यही वह व्यक्ति है जो ई रिक्शा को चला रहा है। इसी ने नीट जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में परचम लहरा दिया। 2021 में 12वीं पास करने के बाद से ही मोहम्मद सोहेल पिता का ई रिक्शा चलाने लगे। रोज सुबह 8:00 बजे ई रिक्शा लेकर निकलते और शाम 5:00 बजे तक रिक्शा चलाते जिससे परिवार की कुछ आर्थिक मदद कर सकें। मेरी मुलाकात मेरे एक दोस्त से हुई मोहम्मद फरमान उन्होंने मुझे नीट के बारे में बताया कि इस तरह एक नीट का एग्जाम होता है।
अगर आप इसमें अच्छे नंबर लेकर आ जाते हो तो गवर्नमेंट जो है वो एमबीबीएस आपको लगभग फ्री करा के देती है। तो मैंने उस टाइम ठान ली थी कि यार करना तो एमबीबीएस ही है। दोस्त ने नीट के बारे में बताया तो गांव में ही सोहेल ने ₹500 का ट्यूशन लगा लिया। कभी रटर कर नंबर लाने वाले सोहेल को पढ़ाई में मजा आने लगा और समर्पण के साथ पढ़ाई कर सोहेल ने नीट जैसी परीक्षा पास कर ली। सोहेल अब एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर गरीबों का सहारा बनना चाहते हैं।
यही वह व्यक्ति है जो ई रिक्शा को चला रहा है। इसी ने नीट जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में परचम लहरा दिया। 2021 में 12वीं पास करने के बाद से ही मोहम्मद सोहेल पिता का ई रिक्शा चलाने लगे। रोज सुबह 8:00 बजे ई रिक्शा लेकर निकलते और शाम 5:00 बजे तक रिक्शा चलाते जिससे परिवार की कुछ आर्थिक मदद कर सकें।
मेरी मुलाकात मेरे एक दोस्त से हुई मोहम्मद फरमान उन्होंने मुझे नीट के बारे में बताया कि इस तरह एक नीट का एग्जाम होता है। अगर आप इसमें अच्छे नंबर लेकर आ जाते हो तो गवर्नमेंट जो है वो एमबीबीएस आपको लगभग फ्री करा के देती है। तो मैंने उस टाइम ठान ली थी कि यार करना तो एमबीबीएस ही है।
दोस्त ने नीट के बारे में बताया तो गांव में ही सोहेल ने ₹500 का ट्यूशन लगा लिया। कभी रटरट कर नंबर लाने वाले सोहेल को पढ़ाई में मजा आने लगा और समर्पण के साथ पढ़ाई कर सोहेल ने नीट जैसी परीक्षा पास कर ली। सोहेल अब एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर गरीबों का सहारा बनना चाहते हैं।