1969 में भारत ने पहली बार एक उपराष्ट्रपति का इस्तीफा देखा। उस समय उपराष्ट्रपति ने भी इस्तीफा दे दिया था और भारत के राष्ट्रपति भी अपने पद पर नहीं थे। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की गैर मौजूदगी में किस शख्स ने देश की कमान संभाली थी? आइए आपको बताते हैं।
दरअसल, यह बात 1969 की है। 1969 में जाकिर हुसैन देश के राष्ट्रपति थे। 3 मई 1969 को पद पर रहते हुए जाकिर हुसैन का निधन हो गया। 13 मई 1967 से लेकर 3 मई 1969 तक जाकिर हुसैन भारत के राष्ट्रपति रहे। जाकिर हुसैन के निधन के बाद देश को पहली बार कार्यवाहक राष्ट्रपति मिला।
जिन्होंने 3 मई 1969 से 20 जुलाई 1969 तक यह पद संभाला। दरअसल जाकिर हुसैन के निधन के बाद राष्ट्रपति का चुनाव होना था। इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वीवी गिरी को उम्मीदवार बनाया जो उस समय उपराष्ट्रपति के पद पर बैठे थे। इसीलिए गिरी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। यानी उस समय देश में ना तो उपराष्ट्रपति था और ना ही राष्ट्रपति। ऐसे में देश की कमान संविधान के प्रावधानों के मुताबिक देश के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह के हाथों में आ गई। जिन्हें भारत का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया।
वे 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक इस पद पर रहे। यानी 1 महीने से अधिक समय तक मुख्य न्यायाधीश भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने रहे। उन्होंने इस जिम्मेदारी को निभाते हुए तब राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निकसन की मेजबानी भी की।
इसके बाद राष्ट्रपति चुनावों में जीत दर्ज कर वीवी गिरी ने 24 अगस्त 1969 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली। वो देश के तीसरे उपराष्ट्रपति और चौथे राष्ट्रपति बने। सोमवार 21 जुलाई की रात को भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत के राष्ट्रपति को एक पत्र सौंपा जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह बताई। स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने अपना इस्तीफा दे दिया।
जगदीप धनकड़ 5 साल का कार्यकाल पूरा किए बिना ही पद छोड़ने वाले चौथे उपराष्ट्रपति बने। उनसे पहले वीवी गिरी, रामस्वामी वेंकट रमन और शंकर दयाल शर्मा ने भी अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले इस्तीफा दिया था। अब सभी की निगाहें इसी बात पर टिकी है कि आखिर कौन भारत का अगला उपराष्ट्रपति होगा और उपराष्ट्रपति धनकड़ के इस्तीफे की असली कहानी क्या है?