक्त का चेहरा सब कुछ परफेक्ट था। शो के फैंस आज भी इंद्रवदन के डायलॉग्स कोट करते हैं। यह रोल सतीश शाह की लेगसी का सबसे बड़ा हिस्सा है और आने वाली पीढ़ियां भी इसे याद रखेंगी। फरा खान की डायरेक्टोरियल डेब्यू मैं हूं ना एक मास एंटरटेनर थी जिसमें शाहरुख खान ने लीड रोल किया था। इस एक्शन कॉमेडी ड्रामा में सतीश शाह ने एक ऐसा किरदार निभाया जो दर्शकों को भुलाए नहीं भूलता।
प्रोफेसर माधव रसाई कॉलेज प्रोफेसर है जो थोड़े अजीबोगरीब लेकिन दिल के बहुत साफ है। उनकी सबसे बड़ी खासियत या खामी है उनका बोलते हुए थूक उगलना। उनकी क्लास में स्टूडेंट्स हेलमेट लगाकर बैठते हैं और चश्मे पर वाइपर चढ़ाते हैं। सतीश शाह ने इस किरदार को इतना कन्विंसिंगली निभाया कि फिल्म के तमाम अतरंगी किरदारों के बीच वो याद रह गए। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर रही और सतीश शाह का यह किरदार फिल्म की यादगार चीजों में से एक रहा। उन्होंने साबित किया कि छोटे रोल्स में भी बड़ा इंपैक्ट छोड़ा जा सकता है। [संगीत] निखिल आडवाणी के डायरेक्शन में बनी कल हो ना हो एक इमोशनल रोमांटिक ड्रामा थी। इसमें सतीश शाह ने कर्स भाई पटेल का रोल निभाया। कर्सन भाई पटेल न्यूयॉर्क में रहने वाले अमीर गुजराती हैं जो डायल ए ढोकला नाम की फूड चैन चलाते हैं। वो सैफ अली खान के किरदार रोहित पटेल के पिता बने थे। कृष्ण भाई पटेल एक टिपिकल गुजराती फैमिली के मुखिया हैं और उन्होंने अपनी पत्नी के साथ न्यूयॉर्क में मिनी गुजरात बसा रखा है।
सतीश शाह खुद भी गुजराती थे और इस रोल में परफेक्टली फिट हो गए थे। कल हो ना हो साल की सबसे बड़ी हिट्स में से एक रही थी। [संगीत] कुंदन शाह की 1983 की कल्ट क्लासिक जाने भी दो यारों भारतीय सिनेमा की सबसे शानदार सटारिकल कॉमेडीज में से एक है। इस फिल्म में सतीश शाह ने म्युनिसिपल कमिश्नर डिमेलो का किरदार निभाया था। डिमेलो एक भ्रष्ट सरकारी अफसर है जो रिश्वत लेकर बिल्डर्स को सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स देता है। जब दो फोटोग्राफर्स उनके करतूतों को एक्सपोज करने की कोशिश करते हैं तो डिमेलो को मार दिया जाता है। लेकिन उनकी डेड बॉडी पूरी फिल्म में घूमती रहती है।
जिससे तमाम कॉमिक और सारकास्टिक सिचुएशनंस बनती है। कहानी भी तो यारों शुरुआत में फ्लॉप हुई थी लेकिन बाद में कल्ट क्लासिक बन गई। सतीश शाह की परफॉर्मेंस जिंदा और मुर्दा दोनों रूपों में शानदार थी। महाभारत के द्रोपदी चीरहरण सीन में उनकी डेड बॉडी का इस्तेमाल आज भी भारतीय सिनेमा के सबसे मजेदार और क्लासिक सीन्स में गिना जाता है। यह फिल्म सतीश शाह के करियर का टर्निंग पॉइंट थी। इसने उन्हें एक वो स्टाइल एक्टर के रूप में पहचान दिलाई जो सटायर, कॉमेडी और ड्रामा सब कुछ कर सकता था। [संगीत] 1990 में एक फैंटसी