जयदीप धनखर इस्तीफा: नाडा थरूर, .. अगले वाइस प्रेसिडेंट पर फंसा पेच, विपक्ष करेगा खेल?

उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा हो चुका है। लेकिन कयासबाजी का दौर अभी जारी है। पूरी दाल ही काली बताई जा रही है। इस बीच अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की सूचना जारी हो चुकी है। आज के शो में इसी पे बात करेंगे। धनखड़ के इस्तीफे पर विपक्ष अब किस साजिश की बात कर रहा है? सत्ता पक्ष के हाई प्रोफाइल चेहरे क्यों चुप हैं? और भारत के अगले उपराष्ट्रपति पद की रेस में नीतीश, राजनाथ और नड्डा के अलावा कुछ और नाम कौन से हैं? इनके बारे में भी विस्तार से बात करेंगे। कुछ नाम चौंकाने वाले भी हो सकते हैं।

बात चुनाव की है तो इस बार मामला नजदीकी होने जा रहा है। विपक्ष ने कमर कस ली है। नंबर्स के सहारे भी वह सब समझाएंगे और उपराष्ट्रपति पद की चुनाव प्रक्रिया पर भी छोटा सा एक्सप्लेनर आपको देंगे। जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग प्रस्ताव के बीच वो चुप भी नहीं बैठे हुए हैं। क्या कर रहे हैं वह जानेंगे और जानेंगे कि पीएम मोदी ब्रिटेन दौरे पर गए हैं तो देश के लिए कौन सी अच्छी खबर आ सकती है? बात एक सांसद के बेटे की भी होगी। अपहरण और हरेसमेंट के मामले में जो कानून के शिकंजे में था उसके हाथ से कानून से जुड़ा हुआ पद उसके हाथ में रख दिया गया है। नमस्ते। हम है सिद्धार्थ और आप देखना शुरू कर चुके हैं लल्लन टॉप शो ब्रॉट टू यू बाय मिस बैक्ट सेंस के एंड बजाज फ्रीडम मिसेज बेस क्रमिका कोकोनट कुकीज़ आज चाय के साथ क्रमिका कोकोनट हो जाए संसद का मानसून सत्र चल रहा है पानी बरस रहा है और बरस रहे हैं .

सवाल जगदीश धनखड़ के इस्तीफे पे जब आप यह शो देख रहे हैं तब तक धनखड़ के इस्तीफे को दो दिन का समय हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोड़कर केंद्र सरकार के हाई प्रोफाइल चेहरों ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जो बीजेपी नेता बयान दे भी रहे हैं, वह भी नापतोल कर बोल रहे हैं। इधर इस्तीफे पर आ रही सूत्रुमा जानकारियों से विपक्ष संतुष्ट नहीं है। अभी भी कह रहा है विपक्ष कि दाल में कुछ काला है। सरकार जवाब देना चाहिए वो क्यों रिजाइन करें? कारण क्या है? इसके पीछे क्या राज है?

हमको तो ऐसा दिख रहा है कि दाल में कुछ काला है। नहीं तो उनका हेल्थ भी ठीक है और वो अच्छे हमेशा अपनी वोकैबलरी को ठीक रखते हैं। उपराष्ट्रपति के तौर पर जगदीप धनखड़ के खिलाफ भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का पहला महाभियोग प्रस्ताव लाने वाला विपक्ष अब उनके साथ सहानुभूति जताता दिख रहा है। राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा इस एक्स पोस्ट पे नजर डालिए। झा लिखते हैं कि भूतपूर्व उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की कार्यशैली से हम में से ज्यादातर लोग असहज महसूस करते थे। हमने कई बार अपनी आपत्तियां भी सामने रखी थी। लेकिन एक बड़ा सच यह भी है कि वे लड़ाका स्वभाव के हैं और किसी व्यक्ति, किसी धारा और विचारधारा के साथ-साथ किसी भी प्रकार के रोग से लड़ सकने में सक्षम हैं।

