निधन से पहले आखरी 1 महीने में कितना बदल गए थे सुशांत?

सबसे करीब कौन था जब वह बॉम्बे रहते थे? रूबी दी थी बट दी आप यहां से जाइए। यू नो एज इफ ही इज़ ट्राइंग टू प्रोटेक्ट हर। कितने समय पहले? 13th जून को बोला था। उसमें आपकी दीदी का वर्जन क्या था? क्या सुशांत में कोई चेंजेस आए थे? नहीं बट ही वाज़ इन अ प्रोटेक्टिव मोड। उसको लग रहा था कि दीदी को बचा। सबसे करीब कौन था? उनके जब वो बॉम्बे में रहते थे। करीब एज एन क्लोज प्रॉक्सिमिटी में कौन रह रहा था? हां, परिवार से कोई था? रूबी दी थी। रूबी दी थे बट रूबी दी को फिर भाई ने बोला था कि दी आप यहां से जाइए। यू नो एज इफ ही इज़ ट्राइंग टू प्रोटेक्ट हर टाइप्स। दी आप यहां से जाइए। आप यहां से लेकर कात्या के पास जाइए।

कात्या उनकी ये हुई डॉटर हुई। आप कात्या के पास जाइए। समय पहले आई थिंक 13th को 13th जून को बोला था 1 दिन पहले 1 दिन पहले या क्योंकि यूएस और यहां का डेट डिफरेंट होता है ना इसलिए आई गेट हार्डली मैटर्स हम हम मेरे को समझना ये है कि हम अगर एक इंसान को जो थ्योरी दी जा रही है हम हम वो जो आखिरी के एक महीने थे उसमें आपकी दीदी का वर्जन क्या था क्या सुशांत में कोई चेंजेस आए थे जैसे आपने कहा ना दीदी उन्होंने कहा कि आप चले जाओ तो कई बार होता है कि अपने परिवार परिवार से हम हम अंदर फ्रस्ट्रेट होते हैं। हमारा मन नहीं करता बात करने का। हम हम चिड़चिड़े हो जाते हैं। लड़ाई झगड़ा करने लगते हैं। नहीं बट ही वास इन अ प्रोटेक्टिव मोड।

उसको लग रहा था कि दीदी को बचा। अब जिस तरह से हम लोग वी आर एबल टू सी द होल थिंग ना ही वाज़ इन अ प्रोटेक्टिव। हम लोग के उसमें अगेन मेल प्रोटेक्ट करते हैं फीमेल्स को एंड यू नो वो फिर इनग्रेंड होता है हम में। तो उस तरीके से ही वाज़ ट्राइंग टू गेट दीदी ऑफ फ्रॉम दैट प्लेस। सो दैट उन पे नहीं कुछ आ जाए। ये आपकी दी कैसी है अभी? बट शी इज़ फाइन। शी इज़ शी इज़ मच बेटर। मुंबई से तो हम लोग उनको निकाल लिए। अब वो दिल्ली में ही रहता है। मुंबई से उसी समय निकाल लिया था। मुंबई का घर आपने सेल कर दिया था। सुशांत वाला। अब सुशांत रेंटेड उसमें रहते थे ना अपार्टमेंट। ओके।

अच्छा बाद में अदा शर्मा ने उस घर को जी। खरीदा। जी पता है आई वांटेड टू सी दैट प्लेस। मैं एक्चुअली गई थी उस फ्लैट को देखने के लिए। मुझे अंदर तक नहीं जाने दिया। यू नो आई वांटेड टू सी द डिस्टेंस वो यू नो सीलिंग और उसका बेड का। इस देश में कई केसेस ऐसे रहे हैं। दिव्या भारती का केस हो। हम्म हम्म आई नो हम लोग दिव्या भारती के टाइम बहुत छोटे-छोटे थे और जब ये हुआ था तो आई नो द काइंड ऑफ़ इंपैक्ट वी फेल्ट यू नो इन इन केसेस से कभी सच सामने नहीं आया। नहीं सामने नहीं आता सम हाउ ये सारे केसेस कभी रिसॉल्व नहीं हो पाते हैं। इसीलिए इतना ज्यादा इंपॉर्टेंट हो गया था कि खुद में इसको रिजॉल्व करना था। इस केस को खुद में एक तरीके से इसे रिजॉल्व करना था। और एक ही तरीके से मैं रिॉल्व कर पाई इस केस को। यह समझ के कि भाई कहीं गए नहीं हैं। उनका सूक्ष्म शरीर अभी भी है। मैं कैलाश यात्रा करके आई हूं। आई वास इन अ वे होपिंग कि आई विल सी भाई ओवर देयर सम हाउ ही विल जस्ट अपीयर बट भाई तो नहीं दिखे बट कैलाश एकदम क्लियर क्लियर गोल्डन गॉड मेड श्योर कि जहांजहां दर्शन इतने अच्छे से हुए शुभांकर इतना अच्छा दर्शन हुआ सब जगह और फिर हम लोग जैसे ही निकलते थे वहां बर्फ पड़ जाती थी। तो लगता था कि यू नो एक तरह से भाई भी प्रोटेक्ट कर रहा है।

