ग़ाज़ा में भूख से तड़पते बच्चे | माँ की गोद में दम तोड़ रहा 2 साल का बच्चा |

क्या आप कल्पना कर सकते हैं उस बेबसी की जब एक डॉक्टर के सामने पांच छोटे-छोटे मासूम बच्चे हो। भूख से तड़प रहे हों और वो डॉक्टर उन्हें बचाने के लिए कुछ भी ना कर पाए। एक-एक करके 4 दिनों के अंदर पांचों बच्चों ने दम तोड़ दिया। उनकी गलती बस इतनी थी कि वह गाजा में पैदा हुए थे। यह कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं है।

यह गाजा के पेशेंट्स, फ्रेंड्स, हॉस्पिटल की दिल दहला देने वाली हकीकत है। यह वो अस्पताल है जो उत्तरी गाज़ा में कुपोषित बच्चों के लिए आखिरी उम्मीद है। लेकिन अब यह उम्मीद भी दम तोड़ रही है। पिछले कुछ हफ्तों से जो हो रहा है, वह पहले कभी नहीं देखा गया। अस्पताल की एक डॉक्टर राणा सोबोह बताती हैं कि अब बच्चे इतने कमजोर हो गए हैं कि उनमें रोने की भी ताकत नहीं बची है। वो बस चुपचाप पड़े रहते हैं। पहले जो बच्चे इलाज से ठीक हो जाते थे अब वह ठीक नहीं हो रहे हैं। डॉक्टर सुबोह कहती है हमारे सामने जो तबाही है उसे बयां करने के लिए शब्द नहीं है।

पूरी दुनिया के सामने बच्चे दम तोड रहे हैं। इससे ज्यादा बदसूरत और भयानक मंजर और क्या हो सकता है? और यह सिर्फ बच्चों की बात नहीं है, जो भूख महीनों से गाज़ा के 20 लाख लोगों को धीरे-धीरे खा रही थी, अब वो मौत का एक तूफान बन चुकी है। गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े सुनिए और सोचिए। पिछले सिर्फ तीन हफ्तों में कुपोषण से जुड़ी वजहों से कम से कम 48 लोगों की मौत हुई है। इनमें 28 बड़े और 20 बच्चे शामिल हैं। आप सोच रहे होंगे कि अचानक कैसे हुआ। एक अमेरिकी डॉक्टर डॉक्टर जॉन कैहलर जो गाजा में काम कर चुके हैं, वह कहते हैं कि इंसान का शरीर कुछ हद तक ही कैलोरी की कमी झेल सकता है और ऐसा लगता है कि गाजा में लोग अब उस हद को पार कर चुके हैं। वो इसे पपुलेशन डेथ स्पायरल यानी एक पूरी आबादी की जान गई शुरुआत कहते हैं।

2 साल के याजान की कहानी बताता हूं। उसकी मां नाइमा जब उसके कपड़े उतार कर उसका शरीर दिखाती है तो रूह कांप जाती है। उसकी पसलियां, रीड की हड्डी, कंधे की हड्डियां सब बाहर झांक रही हैं। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं है। वो दिन भर बस जमीन पर पड़ा रहता है। क्योंकि उसमें अपने भाइयों के साथ खेलने की ताकत भी नहीं बची और जानते हैं उसका परिवार क्या खा रहा है। $9 में खरीदे गए दो बैंगन जिन्हें पानी में उबालकर एक पतला सा सूप बनाया गया है। वही सूप पूरा परिवार कुछ दिनों तक चलाएगा। याजान के पिता कहते हैं हम उसे कई बार अस्पताल ले गए। डॉक्टर बस कहते हैं इसे खिलाओ। मैं डॉक्टरों से कहता हूं आप खुद देख लो। यहां खाना ही नहीं है। उनके पिता का दर्द सुनिए। अगर हमने इसे ऐसे ही छोड़ दिया तो यह हमारे हाथों से फिसल जाएगा और हम कुछ नहीं कर पाएंगे। तो सवाल यह है कि आखिर खाना और दवाइयां हैं कहां? मार्च से इजराइल ने गाजा में खाने, दवा और ईंधन जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई पर सख्त पाबंदी लगा रखी है। पिछले दो महीनों में कुछ राहत मिली है, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है। संयुक्त राष्ट्र कहता है कि रोजाना 500 से 600 ट्रकों की जरूरत है, लेकिन पहुंच रहे हैं सिर्फ 6070 ट्रक। इजराइल का कहना है कि हमास सहायता लूट रहा है।

वहीं यूएन और दूसरी सहायता एजेंसियां कहती हैं कि अगर पर्याप्त मात्रा में मदद आने दी जाए तो लूटपाट अपने आप बंद हो जाएगी। इस आरोप प्रत्यारोप के बीच कौन पिस रहा है? याजान जैसे बच्चे सीवर जैसी बच्ची जो पोटेशियम की कमी से मर गई क्योंकि अस्पताल में सही दवाई नहीं थी। और वो अनगिनत लोग जो गुमनामी में दम तोड़ रहे हैं। जो डॉक्टर और नर्स इन बच्चों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं वह खुद भूखे हैं। डॉक्टर सोबोह बताती हैं कि उनकी दो नर्सों को खुद आईवी ड्रिप लगाकर काम करना पड़ा। वो कहती हैं हम थक चुके हैं।

हम जिंदा बन गए हैं। , यह कहानियां, यह आंकड़े यह सिर्फ एक न्यूज़ रिपोर्ट नहीं है। यह चीखें हैं। यह उन बच्चों की बेबसी है जो दुनिया से पूछ रहे हैं। कि हमारा कसूर क्या था? जब सियासत, जंग और नफरत इतनी बड़ी हो जाए कि बच्चों की भूख और मौत छोटी लगने लगे तो हमें रुक कर सोचना होगा। सवाल यह नहीं कि कौन सही है और कौन गलत। सवाल यह है कि इंसानियत कब जागेगी।

Leave a Comment