इसलिए कोई-कोई सूत्र हमें यह ना समझाए कि फलाने ढिकाने न्यायाधीश पर संभावित महाभियोग की संभावित कपोल गाथाएं या स्वास्थ्य कारणों से उनका इस्तीफा हुआ है। यह भारतवर्ष है। यहां हम राज ही राज खोल देते हैं। बस कितना वक्त और कौन सा वक्त? यही सवाल है। विपक्षी नेताओं ने यह भी आरोप लगाए हैं कि धनकड़ को देकर इस्तीफा दिलवाया गया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो कारण दिया गया है उनके पत्र में वो सही नहीं हो सकता ना है। तीसरा यह दिखाता है, दर्शाता है कितना प्रभावशाली तरीके से माइक्रो मैनेज करती है यह सरकार। थोड़ा सा भी लाइन के बाहर जाने से यह परिणाम आता है क्योंकि जस्टिस वर्मा के विषय में अगर गलत भी किया उपराष्ट्रपति में मुझे लगता नहीं कि इतनी बड़ी बात थी कि इनको उनसे इस्तीफा लेना आवश्यक हो गया लेकिन निश्चित रूप से इस्तीफा मांगा गया है लिया गया है और तुरंत लिया गया है। इसमें कोई दो राय नहीं है। जिस तरीके से यह मामला दिखाया जा रहा है। वो मामला ऐसा लग नहीं रहा।

सारा दिन वह हाउस में रहे हैं। कहीं ऐसा लगा नहीं वह बहुत कोई बीमार है। इमीडिएटली शाम को रिजाइन कर देते हैं। और जिस तरीके से प्रतिक्रिया देश के प्रधानमंत्री जी की बेरुखी वाली आई है तो ऐसा लगता है कि दाल में कुछ काला है और किसी भी भाजपा के नेता ने उनको सत्कार से कोई विदाईगी वाले शब्द नहीं लिखे। विपक्ष से इधर सोशल मीडिया पर भी कयासबाजियां जारी हैं। तरह-तरह की थ्यरीज अभी भी तैर रही हैं। जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग वाली थ्योरी पर जोर पड़ रहा है। इस बीच यह बातें भी हो रही हैं कि जगदीप धनखड़ को एक विस्तृत बयान जारी करना चाहिए।

बात विस्तृत बयान की हो रही है तो एक बयान या कहें ऐलान चुनाव आयोग की तरफ से भी आया है। बताया गया है कि नए उपराष्ट्रपति को चुनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आयोग ने लिखा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत देश के उपराष्ट्रपति का चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है। प्रेसिडेंशियल एंड वाइस प्रेसिडेंशियल इलेक्शंस एक्ट 1952 के तहत यह प्रक्रिया चलती है। इस क्रम में चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद का चुनाव कराने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। चुनाव आयोग ने आगे लिखा कि जैसे ही तैयारियां पूरी हो जाएंगी वैसे ही तारीखों की घोषणा कर दी जाएगी। तारीखों की घोषणा से पहले कुछ अहम तैयारियां भी की जा चुकी हैं। मसलन राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों के इलेक्टोरल कॉलेज की तैयारी, रिटर्निंग ऑफिसर और असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर को अंतिम रूप देना और पिछले उपराष्ट्रपति चुनावों पर बैकग्राउंड मटेरियल तैयार करना। कल यानी 22 जुलाई के शो में हमने आपको बताया था कि उपराष्ट्रपति पद खाली होने के बाद चुनाव कराने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है। लेकिन प्रेसिडेंशियल एंड वाइस प्रेसिडेंशियल इलेक्शंस एक्ट कहता है कि नोटिफिकेशन जारी होने के 30 से 32 दिनों के भीतर इसे अंजाम दे देना होता है।

हालांकि संसद के मानसून सत्र में देश को नया उपराष्ट्रपति मिलने की उम्मीद कम है क्योंकि नॉमिनेशन के लिए 14 दिन का समय देना होता है। एक दिन उम्मीदवारी की जांच के लिए लगता है और अगले 2 दिन उम्मीदवारी वापस लेने के लिए होते हैं। इसके बाद अगर मतदान की जरूरत पड़ती है तो ऐसा करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है। अब संसद का जो मानसून सत्र है वो तो 12 अगस्त को खत्म ही हो रहा है। ऐसे में अगर मानसून सत्र में ही देश के नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होना हो तो जरूरी होगा कि या तो सत्ता पक्ष या तो विपक्ष अपना उम्मीदवार ही ना खड़ा करें। मामला निर्विरोध चले। लेकिन जो खबरें आ रही हैं उनके मुताबिक मुकाबला कड़ा हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय विदेश दौरे पे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके आने के बाद एनडीए खेमा उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पे विचार करेगा और इधर विपक्ष भी टकराने के लिए तैयार है। इसकी जानकारी मिलती है इंडियन एक्सप्रेस में छपी असद रहमान की रिपोर्ट से। रिपोर्ट में बताया गया है कि विपक्षी पार्टियां अपना उम्मीदवार जरूर खड़ा करेंगी। उन्हें अभी सरकार के कदम का इंतजार है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस चुनाव में कांग्रेस अहम भूमिका निभाएगी क्योंकि वह देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है।

