जब हम भारतीय सिनेमा के उन कलाकारों की बात करते हैं जिन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई तो मुमताज बेगम का नाम जरूर याद आता है ये एक ऐसी अभिनेत्री थी जिन्होंने लगभग पांच दशक तक फिल्म इंडस्ट्री में काम किया लेकिन फिर भी वो उस शोहरत से दूर रही जिसकी वो हकदार थी मुमताज बेगम का निधन 9 मार्च 2002 को मुंबई में हुआ था पिछले कई दिनों से इनके बारे में वीडियो बनाने की मांग हो रही थी लेकिन उनके बारे में जानकारी जुटाना आसान नहीं.
दरअसल मुमताज ने खुद को फिल्म जगत से इतना अलग-थलग रखा कि इंडस्ट्री के दिग्गजों को भी उनके जीवन के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं इसी रहस्यमई शख्सियत मुमताज बेगम का जन्म 7 अप्रैल 1923 को मुंबई के एक मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था वो 70 के दशक की अभिनेत्री नाजनीन की मौसी थी एक गलतफहमी जो अक्सर देखने को मिलती है वो यह है कि लोग उन्हें मशहूर अभिनेत्री वाहिदा रहमान की मां समझते हैं लेकिन यह सच नहीं उनके पिता मोहम्मद रिवी अपने समय के पढ़े लिखे इंसान थे और चाहते थे कि उनके सभी बच्चे पढ़ाई लिखाई कर बड़े अधिकारी बने मुमताज के चारों भाई-बहन अपने-अपने क्षेत्र में आगे बढ़े लेकिन मुमताज को कॉलेज के दिनों से ही अभिनय का जुनून सवार हो गया इसी वजह से उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और एक ऐसे शख्स से शादी कर ली जो पहले से ही फिल्म जगत से जुड़ा था.
उनके पति का नाम तो स्पष्ट नहीं है लेकिन वो 40 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय थे और खासतौर पर बॉम्बे टॉकी स्टूडियो से जुड़े हुए थे उनके जरिए मुमताज बेगम को फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिला उस दौर में उन्होंने हीरोइन के रूप में तो काम नहीं किया लेकिन कुछ फिल्मों में उनके किरदार कहानी के हिसाब से बेहद अहम थे मिसाल के तौर पर 1950 की सुपरहिट फिल्म दहेज में उन्होंने जयश्री की मां का किरदार निभाया था.
मुमताज बेगम ने लगातार चार दशकों तक मां के किरदार निभाए जिसके चलते अभिनेता राजेंद्र कुमार और धर्मेंद्र उन्हें अपनी पसंदीदा मां मानते थे उस समय मां के किरदारों में लीना चिटनीस और दुर्गा खोटे जैसी मंझी हुई अभिनेत्रियों का दबदबा था इस वजह से मुमताज को वो दर्जा नहीं मिल सका जो दुर्गा खोटे को हासिल हुआ वहीं ललिता पवार जैसी अभिनेत्रियों ने तीखे और नकारात्मक किरदारों में अपनी पहचान बनाई जिसके चलते मुमताज बेगम वहां भी अपनी जगह पक्की नहीं कर पाई फिर भी ऐसा नहीं कि उन्होंने बड़ी बैनर की फिल्मों में काम नहीं किया आरजू और जागृति जैसी फिल्मों में भी उनकी मौजूदगी देखने को मिलती है अपने जीवन में शानदार अभिनय करने वाली मुमताज बेगम को फिल्मकारों ने कम आंका जिसके चलते उनका स्क्रीन टाइम धीरे-धीरे कम होता गया लगभग पांच दशक तक फिल्म जगत की सेवा करने वाली मुमताज बेगम का नाम क्रेडिट में भी नजर आना बंद हो गया था.
राजेश खन्ना की फिल्म अवतार में उनका एक छोटा सा सीन दिखता है वहीं आप आई बाहर आई फिल्म में उनका किरदार काफी अहम था लेकिन उनका काम कभी एक समान नहीं रहा करीब 200 फिल्मों में अभिनय करने के बाद उन्होंने 90 के दशक में फिल्मों से सन्यास ले लिया मुमताज बेगम ने अपने आखिरी दिनों में खुद को सुर्खियों से दूर रखा और 9 मार्च 2002 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया उनकी सादगी और मेहनत आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक खामोश लेकिन यादगार अध्याय के रूप में मौजूद है.