12 जून को एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 जो अहमदाबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टेक ऑफ होती है और महज 50 सेकंड के अंदर वह प्लेन क्रैश हो जाता है। NS 18 इंडिया आज आपको रिप्रेजेंटेटिव पर्पस से दिखाना चाहता है कि आखिरकार एग्जैक्टली क्या-क्या संभावनाएं हैं जो उस प्लेन में घटी होगी। इस समय हम एक प्लेन के अंदर मौजूद हैं और इस प्लेन के अंदर मैं आपको दिखाऊंगा और समझाऊंगा कि 12 जून को आखिरकार एयर इंडिया AI 171 में क्या हुआ होगा। क्या-क्या संभावनाएं हैं। यह पूरी डिटेल मैं आपको दिखाऊंगा। इस तरीके के जो ड्रीम लाइनर होते हैं तीन अह दो सीट इधर बीच में चार सीट होती है और फिर कोने में दो या तो अ दो दो सीटें होती हैं और सारे पैसेंजर्स जो हैं वह अपनी-अपनी जगह पे बैठे हुए थे। लेकिन जो सीट नंबर 11 ए जो बहुत ज्यादा सुर्खियों में है जहां पर एआई71 के सर्वाइवर रमेश बैठे हुए थे।
यह सीट नंबर 11 ए नॉर्मल प्लेन में जाएंगे या ड्रीम लाइनर में। सीट नंबर 11 में ए इसलिए भी अहम है क्योंकि देखिए इसके इसके बिल्कुल बगल में होती है यह एग्जिट की इमरजेंसी डोर। इमरजेंसी डोर वो होती है कि जब कोई भी पैसेंजर किसी तरह की इमरजेंसी होती है तो इस फ्लैप को ओपन करके यह जो पूरा डोर है वो ओपन हो जाता है और ओपन होने के बाद बाकी के पैसेंजर यहां से निकल सकते हैं। हर एक उड़ान में चाहे वो डोमेस्टिक उड़ान हो या इंटरनेशनल उड़ान हो।
हर एक उड़ान से पहले टेक ऑफ से पहले जो केबी क्रू मेंबर है वो इस इमरजेंसी सीट पर जो 11 ए की सीट होती है उस पर बकायदा जो पैसेंजर बैठे होते हैं उसको पूरी तरीके से उन्हें गाइड करती है कि अगर इन केस कोई भी इमरजेंसी आ जाए तो उस इमरजेंसी पर किस तरीके से डोर को ओपन करना है और डोर को ओपन करने के बाद खुद को भी बचना है और दूसरों को भी बचाना00:01:54 है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि जब एआई71 क्रैश हुआ था तो जो उसका टेल का हिस्सा था वह एक बिल्डिंग से टकराता है और बाकी हिस्सा आगे जाके गिर जाता है। जब टेल का हिस्सा टकराता है और बाकी हिस्सा जब आगे फोर्स में बहुत तेजी से आगे जा रहा होता है तब ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि यह जो पार्ट है वो टूट गया था। यह विंडो ओपन हो गई थी। इमरजेंसी डोर सीट के साथ इस सीट पर रमेश बैठे हुए थे। देखिए इस सीट पर रमेश बैठे हुए थे और यह इमरजेंसी डोर है और बताया जा रहा है कि यह जो पार्ट है प्लेन का वो दो टुकड़ों में हो गया था जिसके बाद वो बेल्ट लगाए हुए थे और पूरी सीट के साथ ये जो इमरजेंसी डोर है वो इमरजेंसी डोर खुला और या फिर जो प्लेन क्रैश हुई टूटा सीधे सीट के साथ वो बाहर आ गए यानी कि बाद में जितने पैसेंजर यहां बैठे हुए थे या फिर पीछे बैठे हुए थे वो अपने आप को संभाल नहीं पाए बाहर नहीं निकल पाए क्योंकि सबसे नजदीक जो इमरजेंसी इमरजेंसी डोर इमरजेंसी डोर के पास जो कोई बैठा था वो था रमेश जो सीट नंबर 11 ए पे बैठा हुआ था। यह बताया जा रहा है कि इसी वजह से उसको कम चोटें आई और वो जिंदा बचा।