ऐसा लग रहा था वहां पे। भाई शिव जी के साथ है और प्रोटेक्ट कर रहा है हमेशा। प्रोटेक्शन प्रोटेक्शन प्रोटेक्शन दर्द के इस अंधेरे से कैलाश की उस रोशनी तक हम कैसे इंसान पहुंचता है? बहुत बहुत वर्क करना पड़ता है। नथिंग कम्स इजी। यू हैव टू रियली वर्क ऑन योरसेल्फ। क्योंकि यह सब जो डेथ टाइप के ट्रॉमाज़ होते हैं ना, यह बहुत सारे सबकॉन्शियस पैटर्न ट्रिगर कर देते हैं आपके पूरे सिस्टम में। तो अब यू नो टू ओवरकम ऑल दैट यू हैव टू फर्स्ट लर्न अ टेक्निक जो एक्चुअली में वर्क करता है।

आप जब बोल रहे थे ना कि कोविड के टाइम दर्द को इंसान ज्यादा महसूस कर रहा था। दैट इज अ गुड थिंग। क्योंकि आपको डिस्ट्रैक्शंस नहीं है। डिस्ट्रैक्शंस जब रहते हैं ना शुभांकर तो आप ज्यादा चीजें इंप्रिंट्स लेते रहते हो। जैसे वर्ल्ड से हम लोग अभी बात कर रहे हैं। ये न्यू इंप्रिंट्स हैं जो आप ले रहे हो। ठीक है? तो ये आपके सिस्टम में और आपके ऊपर संस्कार की तरह से लेयरिंग डाल रहे हैं। जब आपके पास कुछ इस तरह का डिस्ट्रैक्शंस नहीं होता है ना जैसे मैं जब मंथ लॉन्ग रिट्रीट्स के लिए जाती हूं। सिक्स मंथ्स के रिट्रीट के लिए मैं सॉलिटरी रिट्रीट के लिए गई हूं। हम ठीक है। उसमें क्या होता है ना आपको एक कैबिन मिलता है और आप एक महीने बिल्कुल अकेले रहते हो। आप एक इंसान तक को नहीं देखते हो। आप दिन से रात तक बस ध्यान करते रहो तो उस कैबिन में बैठ के और जो आप ट्रीज देखते हो, जानवर देखते हो वो आपको रिमाइंड नहीं कराते कि आप श्वेता हो। आप यह इंसान हो। उनका यू नो आईज आप पर ऐसे फॉल करता है सी थ्रू यू नो तो आपको आइडेंटिटी कुछ प्ले करने का जरूरत नहीं होता तब क्या होता है ना आपके जो पहले के संस्कार है पिछले जन्म जन्मों के संस्कार और इस जन्म के भी डीपर डीपर संस्कार वो बाहर आना शुरू होते हैं तो आपको ना वो महसूस करना होता है बहुत डीपली इंस्टेड ऑफ रेजिस्टिंग इट कि मुझे नहीं जानना है मुझे नहीं महसूस करना है मैं इसे भागना चाहता हूं मैं इसे दबाना चाहता हूं आपको एक्चुअली उसको महसूस करना होता है एज अ सेंसेशन। कैसे महसूस करोगे आप? यह विपसना का पूरा का पूरा टेक्निक है। हमें सिखाया जाता है ये कैसे करना होता है। पहले तो हमें समाधि सिखाई जाती है।

आना पाना सती तो उससे क्या होता है ना माइंड एकदम फोकस हो जाता है। तीन दिन तक तो हम लोग 10 दिन के विपसना में तीन दिन तो हम लोग इस पार्ट पर एकदम फोकस करते रहते हैं। 10 10 से 12 घंटे एवरीडे बैठ के क्वेश्चन पर तो जब आप उस तरह से अपने माइंड को ट्रेन कर लेते हो ना एकदम फाइन फिर आप उस ट्रेंड माइंड को फोकस्ड कंसंट्रेटेड माइंड को पूरे बॉडी पे यू नो मूव करते हो और आपको सेंसेशंस फील होते हैं। बुद्ध ने कहा था एक ही लिंक है 12 लिंक्स ऑफ डिपेंडेंट अराइजिंग में एक ही लिंक है जिसको तोड़ने से ना फिर जन्म मरण के चक्र से आप फ्री हो जाते हो। वह लिंक है वेदना की। फस होता है। फस होता है जैसे कांटेक्ट। अभी आप मुझे देख रहे हो। किसी तरह का सेंसेशंस आप में जनरेट हो रहा होगा। वो आपका संस्कार बन रहा है। माइंड भी कुछ जनरेट कर रहा है। अभी हम लोग जो बात कर रहे हैं वो भी जनरे जनरेट कर रहा है।

