स्कूल में बेटे का निधन, मां करती रही इंतज़ार, अखिल की कहानी रुला देगी।

1 जुलाई की सुबह बाराबंकी के एक छोटे से गांव में एक मासूम बच्चा बहुत खुश था। 12 साल का अखिल प्रताप सिंह पूरे 1 महीने बाद स्कूल जा रहा था। दोस्तों से मिलने की खुशी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी। स्कूल जाने से पहले वो अपनी मां से बोला, मम्मी 10 की जगह 20 का नोट दो। स्कूल से लौट कर लौटा दूंगा। मां हंसी और वो 20 का नोट दे दिया। उसे क्या पता था यही उसकी मां से आखिरी जिद होगी। पिता जितेंद्र प्रताप सिंह ने उसे खुद कार से स्कूल छोड़ा।

सेंट एंथोनी स्कूल का गेट जहां बेटा उतरा और फिर एक पल में जिंदगी उलट गई। अखिल अचानक लड़खड़ाया और जमीन पर गिर पड़ा। पिता ने दौड़कर उसे उठाया और गोद में लिया। चीख-चीख कर मदद मांगी। लेकिन तब तक बेटा उनकी बाहों से हमेशा के लिए फिसल गया था। वो पल जब एक पिता ने अपने बच्चे को अपनी ही गोद में दम तोड़ते देखा। शायद उस वक्त की सुई वहीं थम गई। सीसीटीवी फुटेज में वो दर्द वो बेबसी साफ दिखती है।

कुछ लोग दौड़े मदद की अस्पताल भी ले जाया गया लेकिन जिंदगी ने साथ छोड़ दिया था। जब अखिल का बैग घर आया तो वही 20 का नोट उसने रखा मिला। जैसे उस मासूम ने अपना वादा निभाने की कोशिश की हो। मां ममता सिंह जो खुद एक शिक्षिका हैं। उस नोट को देखकर हर बार टूट जाती है। कहती हैं कि मेरा बेटा तो एक रुपए भी खर्च नहीं कर पाया। वो बच्चा गिरा और गिरने के बाद उसके पिताजी ने उठाया अचानक और जब मैं पास में आया तो मैंने देखा कि बच्चे की हालत थोड़ा गंभीर थी।

लेकिन ऐसा नहीं लग रहा था कि वो जो है एक्सपायर कर जाएगा। यह बड़े दुख की बात है। तो मैंने जब देखा तो उसको गाड़ी पर बैठ बैठवाया गया और पास के अस्पताल में मैंने उसको बताया कि आप इसको दिखवा लीजिए फर्स्ट एड ले लीजिए। उसके बाद में अगर कुछ ऐसी बात होती है तो फिर बाद में मैंने देखा कि वो शायद एंबुलेंस से लखनऊ की तरफ चला गया और बाद में सूचना मिली दोपहर के टाइम कि वो बच्चा एक्सपायर कर गया। अखिल का निधन का कारण अब तक पता नहीं। पोस्टमार्टम नहीं हुआ लेकिन एक परिवार का संसार उजड़ गया। हर वो मां-बाप जो अपने बच्चे को स्कूल भेजते हैं। अब इस कहानी से डरे हुए हैं।

आज ममता सिंह के पास बस एक बैग है, एक नोट है और अनगिनत यादें जो ता उम्र उनका साथ देंगी। कभी जीने की वजह बनेंगी तो कभी हर रात की सिसकियां भी। यह सिर्फ एक मां-बाप की नहीं हर उस दिल की कहानी है जो अपने बच्चे की हंसी को सबसे कीमती दौलत मानता है। अखिल अब नहीं है लेकिन उसकी मासूम जिद, उसकी हंसी हमेशा जिंदा रहेगी।

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