242 यात्रियों में से इकलौता यात्री रमेश जो जिंदा बचा। अनुमान लगाया जा रहा है कि जो मैंने आपको पूरा दिखाया कि किस तरीके से वो बाहर निकला होगा। किस तरीके से इमरजेंसी डोर के पास बैठा था 11A सीट नंबर के पास। इस तरह उसकी जान बची। अब हम आपको दिखाएंगे और समझाएंगे कि किस तरीके से कॉकपिट में जो पायलट थे और को-पायलट थे, उन्होंने अपनी पूरी कोशिश की, अपनी पूरी ताकत लगा दी होगी कि किसी तरीके से वो जहाज को ठीक से लैंड कर सकें।
हम एक ओरिजिनल प्लेन के अंदर हैं और जिस तरह मैंने आपको बताया कि रिप्रेजेंट तरीके से हम आपको दिखाना चाहते हैं कि एग्जैक्टली क्या हुआ होगा 12 जून को दोपहर 1:30 बजे00:03:45 के आसपास जब एयर इंडिया की फ्लाइट एआई71 अहमदाबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टेक ऑफ होती है और महज 50 सेकंड के अंदर वह क्रैश हो जाती है। देखिए जब भी एंट्री होती है यह एंट्री डोर है। किसी भी एयरक्राफ्ट का एंट्री डोर ड्रीम लाइनर में च चार एंट्री डोर होते हैं। दो आगे होते हैं, दो पीछे होते हैं। हम आगे वाले जो नोज का हिस्सा है, उस हिस्से में हैं। एंट्री डोर सारे जो पैसेंजर्स हैं, जो क्रू है, वो इस एंट्री से अंदर आते हैं। एयरक्राफ्ट की तरफ जाते हैं और मेरे इस साइड जो होता है वो कॉकपिट का दरवाजा होता है। कॉकपिट जब फ्लाई के दौरान पूरा जो कॉकपिट है वो लॉक रहता है। अंदर किसी को भी जाने की परमिशन नहीं होती है। हम कॉकपिट के अंदर जाते हैं और आपको दिखाएंगे कि कॉकपिट के अंदर क्या-क्या होता है और क्या-क्या संभावनाएं हुई होंगी उस दिन जिस समय यह प्लेन फट गया ।
कॉकपिट बहुत ही कॉम्पैक्ट हिस्सा होता है। बहुत सारे स्विच बहुत सारे बटंस, बहुत सारे पैनल्स इसमें होते हैं और इसको ऑपरेट करना इतना आसान नहीं होता है। इस समय हमारे साथ कैप्टन उमंग जानी हैं जो पूरी डिटेल में हमारे साथ बताएंगे कि एग्जैक्टली क्या-क्या संभावनाएं हैं, क्या-क्या हुई होंगी। हम इधर बैठ जाते हैं ताकि हम कैप्टन जॉनी से आसानी से बात कर सकें और उनसे समझ समझ सके कि आखिरकार एग्जैक्टली क्या होगा। जहां कैप्टन जॉनी बैठे हैं वो कैप्टन की सीट होती है और जहां मैं बैठा हूं वो को पायलट की सीट होती है। दोनों के जो फंक्शनंस होते हैं वो मोर लेस सेम होते हैं या फिर जो कैप्टन जॉनी ऑपरेट कर सकते हैं या मैं ऑपरेट कर सकता हूं। अगर कैप्टन जानी किसी चीज में बिजी हैं तो वो अपने को पायलट यानी कि मुझे इंस्ट्रक्शन दे सकते हैं कि मुझे आगे क्या करना है और क्या नहीं करना है। तो कैप्टन जॉनी से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिरकार इसमें जो पार्ट्स हैं क्या हुआ होगा एक्जेक्टली और क्या-क्या संभावनाएं हैं?