इधर कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी चुनौती के लिए तैयार है। हालांकि इंडिया ब्लॉक को किसी सहमति पर पहुंचने के लिए खींचतान का सामना करना पड़ सकता है। पिछले एक साल में इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने अलग-अलग मुद्दों पे अलग-अलग रुख अख्तियार किया है। आम आदमी पार्टी ने तो हाल ही में ब्लॉक से आधिकारिक तौर पे दूरी भी बना ली है। ऐसे में सवाल है कि क्या कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करना चाहिए? इधर अगर नंबर्स की बात करें तो एनडीए के पास बढ़त है लेकिन मुकाबला काफी नजदीकी हो सकता है। राष्ट्रपति के चुनाव से उतर उपराष्ट्रपति के चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट करते हैं। राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को वोट करने की इजाजत नहीं होती है।

कुछ और जगह पेच अटके हैं। जैसे लोकसभा में एक सीट खाली है पश्चिम बंगाल की बसीरहाट की। वहीं राज्यसभा में पांच सीटों पर वैकेंसी है। चार जम्मू कश्मीर से और एक पंजाब से। इस हिसाब से दोनों सदनों की कुल स्ट्रेंथ 787 है और जीत के लिए कम से कम 394 मतों की जरूरत होगी। अगर सारे सदस्य वोट करते हैं तो। अब एनडीए के पास दोनों सदनों में 422 सांसद हैं। लोकसभा में 293, राज्यसभा में 129। इनमें राज्यसभा में नामित सदस्य भी शामिल हैं। अब विपक्ष के बाद 365। ऊपर से देखने पे 365 का आंकड़ा 394 से दूर तो लगता है लेकिन बहुत दूर नहीं है। इसलिए कहा जा रहा है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए पिछले दो चुनावों के मुकाबले इस बार का चुनाव रोमांचक मुकाबले की तरह हो सकता है। मान्य कहा जा सकता है कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से पेच तो फंसा ही है। 2017 के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार वेंकैया नायडू को गोपाल कृष्ण गांधी के मुकाबले 272 मतों से जीत मिली थी। फिर 2022 के चुनाव में एनडीए के जगदीप धनखड़ को विपक्षी उम्मीदवार मार्गेट अलवा के मुकाबले 346 वोटों के अंतर से जीत मिली थी। हालांकि इस चुनाव में टीएमसी ने यह कह के दूरी बना ली थी कि अलवा की उम्मीदवारी के लिए कांग्रेस ने उनसे सलाह नहीं ली थी। अब चुनाव की बात हो रही है तो चेहरों की भी बात कर लेते हैं।

अगले उपराष्ट्रपति के लिए नीतीश कुमार, जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह के नाम तो चल रहे हैं। ये तो सोशल मीडिया पर भी आप देख रहे होंगे। अब इस लिस्ट में कुछ और लोगों का नाम आ गया है। मसलन शिवराज सिंह चौहान, रविशंकर प्रसाद, हरिवंश नारायण सिंह, आरिफ मोहम्मद खान और शशि थरूर एक-एक करके इन लोगों की बात कर लेते हैं। शिवराज सिंह चौहान 70 के दशक में एबीवीपी से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी। बीजेपी के पुराने चेहरों में से एक लंबे समय तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और मामा रहे। संघ परिवार की विचारधारा में रचे पगे हैं। उनकी संतुलित छवि राज्यसभा के सभापति के तौर पर उनका काम आसान कर देगी। ओबीसी समुदाय से आने वाले शिवराज जातिगत समीकरणों के हिसाब से भी फिट बैठते हैं और हिंदी पट्टी में जाना पहचाना चेहरा हैं। रविशंकर प्रसाद बिहार से आने वाले रविशंकर प्रसाद बीजेपी के पुराने नेता हैं। केंद्र में कई सारी भूमिकाएं निभा चुके हैं। विपक्ष की लंबी राजनीति करने की वजह से विपक्षी नेताओं से अच्छे संबंध हैं। उनकी उम्मीदवारी बिहार चुनाव पर भी असर डाल सकती है। हरिवंश नारायण सिंह हरिवंश नारायण सिंह फिलव्त राज्यसभा में उपसभापति हैं।

