ईरान ने भारत को धन्यवाद कहा है। भारत को धन्यवाद देते हुए ईरान ने जय हिंद भी कहा है। आप जानते ही होंगे कि ईरान और इजराइल के बीच सीज की घोषणा होने के बाद भी दोनों देश इस संघर्ष में अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। इस बीच ईरानी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स के जरिए भारत का आभार जताया है। क्यों जताया है?
इसका जवाब ईरान के धन्यवाद संदेश में छिपा है। जिसमें लिखा है इजराइल और संयुक्त राज्य अमेरिका की सैन्य आक्रामकता के खिलाफ जनताकी विजय के अवसर पर नई दिल्ली में ईरान का दूतावास भारत के सभी उदार और स्वतंत्रता प्रेमी लोगों जिनमें सम्मानित नागरिक, राजनीतिक दल, माननीय सांसद, गैर सरकारी संगठन, धार्मिक और आध्यात्मिक नेता, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, मीडिया के सदस्य, सामाजिक कार्यकर्ता और सभी व्यक्ति और संस्थाएं शामिल हैं। उनके प्रति ईरान हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता है। जिन्होंने हाल के दिनों में विभिन्न रूपों में ईरान का दृढ़ता से और मुखरता से समर्थन किया।
संदेश में आगे यह भी कहा गया है कि ईरान ने लगातार अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने औरविस्तारवादी एवं नीतियों का विरोध करने की आवश्यकता पर बल दिया है। हम दृढ़ता से यह मानते हैं कि राष्ट्रों की एकता और एकजुटता लड़ाई और अन्याय के खिलाफ एक शक्तिशाली कवच के रूप में काम करती है। हम एक बार फिर महान भारतीय राष्ट्र के लोगों, संस्थाओं द्वारा दिखाए गए सच्चे और अमूल्य समर्थन की ईमानदारी से प्रशंसा करते हैं। बेशक यह एकजुटता, शांति, स्थिरता और वैश्विक न्याय के उद्देश्य को मजबूत करेगी। यह वीडियो शूट होने तक भारत की तरफ से ईरान के इस धन्यवाद संदेश पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
फिलहाल ईरान और इजराइल के बीच सीजफायर के बाद भी तनाव बरकरार है। न्यूज़ एजेंसी रटर्स के मुताबिक 25 जून की सुबह ईरान ने तीन लोगों को फांसी दे दी। रिपोर्ट के मुताबिक तीनों पर इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए काम करने का आरोप था। अब आपको संक्षेप में इस संघर्ष का रिककैप करवा देते हैं जो कि 13 जून के रोज इजराइल द्वारा ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हवाई हमलों के साथ शुरू हुआ था। इसे इजराइल ने ऑपरेशन राइजिंग लाइन नाम दिया।
इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों जैसे फोर्डो, नताज और इसान पर हमले किए ताकि उसकी परमाणु क्षमता को नष्ट किया जाए। इसके जवाब में ईरान ने तेलअवीब, यरूशलम और वीर सेवा जैसे शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। संघर्ष के आखिरी दौर में अमेरिका ने भी ईरान के परमाणु केंद्रों को निशाना बनाया और आखिरकार करीब 11 दिनों के बाद दोनों देश सीज के लिए राजी हुए।