किसी तरह का सेंसेशन वो भी आपका पार्ट है। तो यह जो वेदना है ना सेंसेशंस यह आपको बहुत डीपली फील करना होता है। और जब माइंड डिस्ट्रैक्टेड नहीं होता है ना तो आप एक्चुअली इसको बहुत अच्छे से फील करते हो। तो जब आप वेदना को फील करते हो ना तो इट्स ऑलमोस्ट लाइक यू आर रिलीजिंग दैट एनर्जी। ठीक है? वो आपका ब्लॉक्ड एनर्जी है। एक तरीके से ब्लॉक हो गया है। हम लोग इनफिनिट एनर्जी हैं।

पोटेंशियल है पूरे के पूरे। बट हमारा क्या होता है ना इस तरह के ट्रॉमा से ना हमारा एनर्जी ब्लॉक्ड हो जाता है। अच्छा उसने मुझे ऐसे बोल दिया। अच्छा मैं बहुत एंग्री हो गई। यू नो ऐसा सबसा बात हुआ था। ये सब ना हमारा एनर्जी ब्लॉक करके बहुत लेयर्स में ब्लॉक्ड रहता है अंदर सिस्टम में। तो यह सब हम लोग रिलीज करते हैं। उसको एकदम प्रेजेंट होकर फील करके विदाउट जजिंग इट विदाउट यू नो बाय फीलिंग इट। क्या गुड क्या बैड नहीं कुछ गुड नहीं, कुछ बैड नहीं। जो भी आ रहा है हम प्रेजेंट होके उसको पूरी तरह से जिएंगे। तो इस तरीके से आप बेसिकली अपने को हील कर सकते हो। अपने इस दर्द से निकल सकते हो और एक बार दर्द से निकलना शुरू कर दो ना शुभांकर। मैं आपको बता रही हूं इस तरह के एक्सपीरियंसेस होने लगते हैं जो हम हम अगर प्यासे हैं हमें पानी चाहिए। है ना? इसी तरह से हम सब प्यासे हैं। पूरे वर्ल्ड में सब प्यासे हैं। खुशी के लिए, हैप्पीनेस के लिए, रियल जॉय के लिए, रियल ब्लेस के लिए। हम लोग सब दौड़ रहे हैं। हम लोग अगर देखो ना क्या फाइंड करने की कोशिश कर रहे हैं लाइफ में? हम लोग फाइंड करने की कोशिश कर रहे हैं खुशी। कहां से खुशी फाइंड करने की कोशिश कर रहे हैं? कभी हम लोग कोशिश करते हैं उसको किसी तरह का अकंप्लिशमेंट से, फेम से, मनी से, पावर से। फिर डर एक बार आ भी जाता है तो फिर डर लगने लगता है कि फिर वो खो जाएगा। क्योंकि बहुत एफेमरल होता है ना वर्ल्ड का कोई भी चीज। बहुत एफमरल होता है। बड़ा ट्रांजिएंट सा होता है। टेंपरेरी सा होता है।

कभी भी कोई चीज फॉर एवर नहीं होता है वर्ल्ड में। है ना? अगर आप किसी को बहुत दिल से प्यार भी करते हो। वो आपके लाइफ में है भी। बट लगता है ना कि मर जाएगा कल। कल को मर जाएगा तो मेरा क्या होगा? हमेशा वह फ़ियर अंदर एक सब्लिमिनरी लेवल पर हमेशा रहती है। बट जब आप ध्यान करना शुरू करते हो ना शुभांकर जो वो ब्लिस फील होता है ना जब आप समाधि में उतरते हो आई कैन नॉट एक्सप्लेन यू। मुझे लगता है ना उसी चीज के लिए हम लोग यह सब जगह दौड़ रहे हैं जो हमें मिल नहीं रहा है बाहर क्योंकि वो बाहर है ही नहीं। वो अंदर है। आपको बस वो टैप इन करना होता है। वो सेंस ऑफ आई एम जो हम अवेयरनेस हैं उस पे टैप इन करना होता है विदाउट मूविंग इधर से उधर। थॉट नहीं सोचना होता है।

ठीक है? हमें सतचित आनंद बुलाया जाता है ना वेदांत में। सत चित आनंद मतलब क्या? मतलब क्या? सत क्या है? आप बताओ मुझे। आप समझाओ ना। आप आप उस वक्त मैं आपको सुन रहा हूं। मैं अलग दुनिया में मैं खुद जा रहा हूं। अच्छा ठीक है। सत्य है ट्रुथ। ट्रुथ क्या होता है? ट्रुथ होता है जो हमारे में परमानेंट रहा है। जो चीज बदली नहीं है। चेंज नहीं हुई है। हमेशा बोलते हैं ना चेंज इज द ओनली कांस्टेंट। हम लोग बोलते हैं ना चेंज इज द ओनली कांस्टेंट। कोई एक चीज है आप में जो आज तक बदली नहीं है। आप बताओ शिवांकर वो क्या है? हमारी चेतना? वेरी गुड आपने सही आंसर

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