गलवान वैली फिल्म में कर्नल संतोष बाबू का रोल करेंगे सलमान।

सलमान खान के सिकंदर बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिटी फैंस भी उन्हें बीच मजधार में छोड़कर उतर गए खबरें आने लगी हैं कि सलमान मंथन कर रहे हैं कि आगे क्या करना है ऐसे कौन से प्रोजेक्ट चुनने हैं जो उनके स्टारडम के साथ न्याय कर सके इस क्रम में कबीर खान और अली अब्बास जफर जैसे फिल्म मेकर्स के नाम आए लेकिन फिर सारे अनुमानों को हवा करते हुए उनके अगले प्रोजेक्ट पर अपडेट आता है बताया जाता है कि सलमान साल 2020 की गलवान घाटी में हुई झड़प पर फिल्म बनाने जा रहे हैं इस फिल्म को अपूर्व लाखियार डायरेक्ट करेंगे क्योंकि फिल्म लद्दाख में शूट होगी .

इसके लिए सलमान ने कड़ी ट्रेनिंग भी शुरू कर दी है वहां हवा पतली है उसमें ऑक्सीजन की कमी है इसलिए सलमान उस माहौल के अनुरूप ही खुद को ट्रेन कर रहे हैं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो फिल्म में सलमान शहीद कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू के रोल में नजर आएंगे यह सलमान के करियर की पहली बायोपिक होने वाली है दरअसल अपूर्व और सलमान की पहली फिल्म राहुल सिंह और शिव अरूर की किताब इंडियास मोस्ट फेयरलेस थ्री के एक चैप्टर पर बेस्ड होगी इस चैप्टर का टाइटल है आई हैड नेवर सीन सच फियर्स फाइटिंग यानी मैंने आज तक इतनी भीषण झड़प नहीं देखी यह बात किसने कही जून 2020 की उस रात को आखिर क्या हुआ था 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी संतोष बाबू कौन थे यह पूरी कहानी हम आपकोबताएंगे।

15 जून 2020 शाम 7:30 बजे का समय अंधेरा हो चुका था गलवान नदी की उफान भरी चिंघाड़ हवा से टकरा रही थी तभी पेट्रोल पॉइंट 14 पर तैनात हवलदार धर्मवीर कुमार सिंह को कुछ सुनाई पड़ता है यह नदी की आवाज नहीं कदमों की आवाज उनकी ओर बढ़ रही है एक दो नहीं हजार कदम एक साथ जमीन को रौंदते हुए आगे बढ़ रहे हैं हवलदार धर्मवीर को अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था आंखें मीच कर दूर देखने की कोशिश निरर्थक थी अंधेरे के पार कुछ भी देख पाना मुमकिन नहीं था किताब में हवलदार धर्मवीर ने कहा “हम 400 से भी कम थे हमें जल्द ही पता लगने वाला था कि हमारी तरफ दौड़ते हुए चीनी सैनिकों की संख्या तीन गुनी थी हम पिछले 2 घंटों से चीनी सैनिकों से लड़ रहे थे लेकिन यह उनकी मुख्य फोर्स थी चीनी पक्ष ने हम पर पूरी तरह से हमला कर दिया था आगे बढ़ने से पहले थोड़ा गलवान घाटी को समझ लेते हैं .

यह लद्दाख का क्षेत्र है यह इलाका लद्दाख के पूर्व में है और भारत चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी कि के पास पड़ता है गलवान नदी का बहाव अक्साई चीन से लद्दाख की ओर है अक्साई चीन पर अभी चीन का कब्जा है गलवान नदी लद्दाख में आकर शोक नदी में मिल जाती है और शोक नदी के बीच गलवान नदी के आसपास का इलाका गलवान घाटी कहलाता है भले ही भारतीय और चीनी आर्मी की भयानक झड़प 15 जून को हुई लेकिन चीन पहले से इसकी तैयारी कर रहा था 4 मई की सुबह लेह में तैनात मेडिक नायक दीपक बैरक में मरीजों की जांच कर रहे थे तभी 16 बिहार रेजिमेंट के सूबेदार एस आर साहू का आर्डर आता है सभी को फौरन केएम 120 पहुंचना है नायक दीपक ने पूछा कि वह आ गए हैं यहां वो चीनी सैनिकों की बात कर रहे थे केएम 120 शोक नदी के पास स्थित भारतीय आर्मी की एक पोस्ट है यह लेह से करीब 85 कि.मी की दूरी पर है सूबेदार साहू जानते थे कि चीनी आर्मी आगे बढ़ती जा रही है इसलिए उनकी रेजीमेंट को बुलाया गया है 16 बिहार रेजीमेंट के जवान 5 मई को रात 1:00 बजे पोस्ट पर पहुंच चुके थे अगली सुबह उस पोस्ट पर शांति थी लेकिन खबर पहुंचती है कि लद्दाख के पगोंगसो में भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प हुई है.

