यह पाकिस्तान के अखबार डॉन के खबर की पहली लाइन है। खबर भारतपाकि मैच की थी। 28 सितंबर को भारत ने पड़ोसियों को हराया और अगले दिन की सुबह पाकिस्तानी अखबारों में मातम छा गया। कुछ ने घुमा फिराकर भारतीय टीम की कमियां निकाली और कुछ ने अपनी ही टीम को खूब सुना दिया। ये तक लिख दिया गया कि पाकिस्तान टीम जो काम सबसे अच्छा करती है वो है अपने फैंस को निराश करने का काम। और क्या छापा गया? यह जानने के लिए हमने कुछ पाकिस्तानी डिजिटल अखबारों को खंगाला।
तो इस वीडियो में जानेंगे कि पाकिस्तानी मीडिया ने भारत की जीत पर क्या लिखा है। शुरुआत अंग्रेजी अखबार डॉन से करते हैं। अगर आपको याद हो तो 14 सितंबर को कप्तान सूर्य कुमार यादव से पत्रकार ने पाकिस्तान टीम से राइवलरी यानी कि प्रतिद्वंदिता को लेकर एक सवाल किया था। जवाब में सूर ने कहा था कि भाई इसे राइवलरी कहना बंद करिए। वो तो बराबर वालों में होती है। हमारे स्पोर्ट्स में बहुत अंतर है। अब उसी राइवलरी को लेकर डॉन ने लिखा नॉट अ राइवलरी। वेल स्टिल वेरी मच अ राइवलरी यानी प्रतिद्वंदिता तो बहुत ज्यादा है।
आगे लिखा गया कि यह एक बहुत बड़ी राइवलरी होती है जब पाकिस्तानी खिलाड़ी के मारने या विकेट लेने पर भारतीय खिलाड़ी निराश हो जाते हैं। यह राइवलरी ही है कि गौतम गंभीर पागलों की तरह टेबल पर हाथ मारते हैं। डॉन के ही एक और आर्टिकल में लिखा गया कि पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने भारत के खिलाफ मैच में वही किया जो वो सबसे अच्छा करती है। फैंस को निराश करने का काम। जिस तरह से पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने भारत के लड़ाकू विमानों के गिराए जाने का जश्न मनाया था, भारतीय गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने उसकी नकल की। बुमराह को पता नहीं था कि वो असल में अपनी ही वायु सेना का मजाक उड़ा रहे हैं।
यहां लड़ाकू विमानों का जिक्र हो रहा है तो आपको बता दें कि पाकिस्तान में एक झूठा प्रोपेगेंडा चलाया जाता है कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने भारत के जेट गिराए थे। हालांकि उनके पास इस बात का कोई सबूत नहीं है। यह एक झूठ है जिसे पाकिस्तान बार-बार चलाता है। ठीक वैसे ही जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप दोनों देशों के बीच सीज फायर करवाने का क्रेडिट लेते हैं। खैर, अब बढ़ते हैं दूसरे पाकिस्तानी अखबार की तरफ। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने भारतीय जीत को ग्लोरी विदाउट ग्रेस बताया।
यानी जीत तो गए लेकिन तरीका अच्छा नहीं था। आगे लिखा गया कि जब भारतीय टीम ने मोहसिन नकवी से ट्रॉफी लेने से इंकार कर दिया। उसके बाद भी जब वह खड़े रहे थे तो मैदान में अजीब स्थिति बन गई थी। सूत्रों ने बताया कि बीसीसीआई के कहने पर ट्रॉफी लेने से मना किया गया था। जियो न्यूज़ ने लिखा कि तीसरी बार दिल टूटा। एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान की हार ने पूरे देश को झकझोड़ दिया। यह रात जश्न की होनी चाहिए थी। दिल टूटने के बाद हारिस रऊ फैंस और विश्लेषकों के निशाने पर थे।
पाकिस्तान के डेथ बॉलिंग के हथियार कहे जाने वाले हारिस मैच में विलेन बन गए थे। सोशल मीडिया पर भी फैंस के गुस्से की बाढ़ है। इंग्लिश पाकिस्तानी मीडिया संस्थान पाकिस्तान टुडे ने लिखा कि भारत ने मोहन नकवी के हाथों से एशिया कप ट्रॉफी लेने से इंकार कर दिया था। भारतीय टीम के मना करने के बावजूद नकवी अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने मांग को मानने से इंकार कर दिया और ट्रॉफी देने के लिए खड़े रहे।
इससे पहले भारतीय टीम के कप्तान सूर्यकुमार यादव ने टॉस के समय एक बार फिर से पाकिस्तानी कप्तान सलमान अली आगा से हाथ मिलाने से इंकार कर दिया था। चलते-चलते जानकारी के लिए बता दें कि भारत ने पांच विकेट से पाकिस्तान को मैच में हरा दिया था। पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतपाकिस्तान के बीच में तीन मैचेस हुए हैं और यह तीनों मैच भारत ने जीते हैं।