कैप्टन जॉनी ये बताइए कि 11 जून को इसी तरीके का माहौल होगा। यही कॉकपिट होगी। हुआ क्या था एक्जेक्टली? क्या लगता है? यह बोइंग 737-200 की कॉकपिट है। और यह जो विमान है अभी फिलहाल यह टेक्निकल एजुकेशन के लिए इंडस यूनिवर्सिटी एवं वेस्टर्न इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ एयरनॉटिक्स प्राइवेट लिमिटेड में स्थित है। अ ये बोरeing 737 के कॉकपिट है और ये एयरक्राफ्ट में ट्विन इंजन लगते हैं।
बिल्कुल 787 ड्रीम लाइनर में भी ट्विन इंजन लगते हैं। चाहे जहाज कितना भी बड़ा क्यों ना हो। कॉकपिट की साइज तो सेम ही रहती है। उसका बेसिक ऑपरेशनल कंट्रोल वो सारी चीजें जो हैं जैसे कि फ्लैप्स हैं, लैंडिंग गियर्स हैं उसकी जो तीन प्राइमरी कंट्रोल सरफेसेस हैं, सेकेंडरी कंट्रोल सरफेसेस हैं वो बेसिक कंट्रोल्स सारे सेम रहते हैं। तो, अब जैसे कि आपने जो सवाल पूछा कि एआई71 में क्या हुआ होगा? तो, देखिए, बहुत सारी संभावनाएं होती है, कोई भी दुर्घटना होती है, तो उसके मुख्य चार कारण होते हैं। एक होता है पायलट की गलती होना। दूसरा कारण होता है कोई टेक्निकल खामी होना।
तीसरा कारण हो सकता है कि वेदर खराब हो और चौथा कारण यह हो सकता है कि उसको किसी से थ्रेट डेवलप हुआ हो। यानी किसी ना कोई कांस्परेसी का वो जहाज हिस्सा बन उसका हो गया हो। तो यह अलग-अलग प्रकार की संभावनाएं होती हैं और कोई भी एयरक्राफ्ट का जब क्रैश होता है तो ये सारी संभावनाओं को देखते हुए उसका जो इन्वेस्टिगेशन आगे किया जाता है। ओके कैप्टन आपसे समझना चाहेंगे कि सपोज पायलट है आप एआई17 के पायलट हैं। आपने बैठा और एटीसी से कमांड आता है कि आप टेक ऑफ कर सकते हैं। तो हम शुरू से बताइए कि क्या-क्या चीज से क्या-क्या होता है और आप प्लेन उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं और वही सिचुएशन आ जाती है 50 सेकंड बाद इमरजेंसी हो जाती है। बैठे यह पूरा करके कि एग्जैक्टली हुआ क्या? अह अच्छा अगर देखिए पायलट जो है उन्होंने बहुत ही सूझबूझ से काम लिया है। ऐसा लग रहा है। एक दो पायलट थे उसमें एक पायलट को 8000 जो केमे मुख्य कैप्टन थे उनको 8000 प्लस घंटों का एक्सपीरियंस था। दूसरे जो फर्स्ट ऑफिसर थे उनको भी शायद 11, 100 घंटे से भी ज्यादा का अनुभव था। तो उसमें ऐसा होता है कि जैसे आप करके क्या-क्या हुआ। अच्छा ठीक है। आप सपोज अ पायलट आप AI1 उड़ा रहे हैं और 50 सेकंड में बाद क्या-क्या हुआ होगा यह करके दिखाइए आप। अच्छा देखिए अह उसमें टेक ऑफ के बाद अभी जैसे कि रनवे अलाइन हुआ है। मुझे डमी कर दीजिए।