एडवेंचर फिल्म आई थी हातिम ताई। इसमें सतीश शाह ने फिल्म के सेंट्रल कैरेक्टर हातिम के दोस्त नजरुल का किरदार निभाया था। नजरुल एक वफादार साथी और सलाहकार है। वह एक बुद्धिमान और चतुर व्यक्ति है जो मुश्किल वक्त में हातिम की मदद करता है। उनका किरदार कॉमिक रिलीफ के साथ-साथ फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने में भी अहम रोल निभाता है। हातिम ताई एक बड़े बजट की फिल्म थी जिसने बॉक्स ऑफिस पर मिक्स्ड परफॉर्मेंस दी लेकिन सतीश शाह की परफॉर्मेंस को सराहा गया। उन्होंने इस फैंटसी सेटिंग में भी अपनी नेचुरल कॉमेडी बरकरार रखी। यह फिल्म उनकी वर्स्टैलिटी का एक और सबूत थी। उन्होंने साबित किया कि वह किसी भी जॉनरा में काम कर सकते हैं और अपनी छाप छोड़ सकते हैं। [संगीत] डेविड धवन के डायरेक्शन में बनी हीरो नंबर वन एक मास कॉमेडी फिल्म थी जिसमें गोविंदा और करिश्मा कपूर ने लीड रोल्स किए थे। इसमें सतीश शाह ने पप्पी नाम का एक मजेदार किरदार निभाया। पप्पी एक म्यूजिक कंपोजर है जिसे म्यूजिक कंपोज करना आता ही नहीं है। कोई इधर-उधर से धुनें चुराकर काम चलाना चाहता है।
फिर गोविंदा का किरदार राजू उसकी मदद करता है और पप्पी फाइनली म्यूजिक कंपोजर बन ही जाता है। यूपी वाला ठुमका गाने में उनका डांस तो जैसे सोने पर सुहागा था। इस फिल्म में उनकी गोविंदा और करिश्मा कपूर के साथ की केमिस्ट्री जबरदस्त थी। हीरो नंबर वन बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और 90ज की सबसे मजेदार कॉमेडीज में से एक बनी। डेविड धवन की फिल्मों में सतीश शाह ने कई बार काम किया और हर बार अपनी यूनिक कॉमेडी से दर्शकों को हंसाया। [संगीत] कुंदन शाह की एक और फिल्म में सतीश शाह ने काम किया था। 1993 में आई कभी हां कभी ना एक रोमांटिक कॉमेडी ड्रामा थी जिसमें शाहरुख खान ने अपनी बेस्ट परफॉर्मेंससेस में से एक दी थी। जिसमें सतीश शाह ने साइमन गोंसालविस का रोल किया था जो शाहरुख के किरदार की लव इंटरेस्ट एना के पिता थे। साइमन एक क्रिश्चियन फैमिली से हैं। वो एक सीधे साधे और प्यारे पिता है और अपनी बेटी की शादी क्रिश से करवाना चाहते हैं। लेकिन वो सुरेंद्र से भी प्यार करते हैं। उनका किरदार सेंसिटिव और इमोशनल था जिसमें कॉमेडी के साथ-साथ पैरेंटल कंसर्न भी दिखा।
ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औसत रही लेकिन बाद में कल्ट क्लासिक बन गई।अजीज मिर्जा के डायरेक्शन में बनी फिर भी दिल हिंदुस्तानी वक्त से आगे की फिल्म थी। मीडिया का जो सर्कस अब पूरे विस्फोटक अंदाज में जारी है, उसकी भविष्यवाणी इस फिल्म ने बहुत पहले कर दी थी। इसमें शाहरुख खान और जूही चावला ने लीड रोल्स किए थे। इस सटारिकल फिल्म में सतीश शाह ने काका चौधरी का किरदार निभाया था। काका चौधरी के टीवी नाम के एक टीवी चैनल का मालिक है।