उपराष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम एक मजबूत दावेदार के तौर पे सामने आ सकता है। जेडीयू और एनडीए में उनकी स्थिति और उनकी दावेदारी को और मजबूत बनाती है। हरिवंश को उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी यह मैसेज दे सकती है कि गठबंधन में सहयोगी दलों के नेताओं को बड़े पद दिए जा रहे हैं। बिहार से हरिवंश नारायण सिंह और रविशंकर प्रसाद के अलावा आरिफ मोहम्मद खान का नाम भी चर्चा में है। फिल वक्त आरिफ मोहम्मद खान बिहार के राज्यपाल हैं। उनके नाम की भी चर्चाएं तेज हैं। इसी तरह से शशि थरूर का नाम भी चर्चा में है। खुद की पार्टी में उनके मनमुटाव की खबरें हैं। विदेशों में उनकी पहचान है। दूसरे नेताओं के साथ उनके संबंध भी अच्छे बताए जाते हैं। उम्मीदवारी के लिए उनका नाम आगे आए तो अंजाम जो चाहे हो लेकिन घटनाक्रम देखने वाला होगा, रोचक होगा।

अब ये तो थे नाम जो चल रहे हैं। सब कुछ अपुष्ट है। पुष्टि कुछ दिनों में हो जाएगी खबरों में, पत्रकारों के खेमों में बैठकियों में यह नाम सुनाई देते हैं। अब आपको एक और रोचक जानकारी दे देते हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होता कैसे है? संसद भवन में वोट पड़ते हैं। सीक्रेट बैलेट का यूज़ होता है। यानी यह नहीं पता चलता कि किस सांसद ने किसको वोट दिया है। चुनाव के लिए प्रपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम यानी आुपातिक प्रतिनिधित्व वाली व्यवस्था का इस्तेमाल होता है। आसान भाषा में समझाते हैं आपको। मान लीजिए कि चुनाव के लिए तीन उम्मीदवार खड़े हैं। चुनाव के लिए हर सांसद अपनी पर्ची में तीनों उम्मीदवारों को रैंक करेगा। यानी यह बताएगा कि फलां उम्मीदवार उसे पहले नंबर पे पसंद है। फलां दूसरे और इसी तरह से तीसरे नंबर पे। अब पहले राउंड की वोटिंग में अगर किसी उम्मीदवार को पहली रेफरेंस वाले आधे से ज्यादा वोट मिल जाते हैं तो उसे विजय घोषित कर दिया जाता है। अगर किसी भी उम्मीदवार को आधे से ज्यादा वोट ना मिले तो पहली प्राथमिकता वाले सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को रेस से हटा दिया जाता है।

अब हटाए गए उम्मीदवार के वोट चेक किए जाते हैं। यह देखा जाता है कि जिन सांसदों ने इस उम्मीदवार को अपनी पहली प्राथमिकता वाला वोट दिया, उनकी प्राथमिकता वाली लिस्ट में दूसरी प्राथमिकता पे कौन उम्मीदवार था। पुष्ट के बाद इन सांसदों के वोट उस उम्मीदवार के कोटे में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक किसी एक उम्मीदवार को आधे से ज्यादा वोट ना मिल जाएं। यह कयासबाजियां थी, कोई ठोस जानकारी आएगी तो लपटॉप आप तक जरूर लेकर आएगा। अब संसद पे बात करते हैं। ऐसे सर पैराबिन गॉन तो उसका करंट ऑन व्हाट देन इसके पोटैशियम आयंस करें का करंट गॉन लाइव का करंट ऑन।

23 जुलाई को लोकसभा में विपक्षी सांसद एक बार फिर से विरोध वाले मूड में नजर आए। बिहार एसआईआर और ट्रंप के सीज फायर वाले बयान पर सरकार को घेरा गया। और अब इन्होंने क्या किया है कि अब हम बिहार का पूरा का पूरा सिस्टम नए तरीके से करेंगे। वोटर डिलीट करेंगे और नए तरीके से वोटर लिस्ट लाएंगे। हिंदुस्तान में इलेक्शन चोरी किए जा रहे हैं। ये रियलिटी है हिंदुस्तान की। हाउ कैन प्राइम मिनिस्टर गिव अ स्टेटमेंट? क्या प्राइम मिनिस्टर क्या बोलेंगे कि ट्रंप ने करवाया है? बोल नहीं सकते हैं। बट सच्चाई है। ट्रंप ने सीज फायर करवाया है। पूरी दुनिया जानती है। रियलिटी है। रियलिटी से छुपा तो नहीं जा सकता है।

