रूस में अब मां बनने वालों को मिलेगी मोटी रकम। जी हां, रूस अब लड़कियों को मां बनने के लिए पैसे दे रहा है। वह भी ₹1 लाख तक। दरअसल, रूस के 10 हिस्सों में एक नई योजना शुरू की गई है। जिसमें कम उम्र की स्कूल जाने वाली लड़कियों को भी शामिल किया गया है ताकि वह बच्चे पैदा करें। ऐसा इसलिए क्योंकि रूस इस समय जनसंख्या संकट से जूझ रहा है।
2023 में वहां प्रति महिला औसतन सिर्फ 1.41 बच्चे पैदा हो रहे थे। जबकि जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए कम से कम 2.5 की दर चाहिए। रूस दुनिया का नौवां सबसे बड़ा देश है। 14.3 करोड़ की आबादी में पुरुष सिर्फ 46.7% हैं। देश में महिलाओं की संख्या ज्यादा है लेकिन जनसंख्या घट रही है और बूढ़ी हो रही है। इसी संकट से निपटने के लिए रूस प्रोनेटलिस्ट पॉलिसी चला रहा है। यानी ऐसी नीतियां जिनसे लोग ज्यादा बच्चे पैदा करें। इतना ही नहीं जो महिलाएं 10 या उससे ज्यादा बच्चे पैदा करती हैं उन्हें मदरहुड मेडल और ₹1 लाख तक का इनाम भी दिया जाता है।
इस मामले का एक और पहलू है राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन का मानना है बड़ी आबादी बड़ी सेना और शायद यही वजह है कि मातृत्व को रूस में अब देशभक्ति से भी जोड़ा जा रहा है। रूस यूक्रेन युद्ध में अब तक 2.5 लाख से ज्यादा रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं और लाखों पढ़े लिखे युवा विदेश पलायन कर चुके हैं। हालांकि रूस में ही इस नीति पर विरोध भी हो रहा है लेकिन सरकार पीछे नहीं हट रही। 2024 में एक नया कानून पास हुआ है जो लोगों की सिंगल रहने या सिर्फ करियर पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करने वाले विचारों पर रोक लगाता है। इससे रूस की जनसंख्यिकी स्थिति और बिगड़ गई है।
खासकर युवा पुरुषों की कभी। इसी वजह से स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को मां बनने के लिए पैसे देने का फैसला लिया गया है जो कि दुनिया भर में विवादित है। रूस में निजी क्लीनिकों में गर्भपात पर कई तरह की रोक लगाई गई है ताकि महिलाएं आसानी से गर्भपात ना कर पाएं। आपको बता दें कि ऐसी नीतियां लाने वाला रूस अकेला देश नहीं है। दुनिया के कई देश अब जनसंख्या बढ़ाने के लिए पैसों का लालच दे रहे हैं।
यूरोप के कई देशों जैसे हंगरी, माल्टा और पोलैंड में भी इसी तरह की पाबंदियां देखी जा रही हैं। हंगरी में तीन से ज्यादा बच्चों पर टैक्स छूट दी जाती है। पोलैंड में हर महीने हर बच्चे पर ₹11,000 की मदद दी जाती है। तो वहीं अमेरिका में ट्रंप ने हर बच्चे पर $5,000 का प्रस्ताव दिया था। सिंगापुर में भी सरकार तीसरे बच्चे पर ₹ लाख की मदद देती है। लेकिन सच्चाई यह है कि सिर्फ पैसे या स्कीमों से जनरल में तेजी नहीं आती। लोगों के फैसले, सामाजिक और आर्थिक कारणों पर निर्भर करते हैं। जैसे महंगाई, करियर, बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी और भविष्य का भरोसा। यही वजह है कि कई बार ऐसी स्कीमें सिर्फ उच्च आय वाले वर्ग तक ही सीमित रह जाती हैं। जिसे हंगरी या पोलैंड में देखा गया है। इसी सिलसिले में स्पेन में इमीग्रेशन पॉलिसी को आसान बनाया गया है ताकि लैटिन अमेरिका से स्पेनिश भाषी लोग देश में बस सकें और जनसंख्या बढ़ाई जा सके।
फिलहाल रूस की जनसंख्या अब सिर्फ आंकड़ा नहीं बल्कि रणनीति बन चुकी है। एक ऐसी रणनीति जिससे देश अपनी ताकत और प्रभाव बचाए रखना चाहता है। लेकिन क्या कम उम्र की लड़कियों को मां बनने के लिए पैसा देना इसका सही तरीका है? यह सवाल अब वैश्विक बहस का विषय बन गया है।