आप समझिए कि आप प्लेन उड़ा रहे हैं वो करके दिखाइए। अच्छा तो अभी जैसे कि रनवे जो है पूरा जो है वो अभी अभी हम रनवे पे हैं और हम उड़ान की तैयारी कर रहे हैं। जैसे कि हम हमारा टेक ऑफ होने वाला है। ठीक है? तो टेक ऑफ से पहले एक प्री टेक ऑफ चेक लिस्ट होता है जो जो को पायलट जो पायलट होते हैं जो वो पढ़ते हुए और सारी जैसे कि चेक करते हैं। कैसे चेक करते हैं? जैसे कि आपका जैसे कि ये अल्टीमीटर हो गया। फिर जो फ्लैप होता है वो टेक ऑफ के लिए सेट करते हैं ऐसे। ओके। ठीक है? तो ये टेक ऑफ के लिए सेट करते हैं।
ये स्पॉइलर जो होता है वो अंदर की तरफ होना चाहिए। फिर थ्रोटल जो है वो आइडल पे होना चाहिए। आपकी ब्रेक लगी हुई होनी चाहिए। सारे इंस्ट्रूमेंट्स हम चेक एंड सेट करते हैं। जो ब्रेक्स है वो को पायलट और कैप्टन ऑपरेट कर सकते हैं। दोनों कर सकते हैं। इवन ये जो कंट्रोल कॉलम है कंट्रोल कॉलम भी इंटीग्रेटेड होता है। दोनों कंट्रोल कॉलम जो होता है। कैप्टन ये बताइए कि अगर आप बैठे हैं और आप आपको एटीसी ने परमिशन दिया कि यू कैन गो टेक ऑफ। तो पूरा प्रोसेस करके दिखाइए आप हमें। अच्छा तो हमें टेक ऑफ करने से जो वो जब टेक ऑफ क्लीयरेंस देते हैं तो हमें हम उसको एकनॉलेज करते हैं और उसको पहले ब्रेक रिलीज़ कर देते हैं हम। ओके। ब्रेक ब्रेक ब्रेक रिलीज़ जो कर देते हैं और जो यह रडर पैडल होता है। रडर पैडल ऊपर की तरफ यह ब्रेक है। हम जैसे कि ब्रेक रिलीज़ कर दिया हमने। ठीक है। ठीक है? यह और फिर ये ट्रोटल उस वक्त आइडल पे होते हैं। ओके। आइडल मींस व्हाट? लेन की भाषा में। आइडल पे मतलब वो अपनी मिनिमम रफ्तार पे होता है। अच्छा ठीक है। जी। ओके। फिर उसको ऐसे पकड़ के फिर ऐसे आगे की तरफ कर देता है। हां। ठीक है। फिर जहाज जो है वो रन करना शुरू कर देता है। फुल स्पीड पे। फुल स्पीड पे। जी। वो धीरे-धीरे एक्सेलरेट होना वो जो उसकी रफ्तार जो है रनवे के ऊपर बढ़ती जाती है। ओके। तो फिर उसमें एक V1 स्पीड आती है। V2 स्पीड आती है। तो ये जो V2 स्पीड होती है वो जब आ जाती है ।
पायलट इसको हल्के से रोटेट करता है ऐसे। अपनी तरफ भेजते हैं। इसको क्या बोलते हैं आप? इसे कंट्रोल कॉलम कहते हैं। अच्छे कंट्रोल कॉलम। ये बोइंग जैसे विमानों में ये जो होता है कंट्रोल कॉलम होता है। ओके। अगर एयर बस है तो उसमें छोटी सी जॉय स्टिक होती है यहां पे। तो ये नहीं होता उसमें। ठीक है। ये आप अपनी तरफ अपनी तरफ खींचने का मतलब क्या होता है कि फ्लाइट जब जहाज रफ्तार पकड़ लेता है तब ये जो कंट्रोल कॉलम होता है उसको हम अपनी तरफ खींचते हैं। ओके जी। फिर उस पे भी नोज विमान का जो नोज अप होता है जो नोज जमीन से उठ जाता है और एंगल ऑफ अटैक बढ़ने की वजह से जो विंग के ऊपर उसके जो जहाज का जो वजन है पूरा वो फिर लिफ्ट