इस बीच लोकसभा की कार्यवाही स्थगित की गई। वापस शुरू हुई तो सरकार ने नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस और नेशनल एंटी डोपिंग अमेंडमेंट बिल पेश किया। दोपहर के 2:00 बजते-बते विपक्षी सदस्य वेल में नारेबाजी करने लगे। हंगामे की वजह से सदन की कारवाही को 24 जुलाई सुबह 11:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। उधर राज्यसभा का हाल भी वैसा ही दिखा जैसा लोकसभा का। एसआईआर पर नियम 267 के लिए के तहत स्थगन के प्रस्ताव आए थे। उपसभापति अह हरिवंश ने अस्वीकार कर दिया। विपक्ष ने विरोध जताया। हंगामा और सदन की कारवाही पहले 12 फिर दो और आखिर में अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी गई। लेकिन जब 2:00 बजे के बाद भी सदन नहीं चल सकी। कारवाही को 24 जुलाई के लिए 11:00 बजे तक स्थगित कर दिया गया। बाहर बयानबाजियां हुई। संसद के बाहर आज के हंगामेदार सत्र के बीच एक फोन कॉल की भी चर्चा होती रही। यह फोन कॉल राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को किया था। माना जा रहा है कि धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद यह एक शिष्टाचार फोन कॉल था। हालांकि बातचीत की जानकारी डिटेल्स अभी सामने नहीं आई हैं। इस बीच राज्यसभा की बिजनेस एडवाइज़री कमेटी की बैठक में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की तारीख तय हो गई है। राज्यसभा में 29 जुलाई से ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होगी। ये चर्चा 16 घंटे को होगी। पहले इस चर्चा के लिए 9 घंटे मुकर्रर किए गए थे। सत्ता पक्ष और विपक्ष तैयारियों में जुट गए हैं।

संसद की कारवाही को अगर आप विस्तार से देखना चाहते हैं, जानना चाहते हैं कि क्या हुआ तो हमारा शो पार्लियामेंट्री अफेयर्स का शो है संसद में आज वो जरूर देखिए। लिंक आपको डिस्क्रिप्शन बॉक्स में इस शो के बॉक्स में मिल जाएगा। अब सुर्खियां। दुनिया की पहली सीएनजी मोटरसाइकिल बजाज फ्रीडम आजादी आगे बढ़ने की। [संगीत] पहली सुर्खी में बात जस्टिस यशवंत वर्मा की जिनके सरकारी आवास में नोटों की बेहिसाब गड्डियां मिली थी। इसे लेकर उनके खिलाफ मामला शुरू हुआ। तीन जजों की एक इनह हाउस कमेटी से होते हुए बात संसद में महाभियोग प्रस्ताव तक पहुंची। उन्हें हटाने की बात होने लगी। जस्टिस वर्मा ने अपने खिलाफ इनह हाउस कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती दी थी। उनकी पैरवी कर रहे थे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल। इन्होंने सीजीआई बीआर गवई से इस मामले में जल्द सुनवाई करने की अपील की। अब इस केस में एक अपडेट जान लीजिए। सीजीआई गवई ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक सीजीआई ने कहा कि वे जस्टिस वर्मा के खिलाफ इनह हाउस कारवाई शुरू करने की प्रक्रिया में शामिल थे और जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर के प्रोसेस में भी जुड़े थे।

लिहाजा वे इस मामले में सुनवाई नहीं कर सकते। हालांकि उन्होंने मामले की लिस्टिंग करने और एक बेंच गठित करने की बात जरूर कही। बता दें कि जस्टिस वर्मा को हाई कोर्ट के जज के तौर पर हटाने की सिफारिश तत्कालीन सीजीआई संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने की थी। वर्मा की मांग रही है कि इस सिफारिश को असंवैधानिक और गैर कानानूनी घोषित किया जाए। ने दलील दी कि यह उस कानून का उल्लंघन है जो हाईकोर्ट जजों को हटाने का अधिकार केवल संसद को देता है। जहां तक बात संसद की है तो केंद्र सरकार संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बना रही है। दोनों सदनों के 200 से ज्यादा सांसदों ने प्रस्ताव पर सिग्नेचर भी कर दिए हैं। इनमें बीजेपी, कांग्रेस, आवाम दल सहित देश की सभी प्रमुख पार्टियां शामिल है। हालांकि समाजवादी पार्टी के बारे में खबर आ रही है कि उनकी राय थोड़ी सी जुदा है।

