मुजावर जी ने और साफ-साफ यह बताया है कि उन्हें मोहन भागवत को उठाकर लाने के लिए कहा गया था और हिंदू आतंकवाद की भगवा आतंकवाद की थ्योरी को एस्टैब्लिश करने कहा गया था। अह चरण सिर्फ मोहन भागवत नहीं एक और नाम है जो मैं चाहूंगा आप एक बार अगर उनसे बात करें तो योगी आदित्यनाथ का भी नाम उस वक्त था कि उनको भी उनका भी नाम इस केस में डालने की बात हो रही थी और उस वक्त उनसे भी बकायदा पूछताछ के लिए टीम भेजी जानी यह भी एक तथ्य निकल के आता है।
क्या आप यह सवाल कर सकते हैं उनसे? मुजावर से कि मुजावर जी हमारे सहयोगी बता रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ का नाम भी उसमें शामिल था क्या? देखो मेरे को इतना मालूम है याद है मेरे को कि मेरे जो काम था वो मैं बताया। मगर टीवी पे योगी आदित्यनाथ ने रोया था। आंखों से आंसू गए थे और टीवी में दिखाया गया था कि मेरे को भी इसके अंदर इन्वॉल्व करने की कोशिश करी। इतना मेरे को मालूम है। बाकी का वो मेरे तरफ नहीं था। आपको कोई आदेश नहीं मिला था। योगी आदित्यनाथ को लेकर के कोई आदेश आपको नहीं दिया गया था।
यह यह आदेश नहीं था। मगर वह रोए थे। टीवी पे बताया था यह केस के बारे में। कहीं तो रोए थे। उनके आंखों में से आशीष झलके थे। ये मैंने देखा है। इतना मालूम है मेरे को। जी हमारे साथ कई खास मेहमान जुड़ चुके हैं। हर्षवर्धन त्रिपाठी जी हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं। जो बातें कह रहे हैं इस पर आपकी पार्टी का रिएक्शन क्या है? आरोप लगाया जा रहा है कि पॉलिटिकल प्रेशर में वहां पर हिंदू आतंकवाद को स्थापित करने की कोशिश की जा रही थी। देखिए यहां पे जो महबूब मुजावर जी ने जितनी भी बातें रखी हैं उसमें से जो भी उनके साथ आपबी हुई है और शायद जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है सस्पेंशन के तौर पे और उनकी नौकरी भी चली गई और उनकी रिटायरमेंट भी सस्पेंशन के पैसों पे ही चल रही है। जो भी तथ्य हैं वो उन्होंने बताएं। यहां तक कि मैं तो उनसे ये सवाल पूछना चाहूंगी कि वो अगर इन्वेस्टिगेटिंग अथॉरिटी थे वो इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर थे तो दो बॉम्ब ब्लास्ट हुए। जिसमें छह लोगों की जाने गई और 100 से ज्यादा घायल हुए। तो आरोपी है कौन? अगर आप क्या बात हुई? बड़े हो गए।
17 एक इंस्पेक्टर सीनियर इंस्पेक्टर यह कैसे बता सकता है कि ब्लास्ट कैसे हुआ? उसे जिम्मेदारी दी गई थी मोहन भागवत को उठाकर लाने की। मोहन भागवत जी को ब्लास्ट सौदे के साथ ही मोहन भागवत जी को लाने का जिम्मेदारी मिली थी। यह मीडिया ट्रायल जो आप कर रहे हैं, यह बहुत गलत कर रहे हैं। मैं आपसे पूछ रही हूं क्या उनके पास कोई सबूत थे मोहन भागवत जी को लाने के? उनके पास क्या सबूत थे? कौन आरोपी था? किनको चिन्हित किया गया था?
मैं आपसे यह सवाल पूछ रही हूं। क्या हम आरोपियों के बारे में कभी बात ही नहीं करेंगे? जिनको बाइजत बरी कर दिया गया कोर्ट ने वो अपने फैक्ट्स को करेक्ट कीजिए चित्रात अपने फैक्ट्स को करेक्ट कीजिए हर्षवर्धन जी अदालत का फैसला आ चुका जांच अधिकारी की ओर से यह कहा जा रहा है कि उसे गलत तरीके से बिना किसी सबूत के आदेश दिया गया था लेकिन फिर भी यहां पर कांग्रेस की ओर से ये कहा जा रहा है कि नहीं इसमें ऐसा होना चाहिए वैसा होना चाहिए कि मतलब क्या है मैं आपसे देखिए चंदन जी चंदन जी मुझे लगता है कि इस देश को आज जो की बात आप कर रहे हैं और महबूब मुजावर जी को सबसे पहले तो मैं इनके साहस को प्रणाम करता हूं क्योंकि ये सामान्य काम नहीं कर रहे हैं।
इस देश में हिंदू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद और कुछ नीच किस्म के लोग इस शब्द का मैं जानबूझ के इस्तेमाल करता हूं। मैं शब्दों का बड़ा चयन करता हूं। मैं कभी गलती नहीं करता हूं। किसी के लिए भी नहीं करता हूं। लेकिन आज मैं राष्ट्रीय टेलीविजन पर बोल रहा हूं कि कुछ नीच किस्म के लोग यह पूरी नीच जमात है जिसने भारत में हिंदू आतंकवाद स्थापित हो जाए भगवा आतंकवाद स्थापित हो जाए इसके लिए सारे नियम कायदे कानून ध्वस्त कर दिए उसको और अच्छे से अगर समझना हो तो इस देश का जो संविधान बना जी उस संविधान को रौंद दिया उसको पूरी तरह से कुचल दिया और कोशिश ये कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जो दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन है जो भारत में भारत के लिए भारत की संस्कृति के लिए अपने आप को न्योछावर करता है।
उस संगठन को किसी तरह से जोड़ा जाए और महबूब जी जो कह रहे हैं उस शब्द को सुनिए चंदन जी देश के लोगों को सुनना चाहिए। आपने उनसे सवाल किया कि क्या सरसंगचा मोहन भागवत की गिरफ्तारी का आर्डर था? उन्होंने कहा कि मुझसे कहा गया कि उसे उठाकर लाओ।