5 मई को 17 कुमाऊं बटालियन और चीनी सेना के बीच जो झड़प हुई उसे गलवान घाटी विवाद का ट्रिगर पॉइंट माना जाता है सूबेदार साहू ने बताया कि 6 मई की सुबह 75 जवान केएम 120 से रवाना हुए उन्हें पेट्रोल पॉइंट 14 से पहले पड़ने वाले पेट्रोल बेस तक पहुंचना था 7 मई की दोपहर 16 बिहार रेजीमेंट के सेकंड इन कमांड लेफ्टिनेंट कर्नल रविकांत ने देखा कि कुछ चीनी सैनिक पेट्रोल पॉइंट 14 के करीब आ गए हैं चीनी सिपाही अपनेत्राधिकार से बाहर थे लेफ्टिनेंट कर्नल रविकांत उन्हें आगाह करने के लिए पहुंचे यहां बातोंबातों में दोनों दलों के बीच झड़प हो गई सूबेदार साहू बताते हैं कि वह बहुत छोटी झड़प थी दोनों तरफ के जवान चोटिल हुए लेकिन किसी भी ओर ज्यादा क्षति नहीं हुई इस घटना से भले ही भारतीय आर्मी का नुकसान नहीं हुआ लेकिन जवानों के मन में एक किस्म का गुस्सा था वो इस बात से खफा थे कि चीनी सैनिक उनके सेकंड एंड कमांड ऑफिसर के साथ ऐसी बदतमीजी कैसे कर सकते हैं हालांकि लेफ्टिनेंट कर्नल रविकांत ने उन्हें शांति से काम करने की ही सलाह दी इस घटना के बाद भी भारतीय और चीनी सैनिक कई मौकों पर एक दूसरे के आमने-सामने होते भले ही हाथापाई नहीं होती थी.

लेकिन कहासनी की खबरें जरूर सुनने को मिलती गलवान घाटी और पगोंग के कुछ इलाकों में हुए तनाव को सुलझाने के लिए दोनों तरफ के ऑफिसर्स की मीटिंग हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला ऐसी नौबत बन पड़ी कि सीनियर मिलिट्री अधिकारी ही इसे संभाल सकते हैं नतीजतन 6 जून को भारतीय आर्मी के लेह में स्थित यूनिट के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीनी मेजर जनरल लिन ल्यू की मीटिंग हुई।

इस मीटिंग के बाद विदेश मंत्रालय ने एक स्टेटमेंट जारी किया बताया कि दोनों पक्ष मिलिट्री और डिप्लोमेटिक समझौतों का सम्मान करेंगे और शांतिपूर्वक इस मसले का हल खोजेंगे इस प्रेस रिलीज की खबर अभी देश के हर कोने में भी नहीं पहुंची थी कि चीनी सेना अपनी बात से पलट गई 7 जून को उनकी एक टुकड़ी पेट्रोल पॉइंट 14 से आगे बढ़ गई उन्होंने भारत की ओर पड़ने वाली लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल वाले हिस्से में कुछ टेंट लगा दिए इस पर भारतीय सेना से बहस हुई वो वहां से पीछे भी हटे लेकिन पेट्रोल पॉइंट 14 से आगे जाने को राजी नहीं हुए अगले एक हफ्ते कुछ और मीटिंग्स हुई लेकिन सब निष्फल साबित हुई चीनी सैनिक अभी भी PP4 पर ही थे हवलदार धर्मवीर ने बताया कि उनके कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी संतोष बाबू पीपी तक गए चीनी ऑफिसर से वापस लौटने को कहा बताया कि वह लोग भारत की सीमा में है इस पर दूसरी ओर से जवाब आया कि आप लोग वापस चले जाइए आप चीन की सीमा में हैं हर मुमकिन तरीके से चीनी आर्मी के ऑफिसर को समझाने की कोशिश की गई मगर वो लोग पीछे नहीं हटे उस पूरे हफ्ते में कई मौकों पर ऐसा ही हुआ लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल रहा था.

