राजस्थान के भिलवाड़ में पत्थर के नीचे दबा मिला बच्चा।

रोने की आवाज कोई सुन ना ले इसीलिए बच्चे के मुंह के अंदर कंकड़ डाल दिए गए। कंकड़ बाहर ना आ जाए इसीलिए बच्चे के होठों को ग्लू स्टिक से चिपका दिया गया। आसपास के लोगों को पत्थर के नीचे किसी के होने का शक हुआ तो ईंटें हटाई गई। ईंटें हटी तो अंदर से एक बच्चा नजर आया। धूल में लिपटा हुआ होठ चिपके हुए और स्किन तब कर नीली पड़ चुकी थी। उसके मुंह से जब कंकड़ निकाला गया तब बच्चा एकदम से चीख कर रोया। यह बच्चा सिर्फ 15 से 20 दिन का है। बच्चे की जो तस्वीर सामने आई है उसके बाद घटिया, घिनौने या फिर अमानवीय जैसे शब्द बेहद छोटे पड़ जाएंगे।

वीडियो और तस्वीरें हैं। दिखाई नहीं जा सकती। मामला राजस्थान के भीलवाड़ा जिले का है। बच्चा 23 सितंबर की तपती दोपहर में एक बुजुर्ग को मिला। उसे तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। आज तक से जुड़े प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल बच्चा एनआईसीयू में है और उसकी हालत क्रिटिकल बताई जा रही है।

मुंह में फेविक्विक लगाए जाने की वजह से उसे सामान्य रूप से सांस लेने में तकलीफ हो रही है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी है और मिट्टी में काफी देर तक पड़े रहने की वजह से पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल चुका है। उसको बाहर फेंक दिया गया था। झाड़ियों में जिसके कारण उसके शरीर में चोट आई है और उसको सांस लेने में भी तकलीफ था। बच्चे की परिस्थिति अभी गंभीर है और एसेंशियल भीलवाड़ा में उसकी ट्रीटमेंट चल रही है।

के निशान है उसको किस इसमें के निशान है। अभी बच्चा गरम चीज के ऊपर फेंका है। गरम पत्थर हो के ऊपर फेंका गया था। तो उसके कारण उसको शरीर में चोट लगी है। अभी हालात कैसे हुए? अभी उसकी परिस्थिति गंभीर है और सांस लेने में भी तकलीफ है तो उसको ट्रीटमेंट किया जा रहा है और ऑक्सीजन सपोर्ट में भी है अभी बच्चा। दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में उस बुजुर्ग का बयान छापा जिसने बच्चे को सबसे पहले देखा था।

रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्यक्षदर्शी बुजुर्ग का नाम हीरालाल है। उन्होंने बताया कि बकरियों को चराते समय मैं पत्थरों के पास ही बैठ गया था। मुझे बच्चे की सिसकियों की आवाज सुनाई दी। मैंने पत्थरों के ढेर के अंदर देखा तो वहां बच्चे का हाथ दिखाई दिया। पहले मैं पत्थरों को हटाकर बच्चे को निकालने वाला था। लेकिन फिर सोचा कि फंस जाऊंगा। इसीलिए तय किया कि पहले किसी और को भी लेकर आता हूं। तुरंत दौड़कर लगभग 200 मीटर दूर एक मंदिर के पास पहुंचा। वहां कुछ लोग मौजूद थे। मैं उनके साथ पत्थरों के पास पहुंचा।

पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने हमें पत्थर हटाकर देखने के लिए कहा। हमने पत्थर हटाना शुरू किया तो बच्चा नजर आया। उसके मुंह में एक पत्थर ठूंसा हुआ था। होंठ फेवीक्विक से चिपकाए हुए थे। किनारे से थोड़ी जगह खुली थी। जैसे ही बच्चे के मुंह से पत्थर निकाला गया, वो जोर से रोने लगा। बच्चा काफी तड़प रहा था। हम उसे पास ही ढाबे पर लेकर गए। तभी पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। यह मामला बाल कल्याण समिति के पास भी पहुंचा। रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने बच्चे का नाम तेजस्व रखा है। पुलिस ने 108 की मदद से बच्चे को पहले बिजोलिया अस्पताल में भर्ती करवाया था।

जहां उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद उसे भीलवाड़ा जिला अस्पताल रिफर किया गया। डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की हालत क्रिटिकल है। पत्थर गर्म होने की वजह से लेफ्ट साइड का शरीर झुलस गया है। बिजोलिया थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। आगे की जांच शुरू कर दी गई है। फिलहाल बच्चे के पेरेंट्स के बारे में पता नहीं चल पाया है और ना ही बच्चे के साथ इस तरह की हरकत करने वाले की कोई जानकारी सामने आई है।

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