1960 का दशक बॉलीवुड का सुनहरा दौर हर तरफ चमकते सितारे भीड़ से भरी प्रीमियर नाइट्स और सपनों की उस दुनिया में एक नई किरण फूट रही थी एक लड़की नरम मुस्कान वाली बड़ी-बड़ी बोलती आंखों वाली उसका नाम था विमी जब विमी पर्दे पर आती थी तो ऐसा लगता था जैसे वक्त खुद भी थमकर उसे देखता हो उसकी मासूमियत में एक ऐसी कशिश थी जो सीधे दिल के तारों को छू जाती थी उसकी आंखों में ना कोई बनावट थी ना कोई बनावटी चमक सिर्फ सच्चे सपनों की एक झलक विमी का सपना था सिर्फ एक अदाकारा बनना नहीं बल्कि एक ऐसी पहचान बनाना जिसे बरसों बाद भी लोग याद रखें और किस्मत भी जैसे उसकी इसी ख्वाहिश पर मुस्कुरा रही थी क्योंकि जल्द ही वह सपना हकीकत बनने वाला था.
हमराज यश चोपड़ा की क्लासिक फिल्म जो आज भी सिनेमाई इतिहास में चमकती है लेकिन उस फिल्म ने सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर नहीं बल्कि एक लड़की की किस्मत पर भी अपनी मोहर लगा दी थी वो लड़की थी विमी पहली ही फिल्म में विमी ने वो जादूगर दिखाया जिसे हासिल करने के लिए लोग बरसों तक संघर्ष करते हैं कैमरे के सामने उसकी मौजूदगी कुछ ऐसी थी कि पूरा बॉलीवुड हिल उठा हर गली हर अखबार हर फिल्मी गलियारे में एक ही सवाल गूंजने लगा कौन है यह नई लड़की कहां से आई है यह अप्सरा उसके रूप में लोग कोई आम अभिनेत्री नहीं एक ख्वाब देख रहे थे.
निर्माताओं और निर्देशकों की भीड़ उसके दरवाजे पर जमा होने लगी हर कोई चाहता था कि विमी उसकी अगली फिल्म का चेहरा बने वो दौर था जब सिर्फ विमी का नाम जुड़ जाने भर से फिल्मों की सफलता की गारंटी मानी जाती थी रातोंरात एक साधारण लड़की बॉलीवुड की सबसे चमकदार सितारों में से एक बन चुकी थी लेकिन हर चमकते चेहरे के पीछे एक अंधेरा भी छुपा होता है और विमी की जिंदगी भी इससे अछूती नहीं थी पर्दे पर जितनी आजाद और मुस्कुराती दिखती थी असल जिंदगी में उतनी ही जकड़ी हुई थी बहुत कम लोग जानते थे कि बॉलीवुड में कदम रखने से पहले ही विमी शादीशुदा थी उनका पति वो इंसान जो उनके हर फैसले पर गहरा पहरा बैठाए था कौन सी फिल्म करनी है कौन से कपड़े पहनने हैं किस पार्टी में जाना है किससे बात करनी है सब कुछ उसी की मर्जी से तय होता था.
विमी के सपनों के खुले आसमान पर एक अदृश्य पिंजरा बन चुका था और बड़ी मार आया मजा बॉलीवुड जैसी जगह पर जहां आजादी ही सबसे बड़ा हथियार है वहां बंधनों में जकड़ी एक लड़की कब तक उड़ सकती थी विमी थकने लगी थी धीरे-धीरे उनकी आंखों की चमक मुरझाने लगी थी लेकिन इस टूटन को वो अपनी मुस्कान के पीछे छुपाने की कोशिश करती रही जहां पर्दे पर विमी की मुस्कान आजादी की कहानी सुनाती थी वहीं असल जिंदगी में वो मुस्कान एक मुखौटा बन चुकी थी एक ऐसी कैद का जो किसी को दिखाई नहीं देती थी हर दिन उसका सामना होता था पति के तानों बेवजह की रोक-टोक और गुस्से से कभी शूटिंग के बीच में फोन आता कभी किसी पार्टी में अजीब शर्तें रख दी जाती कई बार तो सेट पर भी विमी को महसूस होता कि जैसे कोई अदृश्य साया हर वक्त उसे देख रहा हो और वह साया उसके पति का था धीरे-धीरे यह बातें इंडस्ट्री के गलियारों में भी फैलने लगी फुसफुसाहटें शुरू हो गई विमी के साथ काम करना आसान नहीं है बहुत पर्सनल दखल है उसकी जिंदगी.