15 जून की सुबह चीनी आर्मी अपने प्लान में आगे बढ़ी उन्होंने पीपी-14 के पास एक ऑब्जरवेशन पोस्ट बना लिया यहां से वो भारतीय आर्मी की हर गतिविधि पर नजर रख सकते थे कर्नल बाबू इस बात पर भड़क गए वो नहीं चाहते थे कि चीनी आर्मी ऑब्जरवेशन पोस्ट के जरिए उनकी सेना की हर खबर आगे पहुंचाती रहे साथ ही उन्हें इस बात का भी आभास हो गया था कि चीनी सेना के मंसूबे सही नहीं थे उसी दोपहर 3:00 बजे कर्नल बाबू ने केएम 120 के लिए एक संदेश भेजा वहां से 75 जवानों को पीपी4 बुलाया गया उस पोस्ट पर 81 जवान मौजूद थे करीब आधे घंटे बाद सात गाड़ियों में बैठकर 75 जवान पीपी4 के लिए रवाना हो चुके थे दूसरी ओर कर्नल बाबू ने आदेश दिया कि वह अपने साथ एक ग्रुप लेकर जाएंगे उनका काम होगा कि वह चीन के ऑब्जरवेशन पोस्ट को ध्वस्त कर दें बिना वक्त गवाए कर्नल बाबू अपने साथियों के साथ पीपी4 की ओर बढ़े अपनी गाड़ियों से उतर कर वो सीधा वहां पहुंची जहां टेंट और ऑब्जरवेशन पोस्ट लगे थे कर्नल बाबू ने चीनी यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर चेन हंग जून से सीधा कहा कि आप और आपके जवान वापस लौट जाइए चीनी ऑफिसर ने कुछ कहा नहीं बल्कि उसने जोर से कर्नल बाबू को धक्का दिया उनके साथ बदतमीज़ी करने लगा भारतीय जवान बात करने की कोशिश करे और दूसरा पक्ष सिर्फ धक्कामुक्की पर उतारू था जब कर्नल बाबू को धक्का लगा तब उनकी टुकड़ी के सीने में एक आग धदधक उठी हर यूनिट अपने कमांडिंग ऑफिसर को बहुत मानती है उनके साथ ऐसा होते हुए नहीं देख सकती थी वहां मौजूद एक फौजी ने इस पर कहा था यह ऐसा था जैसे आप अपने पेरेंट्स पर वार होते हुए देख रहे हो क्या आप चुपचाप खड़े होकर ऐसा देख पाओगे बिल्कुल भी नहीं कोई भी नहीं सह सकेगा।

भारतीय और चीनी सैनिक एक दूसरे पर टूट पड़े हाथों से हमले होने लगे आसपास पड़े पत्थरों का इस्तेमाल किया गया कुछ चीनी सैनिक दौड़कर थोड़ी ऊंचाई पर पहुंच गए ताकि वहां से भारतीय सेना पर पत्थर फेंक सके दोनों पक्ष इस तरह से लड़ते रहे कुछ देर बाद पत्थरबाजी रुक गई चीनी सैनिक वापस लौटने लगे हालांकि इस दौरान छह चीनी अधिकारी चोटिल हो गए उनमें से एक कमांडिंग ऑफिसर था और दूसरा उनका इंटरप्रेटर था भारतीय सेना उन्हें अपने साथ ही ले आई उनका इलाज शुरू हुआ लेकिन यहां आर्मी के सामने एक बड़ी समस्या पैदा हो गई इंटरप्रेटर को होश नहीं आ रहा था कर्नल बाबू चाहते थे कि वो इंटरप्रेटर के जरिए इस तनाव को रोकने का संदेश भेजें लेकिन अब वो उम्मीद भी क्षीण पड़ चुकी थी ।

कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू यह जानते थे कि चीनी सैनिक इतने पर नहीं रुकने वाले वो हमला करने के लिए जरूर लौटेंगे ऐसे में उन्होंने केएम 120 से मदद मांगी तीन पंजाब इनफेंट्री बटालियन 81 फील्ड रेजीमेंट और तीन मीडियम रेजीमेंट के जवान पहुंच गए फौज को सेटल होने का समय भी नहीं मिला क्योंकि अंधेरा होते ही चीनी सेना ने हमला शुरू कर दिया भारतीय सेना के 400 जवान अपने जज्बे के साथ तैयार थे लेकिन उनके सामने 1200 चीनी सैनिक अंधाधुंध दौड़ते हुए नजर आ रहे थे भीषण झड़प हुई ऐसी चीख पुकार मची कि घाटी में कोई और शोर सुनाई ही नहीं दे रहा था इससे पहले कि झड़प में हाथापाई हो रही थी या फिर एक दूसरे पर पत्थर से हमला किया जा रहा था लेकिन इस बार चीनी सेना के हाथों में सिर्फ पत्थर नहीं थे वो कांटों से लिपटे हुए डंडे लेकर लड़ रहे थे उनके पास राइट गियर था उनका इस्तेमाल दंगे जैसी स्थिति में होता है इंडियन आर्मी को समझ आ गया था कि यह पेट्रोलिंग वाली यूनिट नहीं है यह कोई स्पेशल फोर्स है जो पहले से इस हमले के लिए तैयार थी उस रात के बारे में सूबेदार साहू ने बताया रात में बहुत जबरदस्त फाइट हुई बहुत लोग ने जान गवाई गए किसी का सिर कुचला गया किसी की छाती पर चोट आई उनका भी वही हाल था और हमारा भी वही हाल दोनों सेनाओं के सैनिक हर तरफ लड़ रहे थे कुछ लड़ते हुए गलवान नदी में जा रहे थे उस पानी में चंद पल ठहरना भी रूह को कपकपाने वाला एहसास देता था ऊपर से हवा बहुत पतली थी वहां का ऑक्सीजन लेवल ऐसा था कि 200 मीटर चलने पर सांस फूलने लगे ऐसी परिस्थिति के बावजूद भारतीय सेना पूरी हिम्मत से चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दे रही थी तभी उन्हें एक बड़ा झटका मिला घंटे भर लड़ने के बाद फौज को एहसास हुआ कि कमांडिंग ऑफिसर वहां नहीं है यह संदेश के 120 भेजा गया कि सीओ साहब नहीं मिल रहे हैं।

