कि लता मंगेशकर के निधन के बाद उनका गला अमेरिका के वैज्ञानिकों को क्यों नहीं दिया गया जबकि इस साल पहले यह गला लाखों डॉलर में भेज दिया गया था कहा गया कि लता दीदी के निधन के बाद उनके गले पर अमेरिका में रिसर्च होगी कि आखिर वो इतना सुरीला कैसे कह सकती हैं।
जैसे अमेरिकी वैज्ञानिकों ने आइंस्टीन के मरने के बाद उनके दिमाग को अपने पास रिसर्च के लिए रख लिया उसी तरह से लता दीदी का गला भी रखा जाएगा लेकिन ऐसा क्या हुआ कि निधन के बाद लता दीदी के गले को अमेरिका को नहीं सौंपा गया।
अपने बचपन से हम यही किस्सा सुनाते हैं कि लगा दी के निधन के बाद अमेरिका उनके गले पर रिसर्च करेगा लेकिन पहले के दौर में किसी की लड़ाई करने का सबसे अच्छा तरीका यही होता था कि उसके बारे में कुछ ऐसा कह दो जिसकी उम्मीद किसी ने ना कि हो और ऐसा पहले कभी हुआ भी ना हो।
यही झूठे किस्से कहानियां लता मंगेशकर को लेकर कह गए और यह सब पीढ़ी-दर-पीढ़ी ट्रांसफर भी हुए नकदी देने अपना गला कभी बेचा और न ही अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कभी लता दीदी को उनका गला खरीदने की पेशकश की हालांकि सच यह है कि लता मंगेशकर को पूरी दुनिया में लोग जानते थे उन्होंने 35,000 से ज्यादा गाने गाए जो अपने आप में एक महान रिकॉर्ड है उनकी सुरीली आवाज ही उनकी पहचान थी