बॉलीवुड में जहां छवि ही सब कुछ होती है वहां इस तरह की चर्चाएं किसी भी करियर के लिए जहर साबित होती हैं वो दौर जब हर निर्माता निर्देशक बिमी को अपनी फिल्मों का चेहरा बनाने के लिए बेताब रहते थे अब बदलने लगा था वही लोग जो पहले कभी उसके दरवाजे पर घंटों इंतजार करते थे अब चुपचाप दूसरी ओर देखने लगे थे फुसफुसाहटें तेज हो चुकी थी विमी के साथ दिक्कतें हैं पति बहुत हस्तक्षेप करता है इंडस्ट्री में भरोसे का टूटना सबसे बड़ा धोखा होता है और विमी के साथ भी वही हो रहा था धीरे-धीरे बिना शोर किए बिना कोई खुला ऐलान किए.
बॉलीवुड ने विमी को हाशिए पर धकेलना शुरू कर दिया था जैसे कोई दीवार बन रही हो अदृश्य मगर बेहद मजबूत जिसने विमी को उन सपनों की दुनिया से अलग कर दिया था जिसे बनाने में उन्होंने अपना सब कुछ लगा दिया था एक दिन बहुत सारी आंसुओं और टूटी उम्मीदों के बीच विमी ने आखिरकार हिम्मत जुटाई उन्होंने उस जहरीले रिश्ते से खुद को आजाद करने का फैसला किया जिसने उनकी आत्मा को सालों से कैद कर रखा था उम्मीद थी कि अब बेड़ियां टूटेंगी अब वो फिर से उसी मुस्कान के साथ लौटेंगी जिसने एक दौर में लाखों दिलों पर राज किया था सोचा था कि अब करियर को नए सिरे से शुरू करेंगी आज कुछ और है अपने सपनों को फिर से पंख लगाएंगी लेकिन बॉलीवुड एक ऐसी जगह है जहां समय के साथ चेहरे भी बदल जाते हैं और यादें भी यहां एक बार छूट गई रफ्तार को पकड़ना आसान नहीं होता और फिर इस बेरहम इंडस्ट्री ने वही किया जो वह अक्सर करती है .
दूसरी बार मौका देने में कंजूसी दिखाई विमी के सामने सपनों की दुनिया का दरवाजा आधा बंद हो चुका था पति से अलग होकर विमी ने खुद को आजाद तो कर लिया था लेकिन इंडस्ट्री ने उन्हें वह नई शुरुआत कभी नहीं दी जिसकी वह हकदार थी निर्माता निर्देशक जो कभी उनके जादू के दीवाने थे अब उन्हें एक समस्या वाली एक्ट्रेस के टैग से देखते थे एक ऐसा नाम जिससे जुड़ना अब उन्हें रिस्क लगता था इस बीच इंडस्ट्री में कई नए चेहरे आ चुके थे नई चमक नया ग्लैमर नए सपने दर्शकों की नजरें भी अब नए चमत्कारों की तलाश में थी और विमी एक चमकदार सितारा होते हुए भी वक्त के कारवा में कहीं पीछे छूट गई थी जैसे कोई रेलगाड़ी बिना रुके आगे बढ़ गई हो और प्लेटफार्म पर खड़ी वह मुस्कुराती लड़की उसे जाते हुए देखती रह गई हो अकेली चुपचाप जब फिल्मों के ऑफर आना बंद हो गए तो धीरे-धीरे घर के दरवाजे पर आर्थिक तंगी ने दस्तक लगा दी.