उनके रेडियो से संपर्क किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला उनके बीएसएनल नंबर पर फोन घुमाया गया लेकिन वो नेटवर्क से बाहर था एक तरफ खूनखचर मचा देने वाली जंग चल रही थी तो दूसरी तरफ कमांडिंग ऑफिसर की खोज शुरू हो गई 9:30 बजे तक यह झड़प चलती रही हवलदार धर्मवीर ने उस मंजर को याद कर कहा कि मैंने आज तक इतनी भीषण झड़प नहीं देखी भारतीय सेना संख्या में भले ही कम थी।

लेकिन उनकी रगों में कूट-कूट कर जोश बह रहा था सबके मुंह पर एक ही बात थी कि किसी भी तरह चीनी सैनिकों को खदेड़ना है ऐसा ही हुआ भी रात के करीब 10:30 बजे घाटी में फिर से सन्नाटा पसरने लगा चीनी सैनिक अपने घायलों को पीछे छोड़कर लौट गए भारतीय सेना के लिए अभी भी रात खत्म नहीं हुई थी सब कुछ शांत होने के बाद जवान नदी के किनारे बैठे गिनती शुरू हुई लेकिन कमांडिंग ऑफिसर अभी भी लापता ही थे तेजी से उन्हें खोजा जाने लगा आधी रात को उनकी बॉडी मिली डॉक्टर्स अपनी पुरजोर कोशिश में लग गए कि उन्हें किसी भी तरह से सांस आ जाए लेकिन कोई भी प्रयास कारगर साबित नहीं हुआ कर्नल बाबू को उठाने की कोशिश की तभी उनकी नाक से खून के थक के बहने लगे डॉक्टर्स को आशंका होने लगी कि अब बहुत देर हो चुकी है उन्हें दुर्बु के आर्मी हॉस्पिटल भेजा गया लेकिन कर्नल संतोष बाबू को बचाया नहीं जा सका उस रात हुई झड़प में कर्नल संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हुए चीनी सैनिकों के झड़प के दौरान कर्नल संतोष बाबू गंभीर रूप से घायल हो गए थे उसके बाद भी वह अपनी आखिरी सांस तक सामने वाली आर्मी से लड़ते रहे और उन्हें कामयाब नहीं होने दिया उनके इसी अद्वितीय साहस के लिए उन्हें महावीर चक्र अवार्ड से भी सम्मानित किया गया तेलंगाना के सूर्यपेठ में जन्मे संतोष बाबू साल 2004 में लेफ्टिनेंट बने उन्हें 16 बिहार रेजीमेंट में कमीशन किया गया अपने पहले असाइनमेंट के लिए कश्मीर भेजा गया साल 2019 में उन्हें 16 बिहार रेजीमेंट की लद्दाख में तैनात यूनिट का कमांडिंग ऑफिसर बनाया गया था पिता ने आगे चलकर एक इंटरव्यू में कहा था कि आर्मी का सपना उनका था लेकिन वो उनके बेटे ने पूरा किया।

अब गलवान घाटी की झड़प और कर्नल बी संतोष बाबू की कहानी को बड़े पर्दे पर दर्शाया जाएगा सलमान इस रोल के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं बताया जा रहा है कि जुलाई 2025 से फिल्म की शूटिंग भी शुरू होने वाली है इसे 70 दिनों में शूट किया जाएगा मेकर्स का प्लान है कि इस फिल्म को 2026 में रिलीज किया जाए बाकी अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई रिलीज डेट अनाउंस नहीं हुई है यह पूरी जानकारी आपके लिए तैयार की थी मेरे साथी यमन ने मैं हूं गरिमा आप देख रहे हैं ललन टॉप सिनेमा शुक्रिया [संगीत] – Generated with https://kome.ai

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