बढ़ती है तो वो विंग जो00:10:31 होती है पूरे जहाज का वजन ऊपर उठा लेती है और फिर टेक ऑफ परफॉर्म हो जाता है। ओके ये फ्लैप जो है वो विंग्स के हैं। हां फ्लैप जो होते हैं विंग्स विंग्स के ऊपर होते हैं। ओके। तो इस फ्लैप को कैसे ऑपरेट करते हैं आप लोग? इसको हम पकड़ के इसको खींच के फिर ऐसे करके यानी स्टेप बाय स्टेप इसको ऊपर इस तरह से जैसे-जैसे जहाज की स्पीड बढ़ती जाती है इसको ऐसेसे करके आगे की तरफ हम लेकर जाते हैं। ओके इसमें लिखा हुआ फ्लैप है और ये जब तक ये फ्लाइट जब उठती है तो ये पैनल आगे ही रहता है। हां ये टेक ऑफ के वक्त ये पूरा आगे की तरफ होता है। ओके। जब कुछ कुछ सेकंड के बाद जब हम सफिशिएंट हाइट गेन कर लेते हैं और लैंडिंग गियर फिर ऊपर करते हैं उसके बाद लैंडिंग गियर किस चीज से होता है ये यहां से होता है ये लैंडिंग गियर ऐसा दिखा तो इसको थोड़ा सा हल्का सा खींच के फिर इसको ऐसे ऊपर करके छोड़ देते हैं लैंडिंग गियर बंद हो जाता है
हां जी हां जी ओके जी और लैंडिंग गियर ऊपर चले जाते हैं उसके बाद अंदर रिट्रक्ट जिसे हम रिट्रक्शन कहते हैं। ओके और रैट कहां पे होता है? रैट यहां पे ऊपर की तरफ होता है जो कभी-कभी ऐसा होता है कि इलेक्ट्रिसिटी की जब कमी पड़ जाती है तो अगर कोई किसी वजह से सपोज जो भी इलेक्ट्रिकल सिस्टम है उसको हम पावर सप्लाई सबको सफिशिएंट नहीं मिल पाता है तो उस वक्त रैम टरबाइन जो होता है वो रेड को ओपन किया जाता है उसकी स्विच अपर पैनल में होती है ओके अपपर पैनल इसको हां ऐसे करके फिर उसको इस प्रकार से करके तो रेट ओपन हो जाता है जी जी रेड ओपन होता है ओके कैप्टन ये बताइए कि अगर एआई सपोज आप एi71 में है और 40 सेकंड में क्या हुआ क्या-क्या संभावनाएं हो सकती है कि पायलट नहीं कर पाया और क्या बातचीत हुई होगी और किस तरह से पायलट ने पूरी कोशिश की होगी कि वो टेक ऑफ कर जाए, सेफ लैंडिंग कर जाए, कुछ हो जाए, बचा ले अपने को। हां देखिए वैसे तो अभी ये जो पूरा मामला है वो अंडर इन्वेस्टिगेशन है। ब्लैक बॉक्स से रिकवर हुआ है। जी ब्लैक बॉक्स की जो हां जी ब्लैक बॉक्स का जो डाटा मिलेगा वही ऑथेंटिक माना जाएगा। मगर जो संभावनाएं हम सोच रहे हैं देखिए सबसे पहले तो इसमें कोई पायलट की एरर हो वैसा तो प्राथमिक नजर में नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि पायलट्स ने बहुत ही प्रोफेशनली ये मैटर को हैंडल करने की कोशिश की है और जो शायद जो जैसे मेरे पास जो इनेशन है उसके हिसाब से उसमें उन्होंने मेडे भी मैसेज रिले किया हुआ है।