वह बंगला जो कभी चकाचौंध से भरा रहता था जहां पार्टियों की रौनक हंसी ठिटोली और मेहमानों का तांता लगा रहता था अब सुनसान सा हो चला था हर कोने में एक अजीब सी उदासी पसर गई थी जैसे दीवारें भी विमी के दर्द को महसूस कर रही हो बिजली के बिल राशन के खर्चे नौकरों की तनख्वाह घर का किराया हर छोटी से छोटी चीज अब एक भारी बोझ बन गई थी कल तक जो रकम एक इशारे पर मिल जाती थी आज उसके लिए भी विमी को कड़वी हकीकत का सामना करना पड़ रहा था सपनों का वह महल जिसे कभी पूरे गर्व से उन्होंने अपना कहा था अब धीरे-धीरे उनकी उंगलियों से फिसलने लगा था एक वक्त था जब विमी के चारों तरफ लोगों की भीड़ हुआ करती थी दोस्त चाहने वाले निर्माता पत्रकार हर कोई उनकी एक झलक पाने को बेताब रहता था लेकिन वक्त ने करवट ली और अब वही विमी तन्हाई के अंधेरों में घुट रही थी जो दोस्त कभी उनके साथ पार्टियों में जाम उठाते थे जिनके कंधों पर वह हंसती हंसती सिर रख देती थी वहीं अब फोन उठाना भी छोड़ चुके थे हर कॉल का इंतजार हर दरवाजे की ओर उठती उम्मीद भरी नजरें सब अब मायूसी में बदल चुकी थी.
अकेलापन आर्थिक तंगी और सपनों के टूटने की चुभती हुई चुप्पी यह तीनों जैसे धीरे-धीरे मिलकर विमी को उस गहरे अंधेरे में धकेलते जा रहे थे जहां से वापस लौटने की कोई राह नजर नहीं आती थी इन हालातों से टूट कर जब हर दरवाजा बंद होता दिखा तो विमी ने शराब का सहारा लिया दिन हो या रात खुशी हो या गम अब हर घड़ी का साथी सिर्फ एक बोतल बन गई थी वो शराब के नशे में खुद को भूल जाना चाहती थी उन यादों को मिटाना चाहती थी जो कभी उनके सपनों के साथ जुड़ी थी लेकिन शराब कभी घावों को भरती नहीं वह तो उन जख्मों को और गहरा कर देती है हर पैग के साथ दर्द थोड़ी देर के लिए धुंधला जरूर होता है मगर जब होश लौटता है तो वही तन्हाई वही टूटी उम्मीदें और वही चुभती हुई खामोशी उन्हें दोबारा अपनी आगोश में ले लेती है विमी खुद से दूर भागना चाहती थी मगर इस रास्ते ने उन्हें और भी गहरी खाई की ओर धकेल दिया कहा जाता है कि जब हालात हद से भी ज्यादा बेकाबू हो गई जब ना जेब में पैसा बचा ना दरवाजे पर उम्मीद खड़ी रही तो मजबूरी में विमी ने वो रास्ता चुना जहां इज्जत का कोई मोल नहीं होता एक वक्त की अप्सरा अब जिंदगी के उस मोड़ पर आ गई थी जहां रोज जीने के लिए खुद से समझौता करना पड़ता था हेलो हां यह दर्दनाक खबरें धीरे-धीरे फिल्मी गलियारों में फैलने लगी.
वही इंडस्ट्री जिसने कभी तालियों से उनका स्वागत किया था अब फुसफुसाहटों और तिरछी निगाहों से उन्हें देख रही थी हर उड़ती अफवाह हर पीठ पीछे की गई बात विमी के बचे कुचे आत्मसम्मान को टुकड़ों में तोड़ती चली गई और जो थोड़ी बहुत उम्मीद थी कि शायद करियर की कोई आखिरी किरण लौट आए वो भी अब अंधेरे में खो गई थी वो लड़की जिसकी मुस्कान एक जमाने में करोड़ों दिलों को धड़कने पर मजबूर कर देती थी अब गुमनाम गलियों की धूल भरी हवाओं में खोती जा रही थी कभी जिस नाम पर फिल्मी पोस्टर बिकते थे थिएटर्स में भीड़ उमड़ती थी आज उसी नाम को लोग भूल चुके थे अब ना कोई पोस्टर था ना कोई अखबार की सुर्खी ना ही कोई रेड कारपेट का न्योता विमी एक वक्त बॉलीवुड की रानी थी और अब एक ऐसी परछाई बन गई थी जिसे ना शहर पहचानता था ना लोग भीड़ में चलते हुए भी वह अकेली थी एक भूली हुई दास्तान की जीती जागती याद अपने आखिरी दिनों में विमी ने फिर एक बार कोशिश की थी शायद पुराने रिश्ते पुराने एहसान जाग जाए उन्होंने कई प्रोड्यूसर से मदद की गुहार लगाई किसी से एक छोटी सी फिल्म का वादा मांगा तो किसी से थोड़ी आर्थिक मदद की उम्मीद जताई हर शब्द में अब भी वही पुरानी चमक थी वही उम्मीद की शायद कोई एक हाथ थाम ले लेकिन वक्त और हालात दोनों बदल चुके थे जो दरवाजे कभी खुद ब खुद खुल जाया करते थे अब उनके सामने बंद थे और मजबूती से बंद थे.
