यार हो क्या गया है आपको मतलब हद की भी हद पार कर रहे हैं आप कहां पहुंच गए हैं आप अच्छा अभी क्या हो रहा है अभी सबसे ताजा खबर बताता हूं फिर मैं कुछ सवाल आप लोगों से करूंगा और आप लोग मुझे बताइएगा कि क्या यह मेरा गुस्सा सही है क्या यह गुस्सा जायज है या नहीं है या मैं फालतू बकवास कर रहा हूं या नसीर साहब फालतू बकवास कर रहे हैं .
एक तो साहब करके इसलिए बोल रहा हूं कि यार कुछ भी हो उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को दिया है आठ फिल्में की हैं और अभिनय के लिए उन्हें जाना जाता है लेकिन एक वक्त तक आते-आते ऐसा लगता है कि शायद एज का असर उनके सर पर होने लगा है क्यों तो अभी सबसे ताजा एग्जांपल देंगे फिर आपको पिछले कुछ एग्जांपल भी देंगे और फिर आपसे सवाल करेंगे ठीक है नंबर एक अभी ताजाताजा एक इंटरव्यू उन्होंने दिया है और उस इंटरव्यू में उन्होंने बोला है कि फिल्म फेयर अवार्ड जो मिले थे उन्हें तीन अवार्ड्स मिले थे और तीन अवार्ड्स में से दो अवार्ड को उन्होंने बाथरूम का हैंडल बना लिया है यार मतलब आप दिमाग की सोच देखेंगे अगर आप ध्यान रखेंगे तो कुछ इस तरह की होती है ना अवार्ड वाली जो जो अवार्ड होता है फिल्म फेयर अवार्ड का वो कैसा होता है काले कलर की एक महिला टाइप होता है ना अब वो महिला फिल्म फेयर अवार्ड की जो महिला सी एक पूरा वो होता है पूरा यार वो बाथरूम का हैंडल बनवा लिया है मतलब कुछ इस तरह का है.
आपको पूरी पिक्चर भी स्क्रीन पर दिखा देते हैं मतलब एक तो यार मुझे ये ये जो है कि मतलब जिस तरह की प्रतिमा होती है फिल्म फेयर अवार्ड की मतलब एक आई डोंट नो मतलब मुझे तो उस तरह का अवार्ड दिया जाना मुझे वैसे ही पसंद नहीं है ऊपर से इन्होंने बाथरूम का दरवाजा बना लिया है अब ये कहते हैं साहब कि जो भी कोई बाथरूम खोलता है उसे दो बार फिल्मफेयर अवार्ड मिलता है क्या यार ये क्या अच्छा अवार्ड्स को लेके मेरे मन में कोई खास वो नहीं है आप सब जानते हैं अवार्ड समारोह मैं बहुत कवर भी नहीं करता हूं और अवार्ड समारोह को लेके मेरे मन में एकदम क्लियर है और वो नसीर साहब जो कह रहे हैं मैं उनकी बात से इत्तेफाक रखता हूं एक वो कह रहे हैं कि यार अवार्ड समारोह जो होते हैं सब लॉबिंग से होते हैं एग्रीड बिल्कुल और फिल्म फेयर अवार्ड हुए या इस तरह के दूसरे अवार्ड हुए इसमें लॉबिंग खूब चलती है.
किसको देना है वो जिसको देना है वो पहले मौजूद होता है किसका नॉमिनेशन होगा ये भी पहले से तय होता है किसको दिया जाएगा ये भी तय हो जाता है तो अवार्ड्स ये नहीं और बहुत सारे अवार्ड्स डेफिनेटली ड्रामा ही होते हैं लेकिन एंटरटेनमेंट की दुनिया में ड्रामा नहीं होगा तो क्या होगा मतलब सिंपल तो अवार्ड्स पर बहुत ज्यादा यकीन करना या अवार्ड्स के लिए बहुत उछलना या अवार्ड्स से ले ना मिलने पर निराश होना यह अपने को बात जस्ती नहीं ठीक है ये आप मेरी राय से हमेशा हर एपिसोड में मैं यही बात कहता हूं मैं अपना स्टैंड चेंज नहीं करता हूं अच्छे अवार्ड्स नेशनल अवार्ड्स की आप बात करें हां डेफिनेटली उनकी वैल्यू है लेकिन ये अवार्ड्स की कोई वैल्यू मतलब अपने उसमें है नहीं एंटरटेनमेंट भी ड्रामा ये भी ड्रामा तो साहब की यहां तक तो बात वो कह रहे हैं कि यार इन सब का कोई मतलब नहीं होता रॉबिन से मिलते हैं उनकी बात से मैं इत्तेफाक रखता हूं अगर आपको इतना ही था तो भैया तीन-तीन अवार्ड आपने लिए क्यों वो कह रहे हैं कि मैं आखिरी दो अवार्ड में तो लेने भी नहीं गया अच्छा कौन सा अवार्ड मिल रहा था आपको आखिरी जो अवार्ड्स मिल रहे थे आपको वो कौन से मिल रहे थे .