यह चैनल न सिर्फ टीआरपी के लिए गिरी हुई हरकतें करता है बल्कि भ्रष्ट पॉलिटिशियंस का एजेंडा भी पुश करता है। उनका किरदार फिल्म के मुख्य विलंस में से एक था। लेकिन सतीश शाह ने इसे इतनी सर्टेलिटी से निभाया कि वो डरावने से ज्यादा रियलिस्टिक लगे। उन्होंने एक नेगेटिव रोल में भी अपनी क्लास दिखाई। यह रोल दिखाता है कि सतीश शाह सिर्फ कॉमिक एक्टर नहीं थे। वो एक कंप्लीट परफॉर्मर थे जो किसी भी तरह के किरदार को जिंदा कर सकता था। [संगीत] शाहद अली की डायरेक्टोरियल डेब्यू साथिया एक रोमांटिक ड्रामा थी जिसमें विवेक ओबेराय और रानी मुखर्जी ने लीड रोल्स किए थे। इसमें सतीश शाह ने बैरिस्टर ओम सैगल का रोल निभाया। बैरिस्टर ओम सहगल हीरो आदित्य के पिता हैं। जो एक सक्सेसफुल और सख्त व्यक्ति हैं। वह चाहते हैं कि उनका बेटा भी बैरिस्टर बने और एक ट्रेडिशनल जिंदगी जिए।
उनके लिए क्लास और समाजी रुतबा बड़ी अहम चीजें हैं। उनका किरदार एक स्ट्रिक्ट पिता का था जो अंत में अपने बेटे को स्वीकार करता है। साथ ही बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और सतीश शाह की परफॉर्मेंस को भी सराहा गया। उन्होंने एक सख्त लेकिन प्यार करने वाले पिता का रोल बहुत इफेक्टिवली निभाया। [संगीत] डीडी नेशनल पर प्रसारित यह जो है जिंदगी 1980 का एक लैंडमार्क सिट कॉमन था। कुंदन शाह द्वारा क्रिएटेड इस शो में सतीश शाह ने मल्टीपल कररेक्टर्स निभाए। इस शो में सतीश शाह मुख्य कास्ट का हिस्सा थे और उन्होंने 55 एपिसोड्स में अलग-अलग 55 किरदार निभाए। चाहे वो एक फ्रस्ट्रेटेड ऑफिस वर्कर हो, एक परेशान पति हो या कोई और किरदार। हर एपिसोड में उन्होंने अपनी यूनिक कॉमेडी से शो को मजेदार बनाया। यह जो है जिंदगी भारतीय टेलीविजन का बेहद पॉपुलर सिट कॉम बना और सतीश शाह इसके स्टार्स में से एक थे। इस शो ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई और उन्हें टेलीविजन का एक बड़ा चेहरा बना दिया। यह शो सतीश शाह के करियर का फाउंडेशन स्टोन था। इसने उन्हें एक वर्स्टाइल कॉमिक एक्टर के रूप में स्थापित किया और आगे की सभी सफलताओं की नींव रखी।
सतीश शाह का जाना सिर्फ एक एक्टर का जाना नहीं है। यह एक युग का अंत है। उन्होंने साबित किया कि कॉमेडी जब रियलिटी में रूटेड हो तो किसी भी ड्रामेटिक परफॉर्मेंस जितनी पावरफुल हो सकती है। उन्होंने कैरेक्टर एक्टर्स के बारे में स्टीरियोटाइप्स तोड़े और साबित किया कि वर्स्टिटी ही सच्ची स्टारडम है। आज वो नहीं है लेकिन उनके किरदार उनकी अमर विरासत है। ये सब हमेशा हमारे साथ रहेंगे। सतीश शाह ने सिर्फ फिल्में और शोज़ ही नहीं किए। हमें खुशियां दी, हंसी दी और जिंदगी को लाइटली लेने का हुनर सिखाया। उन्हें एम्बोलेटो की तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि।
