कभी आम लोगों के साथ बेरहमी से , कभी गाड़ियों की तोड़फोड़, कभी धर्म के नाम पर लोगों की पेंट उतरवाना तो कभी कावड़ में महिलाओं का डांस कराना। दिन पर दिन कावड़ यात्रा के दौरान कोई ना कोई विवादित स्थिति देखने को मिल रही है। जहां उत्तर प्रदेश के बस्ती में कावड़ियों की भीड़ में कुछ डांसर्स को अंदाज में डांस करवाया गया। कावड़ियों की भीड़ पीछे-पीछे चल रही है और ट्रैक्टर पर खड़े होकर यह महिलाएं कावड़ के नाम पर डांस करती हुई नजर आ रही हैं।

यह दूसरी जिसमें महिलाएं भगवान की मूर्ति के आगे खड़े होकर डांस प्रस्तुत कर रही हैं और कावड़िए भी उनके साथ झूमते ठुमके लगाते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को देखकर लोगों में बुरी तरह क्रोध फैल चुका है और तरह-तरह की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है। हिंदू संगठनों ने भी इस वीडियो को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि कावड़ यात्रा भगवान शिव की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है।

इसमें मनोरंजन के नाम पर गलत गतिविधियों की कोई जगह नहीं है। कुछ संगठनों ने प्रशासन से इस घटना की जांच करने और दोषियों पर कारवाई करने की मांग की है। तो वहीं लोकप्रिय गायिका अनुराधा पडवाल ने भी इस वीडियो को देखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कमेंट करते हुए लिखा कावड़ यात्रा में हो रहा अश्लील डांस बंद हो।
यह नॉनसेंस बंद कीजिए। जाहिर सी बात है कि इन हरकतों से कावड़ियों ने इस धार्मिक उत्सव पर भी कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तो वहीं कुछ ऐसी वीडियोस भी लगातार सामने आ रही हैं जो कि यह संदेश दे रही हैं कि कहीं ना कहीं गुंडागर्दी और धार्मिक उत्पात मचाने के लिए ही कावड़ का सहारा लिया जा रहा है। यह वीडियो भी देखिए जहां उत्तर प्रदेश के हरदोई में बुलडोजर पर अलग ही अंदाज में कावड़ निकाली गई। इस झांकी में भगवा वस्त्र पहनकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह वेशभूषा धारण किए एक युवक बुलडोजर पर खड़ा नजर आया। जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
जाहिर सी बात है कि बुलडोजर पर कावड़ यात्रा लेकर जाने का भी कहीं ना कहीं यूपी में हो रहा बुलडोजर एक्शन की ओर इशारा है। तो वहीं लगातार यह वीडियोस भी सामने आ रहे हैं। जहां हल्की सी गाड़ी कावड़ी से टच हो जाने पर कावड़ लोगों को जानवरों की तरह पकड़-पकड़ कर पीट रहे हैं। कभी मुस्लिमों को टारगेट कर धर्म के नाम पर जा रहा है तो कभी लोगों का धर्म चेक करने के लिए उनकी पेंट उतरवाई जा रही है।
कावड़ियों को सरकार की तरफ से इस खास मौके पर छूट दी गई। सुविधाएं दी गई, प्राथमिकता दी गई। तो उनका नतीजा यह रहा कि कावड़ियों ने सुविधाओं को गुंडागर्दी में बदल डाला। यह लोग इतने उग्र हो चुके हैं कि अपने अलावा किसी को सड़क पर चलता हुआ भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। स्कूल, बस, पुलिस की गाड़ी की तोड़फोड़ के बाद पुलिस पर भी हमला करने पर तुले हुए हैं जो दिनरा इनकी सेवा कर रही है।
यहां तक कि इन कावड़ यात्रा के दौरान मची उत्पात और हुड़दंगबाजी में अब तक कई लोग अपनी जान तक गवा चुके हैं। ऐसे में तो सवाल बनता है कि आखिर यह धार्मिक पर्व है या कोई आतंकी माहौल। जहां लोग कावड़ियों से अब डरने पर मजबूर हो गए हैं। अगर आपको आपके धार्मिक उत्सवों के लिए सुरक्षा और प्राथमिकता दी जाती है तो क्या उस छूट का इस तरह से गलत फायदा उठाना सही? धर्म कोई भी हो धार्मिक उत्सव के नाम पर इस तरह की हुड़दंगबाजी को भक्ति, श्रद्धा या पूजा कैसे कहा जा सकता है?