उनके सांसद हैं जावेद अली खान। उन्होंने इस संबंध में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में राय रखी। बोले कि हमारी पार्टी जस्टिस वर्मा के खिलाफ तभी महाभियोग के प्रस्ताव पर विचार करेगी। अगर सरकार जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ भी महाभियोग का प्रस्ताव लाती है तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव पिछले साल अपनी टिप्पणियों के कारण विवाद में आए थे जो उन्होंने विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में की थी। उनके खिलाफ भी विपक्षी दलों ने महाभियोग प्रस्ताव लाया था जो कि राज्यसभा में अभी लंबित है। अगली सुर्खी पीएम नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से जुड़ी हुई है। दौरा चलेगा 23 जुलाई से 26 जुलाई तक। शुरू के दो दिन ब्रिटेन और फिर मालदीव्स से जाएंगे पीएम बतौर पीएम नरेंद्र मोदी की यह चौथी ब्रिटेन यात्रा है। खास यात्रा है। इस बार दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर सहमति बनने की पूरी उम्मीद है। एफटीए दो या दो से अधिक देशों के बीच एग्रीमेंट होता है। मकसद होता है कि दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिले। आर्थिक विकास को पुश मिले। उद्योग फायदेमंद हो। विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री उनकी मानते हैं तो समझौते को अंतिम रूप देने के लिए लास्ट मिनट का काम चल रहा है। अब बात इस समझौते की ग्रेविटी पे। इंडिया रेडियो की रिपोर्ट के मुताबिक समझौता 3 साल की मुश्किल बातचीत के बाद हो रहा है। ब्रिटेन इसे ब्रेग्जिट के बाद अपनी सबसे बड़ी व्यापारिक जीत मानकर चल रहा है।

वहीं समझौते से भारत का फायदा यह होगा कि निर्यात आसान हो जाएगा। एक्सपोर्ट। अब यात्रा की हाईलाइट्स में ब्रिटेन के राजा किंग चार्ल्स थर्ड से पीएम की मुलाकात भी है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री की स्टमर से भी उनको पीएम को मुलाकात करनी है। आधिकारिक ग्रामीण आवास चेकर्स में मेहमान के तौर पर पीएम मोदी जाएंगे जहां पे उनसे मुलाकात होगी। सुरक्षा का भी खास इंतजाम किया गया है। खबरें बताती हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की इस विजिट में खालिस्तान चरमपंथी एक्टिविस्टों, आतंकवादियों उनके बारे में और देश से भागे हुए नीरव मोदी, विजय मालिया इन सबके वापसी का मुद्दा भी उठाया जा सकता है। ब्रेडिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव जाएंगे। जहां वे 25 और 26 जुलाई को मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पे शामिल होंगे। अपने दौरे पर पीएम मोदी मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजू के साथ बातचीत करेंगे। भारत के कोलैबोरेशन से शुरू कई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन भी करेंगे। यह यात्रा मुईजू के नवंबर 2023 में राष्ट्रपति बनने के बाद किसी विदेशी नेता की पहली राजकीय यात्रा होगी। अगली सुर्खी mntra से जुड़ी है। इनफोर्समेंट डायरेक्टर यानी ईडी ने mntra डिज़ाइंस प्राइवेट लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनियों पर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट यानी फेमा के उल्लंघन के तहत नोटिस जारी किया है। शो कॉज नोटिस। मामला करीब ₹1654 करोड़ के विदेशी मुद्रा के एक इंपोर्ट के उसके सामान के इंपोर्ट के उल्लंघन से जुड़ा है।

फेमा भारत में होने वाले व्यापार पर नजर बनाए रखने के लिए एक कानून है जिसे साल 1999 में लाया गया था। मकसद इस बात का कि निगरानी करना कि कोई भी कंपनी या व्यक्ति विदेशी पैसों का गलत इस्तेमाल ना करें। फॉरेन एक्सचेंज को या विदेशी पैसों को देश में गलत तरीके से ना आने दे। एफडीआई की सुरक्षा करना, फॉरेन एक्सचेंजेस के इंडिया में व्यापार की रक्षा करना इस सबको ध्यान में रखते हुए फेमा की नीव रखी गई थी। ईडी के नोटिस के मुताबिक mntra को एफडीआई के लिए जो लाइसेंस मिला था वो थोक का मिला हुआ था।

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