वैसे कैसे होता है? नहीं नहीं मेडडी का मतलब होता है अह जब कोई इमरजेंसी आ जाती है जहाज काबू में नहीं रहता है जैसे कि आग लग जाती है या कोई कंट्रोल फेल हो जाता है हां जहाज हाइट लूज़ करने लगता है क्रैश होने की संभावनाएं बढ़ जाती है तब पायलट जो होता है वो मेड ए मैसेज को रिलीज़ करता है। मेसेज तो आप क्या-क्या इमरजेंसी जब जिस तरह आप रियल टाइम एक्सपीरियंस करना चाहेंगे तो क्या-क्या होता है? पायलट क्या करता है? मेस्ट नहीं मिल रहा है। देखिए इमरजेंसी में इमरजेंसी में तो अब देखिए थ्रस्ट नहीं मिल रहा है तो उसको रिकवर करने का पायलट को मौका भी मिलना चाहिए। उसके पास टाइम भी होना चाहिए। अगर सपोज सपोज सपोज थ्रस्ट सपोज कम हुआ है जब आपके पास काफी ज्यादा ऊंचाई है और थ्रस्ट कम हुआ है तो पायलट उसको इंजन को रीस्टार्ट करने की कोशिश करता है। रीस्ट हां जी। और रीस्टार्ट यहां से होता है ऊपर से। यानी सारे एयर में अलग-अलग जहां पे आप इंजन स्टार्ट देख रहे हैं। राइट? राइट? यहां पे इंजन स्टार्ट का बटन लगा हुआ है। दो इंजन है अलग-अलग। हां, यह जहाज में दो इंजन है। जी जी। यह उसका अलग-अलग कंट्रोल है। और उसका कंट्रोल अलग-अलग होगा। उसमें देखिए आप दोनों इंजन के बीच में कोई कनेक्शन नहीं होता है। अच्छा ये दोनों अलग-अलग इंजन है। अलग-अलग ऑपरेट हो सकते हैं।
ये जो है हां ये इंजन वन और ये इंजन। ये इंजन वन इंजन टू। जी जी। ओके। तो लेकिन जो ऐसे संभावना है जितना दोनों इंजन फेल हो गए। तो ये दोनों इंजन के और कैसे कुछ चांसेस हुए फेल होने के? एक साथ? हां। बहुत ही रेयर यह अभी तक तो ऐसा कुछ जैसे हर्डसन रिवर में जो क्रैश हुआ था उसमें दोनों इंजन फेल कर गए थे। और वह तो कॉज मालूम था कि दो-दो बर्ड्स हिट हुआ था। बहुत सारे जो बर्ड्स थे वो इंजन के अंदर चले गए थे। जिसकी वजह से इंजन जो जो वो फट गया था। ओके। हर्सन रिवर की बात कर रहा हूं मैं जो हर्सन रिवर में जो एयरबस 320 का जो मैटर हुआ था। इसमें कैप्टन जाने समझने कि क्या आपको लग रहा है कि हम संभावनाएं बात कर रहे हैं। जी। क्या हुआ होगा? किस कॉक्वेड में आप हैं? सपोज सवरवाल जी इसको ऑपरेट करें क्या हुआ होगा? जहां जो है वो धीरे-धीरे बैठ जा रहा है। यानी वो लॉस ऑफ थ्रस्ट भी हो सकता है। थ्रस्ट कम हुआ हो या थ्रस्ट चला गया हो कट ऑफ हुआ हो थ्रस्ट ऐसा भी हो सकता है। मगर जैसे कि मैंने ये तो मैंने कभी सुना नहीं है कि दोनों इंजन एक साथ फेल हो जाए और00:14:43 विदाउट एनी कॉज अगर बर्ड इट होता है और इंजन डैमेज हो जाते हैं। इंजन शट डाउन कर जाते हैं। तो ऐसा तो सुना सुनने में आया है। मगर ऐसे ही चलते-चलते दोनों इंजन बंद हो जाए तो ऐसा तो कभी सुनने में नहीं आया। क्यों गिरा हुआ? लॉस ऑफ़ थ्रस्ट ही इसकी वजह से हो सकता है।