पहले वाले अवार्ड्स डेफिनेटली एक्टिंग के लिए मिले और उस समय नसीरुद्दीन शाह लेने गए हैं अवार्ड्स को मतलब उस समय तक उनको कोई परहेज नहीं था अवार्ड्स से लेकिन अब जो फिल्मों में रोल मिलने बंद हो गए तब उन्हें अवार्ड से भी परहेज हो गया अब वो बाथरूम का हैंडल बनाएंगे अपनी ईगो को सेटिस्फाइड करने के लिए यह बात अपनी समझ से बाहर है मैं क्यों नसीरुद्दीन शाह पर सवाल खड़े कर रहा हूं नंबर एक आरआरआर फिल्म आई उन्होंने कहा यार क्या फालतू फिल्में बनाते रहते हैं यार जिस फिल्म ने ऑस्कर जिस फिल्म के म्यूजिक ने ऑस्कर जीता जिस फिल्म ने रिकॉर्ड तोड़ दिया जनता को पसंद आई और ऐसे साहब को क्यों ही पसंद आएगी वो तो आर्ट वाले हैं ना पुष्पा पुष्पा के लिए क्या-क्या छीछा लेदर इन्होंने नहीं किए साहब क्या-क्या नहीं किया जनता को पसंद आई है तो जनता को जो पसंद आएगी वो इन्हें कैसे पसंद आ सकती है नहीं आ सकती क्यों नहीं आ सकती क्योंकि ये सुपीरियर है.
इनकी ईगो आसमान छू रही है उस ईगो को सेटिस्फाइड करने के लिए इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता है कि बाथरूम जाते समय उम्र में लड़खड़ाते हुए पैरों से बाथरूम जाए तो हाथ में जो है फिल्म फेयर की अवार्ड ले और फिर इंटरव्यू में बताएं कि हमने तो यार ऐसा कर दिया हमें अवार्ड्स में मजा नहीं आता है यह वही नसरुद्दीन शाह हैं शाह हैं जो तीन-तीन शिफ्ट में काम किया करते थे पैसा कमाने के लिए तीन-तीन शिफ्ट में भाई साहब तीन-तीन शिफ्ट में बाद में कहते हैं कि यार टॉर्चर था भाई जब फिल्में मिल रही थी जब रोल मिल रहे थे आपने कोई कसर नहीं छोड़ी पैसा कमाने में जिस फार्म हाउस के जिस लग्जरी बाथरूम के अंदर आपने ये हैंडल लगाए हैं आप मुझे एक सवाल का जवाब दीजिए कि भाई साहब वो हैंडल का जो पैसा है क्या आठ फिल्मों से कमाया आपने या मसाला फिल्मों से कमाया जिसको आप बुरा कह रहे हैं स्टूडेंट लाइफ के अंदर ऐसा हाल था उनका कि जब पढ़ रहे थे तब उन्होंने गुलजार साहब को चिट्ठी लिखी कि भाई गुलजार साहब ये जो संजीव कुमार साहब से आप रोल करवा रहे हो गुलजार का उन्हें तो उर्दू-उर्दू भी नहीं आती उनको तो एक्टिंग भी नहीं आती अब वो ढीले पड़ गए हैं उनके बस का नहीं है आप मुझे ले लो मतलब ये तो हाल था नसीर साहब का अपनी स्टूडेंट लाइफ से जब वो फिल्मों में आए तो उन्होंने पैसा कमाने के लिए कभी कोई कसर नहीं छोड़ी .
उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी कि जहां से भी पैसा बने चाहे दिन में तीन शिफ्ट करनी पड़े चाहे दिन के अंदर कोई काम करना पड़े जैसा भी रोल मिल जाए मतलब जिस रोल को वो गाली देते हैं आज वो रोल उन्होंने मांग मांग के लिए हैं तो तब उन्हें ना बॉलीवुड बुरा लगता था ना पैसा बुरा लगता था लेकिन अब ऐसी स्टेज में पहुंच गए हैं जहां आराम से बैठ के दुनिया को गालियां दे सकते हैं कि यार ये तो ऐसा है ये वैसा है सोचो राजेश खन्ना राजेश खन्ना जो लाखों दिलों पर करोड़ों दिलों पर राज करते थे उनके लिए कहते हैं ये तो वीडियो कर रहे हैं इनके बस की एक्टिंग नहीं है छूट गई एक्टिंग इनसे अब उनकी बेटी ने जवाब दिया ट्विंकल ने ट्वीट किया कि भाई जो जिंदा नहीं है जिंदा होते तो उनका सम्मान करना ना करना अलग बात है लेकिन मरने के बाद तो सम्मान कर सकते थे हम यह वीडियो है कि जब आप ऐसे व्यक्ति पर आक्षेप लगाएं जो आपको जवाब भी नहीं दे सकता अच्छा सिर्फ इनके साथ नहीं करा अमिताभ बच्चन अमिताभ बच्चन करोड़ों दिलों पर राज करते हैं करते रहे हैं और डेफिनेटली करते रहेंगे चाहे धर्मपाल जी हो चाहे अमिताभ हो बिग बी चाहे आपके सनी देओल हो राजेश खन्ना हो दिलीप साहब हो लंबी लिस्ट है जो करोड़ों दिलों तक पहुंचे हैं जो लोगों के दिलों में मौजूद हैं वो आप छीन नहीं सकते वो प्यार किसी से जितने मर्जी नसीरुद्दीन शाह आ जाए वो प्यार जनता के मन में जो है वो छीना नहीं जा सकता गोविंदा ऐसे स्टार हैं यार लवेबल लोगों के दिलों में है लेकिन जब ऐसे लोग इल्जाम लगाते हैं कि अमिताभ बच्चन तो सिर्फ बिजनेसमैन है एक्टिंग करना उनका काम नहीं है तो फिर सवाल उठते हैं कि यार आपकी औकात क्या है सवाल पूछने की आपने किया क्या डेफिनेटली आपने फिल्में की आठ फिल्में की जिसमें एक्टिंग की थिएटर किया जिसमें एक्टिंग की लेकिन ये अलग फॉर्मेट है जो लाखों लोगों तक पहुंचता है करोड़ों लोगों तक पहुंचता है उसमें आप मास्टरी नहीं कर पाए तो आप उन्हें दे दो आपको सम्मान किया उसी बॉलीवुड ने या हिंदी फिल्मों ने तो भाई आपने सम्मान तब तो ले लिया अब जब आपको कोई पूछ नहीं रहा आपको रोल नहीं मिल रहे आपको अवार्ड्स नहीं मिल रहे आपको पैसा नहीं मिल रहा आपको फिल्म मतलब बड़े-बड़े ऐसे रोल नहीं मिल रहे हैं तब आप कह रहे हैं यार हैंडली बना के अपनी बौखला रहे हैं।
यार दिन में आते-आते एहसास होगा कि हम बड़े हैं अवार्ड छोटा है ना जी ना गलत बात है ये गलत बात है मैं इसको मैं पर्सनली मैं एक्सेप्ट नहीं कर सकता इसको इस तरह का अवार्ड्स को अगर आपको इतनी दिक्कत थी अवार्ड्स आप वापस कर सकते थे जैसे करते रहे कई सारे बुद्धिजीवी आप भी अवार्ड वापस कर देते हैं कि नहीं भाई लॉबिंग से होता है हम नहीं लेंगे लेकिन अवार्ड्स के बहाने अपनी ईगो को सेटिस्फाइड करना ये मेरे लिए एक्सेप्ट एक्सेप्टेबल बिल्कुल भी नहीं है ना मुझे अच्छा लगा और इसीलिए ये एपिसोड आप लोगों के लिए लेके आया हूं आप बताइएगा इस बारे में आपकी राय क्या है क्या आपको लगता है कि नसीर नसीर साहब जो है वो बेसिकली सटिया रहे हैं अब इस तरह की बातें जो कर रहे हैं ये उनकी ईगो सेटिस्फाइड करने के लिए कर रहे हैं।