मेडिकल एजुकेशन में महाघोटाला,ख़ुद को भगवान कहने वाला बाबा निकला बदमाश !

देश के मेडिकल एजुकेशन सिस्टम को झकझोर देने वाला सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। अधिकारी की जांच में एक ऐसा रैकेट बेनकाब हुआ है जिसमें शामिल हैं पूर्व यूजीसी चेयरमैन। एक खुद को भगवान बताने वाला बाबा बड़े मेडिकल कॉलेज के संचालक, मंत्रालय के अफसर और एक लंबा नेटवर्क जो करोड़ों की रिश्वत लेकर मेडिकल कॉलेजों को अवैध मान्यता दिलाता रहा।

अधिकारी की इस हाई प्रोफाइल जांच में देश भर के मेडिकल कॉलेजों से जुड़ा करोड़ों का घोटाला सामने आया है। राजस्थान इंदौर, गुरुग्राम, विशाखापट्टनम से लेकर वारंगल तक फर्जी फैकल्टी, नकली इंस्पेक्शन और लीक फाइल्स के जरिए मेडिकल कॉलेजों को अवैध तरीके से मान्यता दिलवाई गई। अधिकारी की एफआईआर में 35 नाम शामिल हैं। जिनमें प्रमुख हैं डीपी सिंह जो पूर्व यूजीसी चेयरमैन और टीआईएसएस चांसलर रहे हैं। रावतपुरा सरकार उर्फ रविशंकर महाराज यानी स्वयंभू बाबा।

इसके अलावा सुरेश सिंह भदौरिया जो कि इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर हैं। संजय शुक्ला जो कि एक रिटायर्ड आईएफएस अफसर हैं और पूर्व रेरा चेयरमैन भी हैं। लेकिन अब तक मामले में केवल एक गिरफ्तारी हुई है डायरेक्टर अतुल तिवारी की। जांच की शुरुआत हुई थी रायपुर के श्री रावतपुरा सरकार इंस्टट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस से। जहां फर्जी इंस्पेक्शन रिपोर्ट बनवाने के लिए 55 लाख की रिश्वत ली गई थी।

डॉक्टरों कोंगे हाथों पकड़ा गया और 38.38 लाख मौके पर बरामद हुए। सीबीआई की एफआईआर में शामिल रावतपुरा सरकार जिनके राजनेताओं और अफसरों से घनिष्ठ संबंध हैं। पहले भी कई विवादों में रह चुके हैं। जमीन कब्जा, जबरन धार्मिक कार्यक्रम और महिला फॉलोअर्स से मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं। अधिकारी को एक समानांतर रैकेट इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में भी मिला। जहां नकली फैकल्टी, फर्जी बायोमेट्रिक अटेंडेंस और झूठे एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट के जरिए एनएमसी को गुमराह किया गया। जांच में सामने आया कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और विशाखापट्टनम के एजेंट्स मिलकर नकली मरीज और फैकल्टी तैयार कर नेशनल मेडिकल काउंसिल के इंस्पेक्शन में दिखाते थे।

वारंगल का फादर कोलंबो मेडिकल इंस्टट्यूट एनएमसी से क्लीयरेंस के लिए 4 करोड़ तक दे चुका है। सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ कि दिल्ली स्थित स्वास्थ्य मंत्रालय के अफसर इंटरनल फाइल्स की फोटो खींचकर एजेंट्स को भेजते थे जो आगे कॉलेजों को बेचते थे। इनमें शामिल थे गुरुग्राम के वीरेंद्र कुमार, द्वारका की मनीषा जोशी और गीतांजलि यूनिवर्सिटी उदयपुर के अधिकारी। अधिकारी ने पाया कि घोटाले के पैसों से राजस्थान में एक हनुमान मंदिर भी बनवाया गया। इसके पीछे था मेडिकल रेटिंग बोर्ड का पूर्व सदस्य जीतू लाल मीणा जो मुख्य दलाल की भूमिका में था। सीबीआई की यह जांच अभी भी जारी है और अनुमान है कि 40 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज फर्जी मान्यता लेकर काम कर रहे हैं।

सवाल अब यह है कि क्या इस घोटाले में शामिल बड़े नामों पर भी कारवाई होगी या फिर यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा। आप इस पूरे मामले को लेकर क्या सोचते हैं? अपनी राय हमें कमेंट्स में जरूर बताएं।

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