जोधपुर एक्सप्रेस हाइवे पर बड़ा हादसा, 15 लोगो ने गवाई जान।

राजस्थान के जोधपुर में रविवार को एक हादसे की खबर सामने आई। एक एक्सप्रेसवे, एक टूरिस्ट बस और सड़क पर खड़ा एक ट्रेलर। इन तीनों के मिलन ने एक ऐसी कहानी लिख दी जिसे सुनकर हर आंख नम हो जाएगी। 15 जिंदगियां खत्म और कई परिवारों में पसरा सन्नाटा। आखिर क्या था इस हादसे की वजह? कौन है इस के तांडव का जिम्मेदार?

रविवार का दिन था जोधपुर के फलौदी क्षेत्र और भारतमाला एक्सप्रेसवे शाम के करीब 6:30 बजे थे। एक टूरिस्ट बस जिसे टेमो ट्रैवलर कहते हैं। कोलायत में कपिल मुनि आश्रम से दर्शन कर जोधपुर के सुरसागर इलाके में अपने घरों को लौट रही थी।

सब कुछ सामान्य था। शायद कुछ हंसीज़ाक चल रहा होगा। घर पहुंचने की उम्मीदें होंगी। लेकिन किसे पता था कि यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर बनने वाला है। अचानक मतोड़ा क्षेत्र में हाईवे पर सड़क किनारे खड़े एक ट्रेलर में यह टेमो ट्रैवलर पीछे से जा घुसा। टक्कर इतनी भीषण थी कि टेम्पो ट्रैवलर का अगला हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया।

चीख पुकार, कांच टूटने की आवाजें और फिर सन्नाटा। इस हादसे में मौके पर ही 15 लोगों की जान गई।

हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा। स्थानीय ग्रामीणों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। टेमो ट्रेवलर में फंसे देह और घायलों को निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। घायल लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया और प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर रेफर कर दिया गया। मरने के देह को ओसिया के सरकारी अस्पताल से जोधपुर भेजा गया है।

10 शव महात्मा गांधी अस्पताल के मोर्चरी में और पांच शव एम्स में भिजवाए गए हैं। सोचिए जिन परिवारों के लोग कुछ घंटे पहले घर लौटने की उम्मीद में निकले थे, अब उनके शव अस्पताल की मोर्चरी में पड़े हैं।

यह मंजर कितना दर्दनाक होगा। इस हादसे में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने भी दुख जताया है और जोधपुर कलेक्टर व एसपी को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर घायलों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं।

पीएमओ ने भी इस हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए आर्थिक सहायता की घोषणा की है। लेकिन सवाल वही है कि क्या सिर्फ संवेदनाएं और सहायता काफी हैं? राजस्थान के मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने इस हादसे पर एक बड़ी बात कही है।

उन्होंने बताया कि मरने वालों की संख्या 15 है और यह आंकड़े 18 तक भी जा सकते हैं। लेकिन इससे भी अहम बात जो उन्होंने कही है वो यह है कि स्पीड ब्रेकर से अधिक चालक को अनुशासन की आवश्यकता होती है। और यह बात बिल्कुल सही है। अच्छी सड़कें बन गई हैं।

तो गाड़ियां ओवर स्पीड में चलने लगी हैं। यातायात के नियमों का पालन नहीं किया जाता है। ट्रेलर चालक के लिए हाईवे पर पार्किंग की व्यवस्था है। फिर भी वह सड़क के किनारे खड़े हो जाते हैं जो इस तरह के हादसों को न्योता देता है। यह हादसा हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम वाकई सुरक्षित सड़कों पर चल रहे हैं?

क्या हम यातायात नियमों का पालन कर रहे हैं? क्या हम दूसरों की जान की परवाह कर रहे हैं? सरकार अपने स्तर पर आर्थिक मदद देगी। भविष्य के लिए ठोस एक्शन प्लान बनाने की भी बात कही जा रही है। लेकिन क्या यह सब उन 15 जिंदगियों को वापस ला पाएगा जो हमारे बीच अब नहीं है। यह हादसा हमें याद दिलाती है कि सड़क पर हर पल चौकन्ना रहना कितना जरूरी है। एक छोटी सी गलती एक पल की लापरवाही पूरे परिवार को तबाह कर सकती है।

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