जनरली अगर इंजन ठीक से काम कर रहे हैं और कंट्रोल्स ठीक से काम कर रहे हैं तो जहाज हवा में तो बन बना हम बना ही सकते हैं। उसको मेंटेन कर सकते हैं। अगर थ्रस्ट नहीं मिल रहा है तो क्या-क्या इसमें ऑपरेशन कर सकते हैं आपका थ्रस्ट सपोज थ्रस्ट नहीं मिल रहा है तो थ्रस्ट नहीं मिल रहा है तो मैंने जैसे कि आपको बताया उसमें दो तरीके होते हैं। एक तो सपोज आपके पास इंजन रीस्टार्ट करने का मौका ही नहीं है। आपके पास टाइम ही नहीं है। रीस्टार्ट इधर से है। तो इंजन को अगर रिस्टार्ट करने का आपके पास टाइम नहीं है तो आपका तो एक ही काम रहता है कि जहाज को हो सके उतना संभालो और रिाइयशी इलाकों से दूर ले जाओ। हो सके हां उसको हो सके उतना मैक्सिमम हवा में बनाने की कोशिश करो और मैक्स कैजुअल्टी को मिनिमम करने की कोशिश पायलट जनरली करते हैं। जमीन से अपनी स्पीड बनाए रखते हैं।
जहाज पत्थर की तरफ पटक ना जाए। यानी थोड़ा सा आगे की तरफ चलता रहे कुछ स्पीड बनाते हुए ताकि वो स्मूथ जमीन पे टच डाउन कर जाए। ये पायलट की पहली कोशिश रहती है। ओके जी। तो वो तो ब्लैक बॉक्स से ही क्लियर हो पाएगा कि आखिर एग्जैक्टली क्या हुआ क्या नहीं हुआ। तो ये कैप्टन जानी थी तो पूरे कॉकपिट में हमें बता रहे थे कि क्या हुआ था एग्जैक्टली किस तरीके से क्या-क्या ऑपरेट होता है। इन्होंने बताया कि दो ड्यूल इंजन होते हैं। दोनों इंजन के जो जो ऑपरेशन है वो अलग-अलग होते हैं। दोनों इंजन एक दूसरे के कनेक्ट नहीं होते हैं। आप दोनों इंजन को एक साथ ऑपरेट भी कर सकते हैं और नहीं भी। ये देखिए ये इंजन वन है। ये इंजन टू है। और जिस तरह बताया कि जो कनेक्शन है दोनों इंजन के अलग-अलग होते हैं। इसलिए दोनों इंजन का फेल होना बहुत रेयरेस्ट और रेयर केस में होता है। लेकिन अनफॉर्चूनेटली जो प्राइम से ये लग रहा है कि AI17 में ये हुआ होगा इसलिए लॉस ऑफ़ थ्रस्ट हो गया। क्योंकि जो आखिरी वर्ड थे कैप्टन सवाल उन्होंने सीधे बोला था कि मेडे मेडे मेडे नो पावर नो थ्रस्ट गोइंग डाउन। तो ये जो आखिरी वर्ड थे तो साफ तौर पे लग रहा था कि इस समय हम को पायलट की जगह पे बैठे हैं और कैप्टन जॉनी कैप्टन सवाल की जगह पे बैठे हैं।
कैप्टेंसी तो किस तरीके से क्या पैनिकिक सिचुएशन होगा? देखिए इतने सारे स्विचेस होते हैं कॉकपिट में। इतने सारे स्विचेस एक-एक छोटा-छोटा स्विच जो होते हैं वो काफी ज्यादा इंपॉर्टेंट होते हैं। इतने सारे मॉनिटर्स होते हैं। एक-एक चीज को मॉनिटर करना, एक-एक चीज की तकनीकी में जाना सोचिए। उस समय जिस समय पायलट के पास सिर्फ सिर्फ 50 सेकंड हो। उन 50 सेकंड में पायलट और कोको पायलट अपनी पूरी जान लगा देता है कि फ्लाइट को ऐसी जगह पर लैंड किया जाए ताकि मिनिमम कैजुअल्टीज