हर मुलाकात में एक असहज चुप्पी होती हर वादा अब टालने का बहाना बन चुका था पीले गगन के तले धरती का प्यार पले कोई भी अब इस बुझते सितारे के साथ अपना नाम जोड़ने का जोखिम नहीं लेना चाहता था और विमी जो कभी महफिलों की रानी थी अब हर इंकार के साथ थोड़ा और टूटती चली गई शराब बीमारी और डिप्रेशन इन तीनों ने मिलकर विमी को अंदर तक तोड़ दिया था कभी जिनकी चाल में नफासत थी जिनकी आंखों में सितारे चमकते थे अब उनका शरीर इतना कमजोर हो चुका था कि एक-एक कदम चलना भी किसी जंग से कम नहीं था हालात इतने बदतर हो गए थे कि जब बीमारी ने पूरी तरह जकड़ लिया तब भी हॉस्पिटल जाने तक के लिए पैसे नहीं थे इलाज दवा डॉक्टर यह सब बस अब दूर के सपने बन चुके थे किसी जमाने में बॉलीवुड की रौनक कही जाने वाली विमी अब बस एक टूटी हुई आत्मा बनकर रह गई थी जो कभी लाखों की धड़कन थी आज खुद अपनी धड़कनों को सुनने के लिए तरस रही थी .
22 अगस्त 1977 वो तारीख जो ना किसी अखबार की सुर्खी बनी ना किसी न्यूज़ चैनल की ब्रेकिंग न्यूज़ मुंबई के एक गुमनाम वीरान सी गली में विमी ने अपनी आखिरी सांस ली ना कोई शोर ना कोई भीड़ ना कोई सितारों से भरी महफिल बस एक चुपचाप सी विदाई जैसे कोई दरिया बिना आवाज के सूख जाए जिस विमी के एक मुस्कान पर कभी कैमरों की फ्लैश लाइट्स झिलमिलाती थी आज उनकी निधन की खबर भी सन्नाटे में डूबी रह गई थी ऐसा लगा जैसे खुद वक्त ने भी उनकी अंतिम घड़ी पर अपनी नजरें फेर ली थी जब विमी की मौत के बाद उनका शव घर से बाहर लाया गया तो सन्नाटा और भी भारी हो गया।
घर के आंगन में खड़े गिने-चुने लोग चुपचाप एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे जैसे किसी अनकही सवाल का जवाब ढूंढ रहे हो सवाल उठने लगा अब इसे श्मशान कैसे ले जाया जाए उस दौर की चकाचौंध भरी हीरोइन के पास अब इतने भी पैसे नहीं बचे थे कि एक एंबुलेंस तक बुलाई जा सके ना कोई साधन ना कोई योजना जैसे जिंदगी के तमाम फैसलों की तरह अब मौत भी मजबूरी में तय हो रही थी किसी ने धीरे से सिर झुका लिया किसी ने खामोशी से आंसू पोछे पर कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था जब कोई रास्ता नहीं बचा तो एक चाय वाले के पुराने जजर ठेले को सामने लाया गया वही ठेला जिस पर कभी गर्म चाय के प्याले सजते थे जहां दिन भर भीड़ लगी रहती थी आज उस ठेले पर चाय नहीं एक टूटा हुआ सपना रखा गया था।
विमी का निर्जीव शरीर ना कोई कंधा था जो गर्व से उठा सके ना कोई फूलों के हार थे जो विदाई में सज सके बस एक पुरानी हल्की सी चादर जो शरीर को ढकने के लिए काफी भी नहीं थी और उस चादर के नीचे थी वह लड़की जिसने कभी पर्दे पर जादू बिखेरा था चार पांच लोग जिनसे शायद कोई पड़ोसी कोई भोला बिस्तरा परिचित या फिर कोई दया से भरा अजनबी शामिल था चुपचाप उस ठेले को धकेल रहे थे कोई शोर नहीं कोई दामझाम नहीं बस एक ठंडी दर्द भरी हवा के साथ एक अनकही विदाई एक वक्त के सुपरस्टार