यमन में की सजा का सामना कर रही निमिषा प्रिया के मामले में अप्रत्याशित मोड़ आए हैं। इस मामले में यमनी नागरिक दलाल अब्दुल मेहंदी के भाई अब्दुल फतेह मेहदी ने निमिषा प्रिया की रिहाई के लिए काम कर रहे एक एक्टिविस्ट सैमुअल जेरोम पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
अब्दुल फतेह मेहंदी ने आरोपों में कहा है कि जेरोम निमिषा प्रिया के नाम पर जुटाए गए पैसों में हेराफेरी कर रहे हैं। मेहंदी ने आरोप लगाया कि जेरोम ने खुद एक वकील के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया है। इसके अलावा उन्होंने यमन में पीड़ित परिवार की भागीदारी या जानकारी के बिना क्राउड फंडिंग के जरिए जुटाए गए $400 सहित कई डोनेशन इकट्ठा किए। मेहंदी ने जेरोम को अपने आरोप को गलत साबित करने की चुनौती दी।
मेहंदी ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि यमनी राष्ट्रपति द्वारा फांसी की हरी झंडी मिलने के बाद मैं उनसे सना में मिला और उन्होंने मुझे एक बड़ी मुस्कान के साथ बधाई कहकर अभिवादन किया।
मेहंदी ने जेरोम पर मध्यस्ता के नाम पर हमारे बहाए गए खून का व्यापार करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वह अपनी धोखेबाजी बंद नहीं करते हैं तो सच्चाई सामने आ जाएगी। इस बीच सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने जेरम से खुद को अलग कर लिया। काउंसिल के कानूनी सलाहकार सुभाष चंद्रन के आर के अनुसार जेरोम ने 27 दिसंबर को दूतावास के माध्यम से ट्रांसफर किए गए $2000 पाने के तुरंत बाद 28 दिसंबर 2024 को ग्रुप को छोड़ दिया।
चंद्रन ने कहा कि उनके जाने का कारण स्पष्ट रूप से काउंसिल में शुरू की गई उनके कार्यों की जांच थी। चंद्रन ने कहा कि एक्शन काउंसिल ने जे रोम उपाध्यक्ष दीपा जोसेफ और सदस्य बॉबू जॉन से खुद को अलग कर लिया क्योंकि उन्होंने 15 जुलाई को यमिनी अधिकारियों द्वारा फांसी की सजा स्थगित करने के बाद मध्यस्थता प्रयासों को संभालने वाले व्यक्तियों का कथित रूप से अपमान किया था।
चंद्रन ने कहा उन्होंने स्टे ऑर्डर की वैधता पर सवाल उठाया और सुन्नी नेता कथापुरम एपी अबू बकर मुसालियर और मध्यस्था में शामिल यमनी सूफी विद्वानों का अपमान किया। उन्होंने झूठा दावा किया था कि वे इसका हिस्सा नहीं थे। परिषद ने दलाल मेहदी के परिवार से विभिन्न संबंधित व्यक्तियों द्वारा पहुंचाई गई पीड़ा के लिए क्षमा याचना की। चंद्रन के अनुसार निमषा प्रिया और दलाल मेहंदी दोनों के परिवार धोखे का शिकार हुए हैं।