और मिनिमम नुकसान हो। इतने सारे बटंस, इतने सारे मॉनिटर्स,00:17:20 इतने सारे स्विच। तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 50 सेकंड में पायलट ने पूरी कोशिश की होगी कि इस किसी तरीके से AI17 वन को ऐसी जगह पे लैंड किया जाए ताकि मिनिमम कैजुअल्टी हो। लेकिन अनफॉर्चूनेटली जो फ्यूल टैंक बहुत भरा हुआ था। पूरा फुल था जेट फ्यूल क्रैश हुआ। क्रैश में 242 लोगों में से 241 लोगों की जान चली गई। कैप्टन जाने कुछ बोलना चाहेंगे। बोलिए। हां जी, मैं यह कहना चाहता हूं कि यह जो पूरा अह जैसे कि यह रनवे 23 से यह जो एआई 171 टेक ऑफ़ हुआ, उसके बाद आपने देखा होगा कि वीडियो में जहाज सीधा जा रहा है।
पायलट ने हल्के से लेफ्ट साइड मुड़ने की कोशिश भी की है और हो सके उतना मैक्सिमम हवाएं बनाए रखने के लिए उन्होंने नोज़ भी ऊपर की तरफ़ उठाया है। अब ये जो जहां जहां पे फट गया है ये बिल्कुल अगर आप देखेंगे अगर अहमदाबाद का गुगल मैप आप देखेंगे कि अगर ये जहां थोड़ा सा भी लेफ्ट राइट या आगे पीछे हो जाता तो जहां पे मैंने सुना कि वहां पे कछु 1200 बेड की हॉस्पिटल भी है या हॉस्पिटल का दूसरा भी एरिया है जो हाई हाई डेंसिटी एंड हाईली पॉपुलेटेड एरिया है आसपास जो सारवा का विस्तार है मेघानी नगर शाही बाग का जो विस्तार है तो ये सारा हाईली पॉपुलेटेड एरिया है और अगर आप मैप में देखेंगे तो यह वो जगह पे गिरा है जहां पे छोटा सा ग्राउंड जैसा है। यानी पायलट ने यह इतना आखिरी समय में भी यह एनश्योर करने की कोशिश की कि ग्राउंड के ऊपर जो कैजुअल्टीज है वो मिनिमम हो। तो उसके लिए ये वी शुड हेड्स ऑफ टू पायलट एंड वी आर प्राउड ऑफ कि ये पायलटों ने हो सके उतना कैजुअल्टी को मिनिमाइज करने की कोशिश की। ओके। थैंक यू सो मच। तो ये थे हमारे साथ कैप्टन ज्ञानी जो पूरी डिटेल में बताई थी। क्या-क्या समझाए उन्होंने कॉकपिट के बारे में पूरी जानकारी दी कि ब्रेक्स कहां होते हैं?
उड़ान से पहले क्या होता है? लैंडिंग के वक्त क्या होता है? और इमरजेंसी सिचुएशन में एग्जैक्टली क्या हुआ होगा? तो आप समझ सकते हैं कि इतने छोटे से कॉकपिट में 50 सेकंड के अंदर-अंदर पायलट को कॉल लेना था कि उन्हें क्या करना है, क्या नहीं करना है। इतने सारे स्विचेस, इतने सारे पैनल्स, इतने सारे मॉनिटर को देखना और समझना काफी ज्यादा मुश्किल का समय होता है। पायलट ने पूरी कोशिश की कि फ्लाइट को उस जगह पर जब दोनों फ्लाइट का जो पूरा कंट्रोल था पायलट खो चुके थे। उस जगह पर लैंड किया जा सके ताकि मिनिमम कैजुअल्टीज हो और जिस तरीके से अनफॉर्चूनेट ये इंसिडेंट हुआ है इसमें कई लोगों की जाने चली गई 274 लोगों की जाने चली थी चली गई हैं।