जो अपने जमाने में लाखों दिलों की धड़कन थी आज चाय के ठेले पर अनंत यात्रा की ओर बढ़ रही थी बिल्कुल अकेली श्मशान घाट एक वीरान सा कोहराना जहां ना कोई भीड़ थी ना कोई रुदन की आवाज कोई अंतिम सलामी नहीं ना कोई आंखें नम करने वाले अल्फाज़ बस चिता की धीमी जलती आग थी और उसके इर्द-गिर्द फैली एक भारी असहनी चुप्पी इतनी गहरी कि खुद वक्त भी जैसे शर्मिंदा होकर सिर झुकाए खड़ा था कोई फूल नहीं कोई सम्मान नहीं सिर्फ राख बनने का इंतजार करती एक अधूरी कहानी जिसने अपने अभिनय से लाखों दिलों को छुआ था जिसने पर्दे पर प्रेम जज्बात और दर्द को जिया था उसका आखिरी सफर इतना खामोश इतना अकेला होगा शायद किसी ने सोचा भी नहीं था जैसे जिंदगी ने भी आखिरी वक्त पर उससे मुंह मोड़ लिया हो विमी की कहानी अधूरी रह गई बेहद अधूरी जिस पहचान के लिए उन्होंने अपनी खुशियां अपने रिश्ते यहां तक कि अपनी आजादी तक को दांव पर लगा लिया था वही पहचान आखिरी वक्त में उन्हें याद भी नहीं कर सकी जिन सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने हर चोट सह ली थी वही सपने अब टूटे शीशे की तरह बिखर चुके थे ।
उनकी मुस्कान जो कभी लाखों दिलों को जीत लेती थी उनकी अदाएं जिन पर स्टूडियो में तालियां गूंजती थी उनकी मासूमियत जो पर्दे पर जादू बनकर उतरती थी अब सब कुछ बस धुंधली यादों में और कुछ पुरानी फिल्मों की रीलों में कैद होकर रह गया था जैसे कोई खूबसूरत गीत जो सुनाई तो देता है लेकिन जिसका आखिरी अंतरा अधूरा रह गया हो रिमी का किस्सा कोई साधारण कहानी नहीं बल्कि एक ऐसा आईना है जिसमें बॉलीवुड का वो बेरहम चेहरा साफ-साफ नजर आता है जिसे अक्सर ग्लैमर की चकाचौंध में छुपा दिया जाता है बाहर से जो दुनिया रंगीन भव्य और सपनों जैसी दिखती है उसके पर्दे के पीछे दर्द तन्हाई और बेबसी का साया गहराता है यहां सितारे जितनी तेजी से चमकते हैं उतनी ही तेजी से टूट भी जाते हैं और जब वह टूटते हैं तो अक्सर कोई आवाज भी नहीं आती।
विमी की कहानी उसी कड़वे सच का एक खामोश गवाह है एक ऐसी चेतावनी जिसे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं आज भी लोग पुराने दिनों में लौटते हैं हम राज जैसी फिल्में देखते हैं जहां विमी की मासूमियत और अदाओं की चमक आज भी पर्दे पर ताजगी से खिल उठती है उनकी मुस्कान देखकर आज भी अनगिनत चेहरे मुस्कुरा उठते हैं जैसे वक्त ने कुछ पल के लिए अपनी थकान भुला दी हो लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उस मुस्कान के पीछे कितना गहरा दर्द छुपा था कितने टूटे हुए सपने थे कितनी अनगही तनहाइयां थी हर मुस्कान के पीछे एक सिसकी थी हर चमक के पीछे एक अधूरी कहानी हमराज के पर्दे पर जो जादू दिखता है वह असल जिंदगी में उस अंधेरे की एक झलक भर है जिसे विमी ने अकेले जिया था चुपचाप बेआज विमी की कहानी हमें एक बहुत गहरी सीख देती है कि इस दुनिया में सिर्फ सफलता ही सब कुछ नहीं होती शोहरत पैसा तालियां यह सब पल भर के मेहमान हैं असली दौलत होती है सच्चा साथ इज्जत और आत्मसम्मान जब यह साथ होते हैं तो इंसान मुश्किलों के समुंदर को भी पार कर डालता है ।
लेकिन अगर यह छीन जाए तो फिर दुनिया की सारी दौलत भी उस खालीपन को नहीं भर सकती विमी ने हमें दिखाया कि भले ही आप दुनिया की नजरों में चमकते रहे लेकिन अगर दिल के भीतर अकेलापन और बेइज्जती घर कर जाए तो सबसे ऊंचे आसमान से भी गिरना तय है कहा जाता है कि जब हालात हद से भी ज्यादा बेकाबू हो गए जब ना जेब में पैसा बचा ना दरवाजे पर उम्मीद खड़ी रही तो मजबूरी में विमी ने वो रास्ता चुना जहां इज्जत का कोई मोल नहीं होता एक वक्त की अप्सरा अब जिंदगी के उस मोड़ पर आ गई थी जहां रोज जीने के लिए खुद से समझौता करना पड़ता था यह दर्दनाक खबरें धीरे-धीरे फिल्मी गलियारों में फैलने लगी वही इंडस्ट्री जिसने कभी तालियों से उनका स्वागत किया था अब फुसफुसाहटों और तिरछी निगाहों से उन्हें देख रही थी कहां सलीम का रुतबा हर उड़ती अफवाह हर पीठ पीछे की गई बात विमी के बचे खुचे आत्मसम्मान को टुकड़ों में तोड़ती चली गई और जो थोड़ी बहुत उम्मीद थी कि शायद करियर की कोई आखिरी किरण लौट आए वो भी अब अंधेरे में खो गई थी वो लड़की जिसकी मुस्कान एक जमाने में करोड़ों दिलों को धड़कने पर मजबूर कर देती थी अब गुमनाम गलियों की धूल भरी हवाओं में खोती जा रही थी ।
कभी जिस नाम पर फिल्मी पोस्टर बिकते थे थिएटर्स में भीड़ उमड़ती थी आज उसी किसी नाम को लोग भूल चुके थे अब ना कोई पोस्टर था ना कोई अखबार की सुर्खी ना ही कोई रेड कारपेट का न्योता विमी एक वक्त बॉलीवुड की रानी थी और अब एक ऐसी परछाई बन गई थी जिसे ना शहर पहचानता था ना लोग भीड़ में चलते हुए भी वह अकेली थी एक भूली हुई दास्तान की जीती जागती याद उनकी अधूरी कहानी आज भी एक मौन चेतावनी है कि इंसानी गरिमा सबसे अनमोल चीज होती है उसे कभी मत खोने देना अगर उस दौर में कोई होता जो विमी का हाथ थाम लेता अगर भीड़ में से कोई एक भी इंसान आगे बढ़कर उनके कंधे पर दोस्ती का हाथ रख देता अगर कोई होता जो कहता मैं तेरे साथ हूं तो शायद विमी की कहानी कुछ और होती शायद उनका अंत इतना तन्हा इतना दर्द भरा ना होता एक मुस्कान एक सहारा एक भरोसे भरी आवाज शायद यह छोटी-छोटी चीजें एक बिखरते हुए सपने को बचा सकती थी लेकिन अफसोस जब जरूरत थी तब सब ने नजरें फेर ली और यह सवाल आज भी हवा में तैरता रहता है एक अनसुलझी खामोशी की तरह कि अगर उस वक्त किसी ने साथ दिया होता तो क्या विमी आज एक दर्दनाक याद बनकर नहीं एक जिंदा कहानी बनकर हमारे बीच होती आज जब हम विमी की तस्वीर देखते हैं उन मासूम आंखों में छुपी उम्मीदों को उस मुस्कुराते चेहरे के पीछे छुपे दर्द को तो दिल से सिर्फ एक ही बात निकलती है माफ करना विमी हम तुम्हें बचा नहीं सके देवी अब क्या हाल है।
लेकिन आज सालों बाद भी तुम्हारी कहानी हमारे दिलों में जिंदा है और हम वादा करते हैं तुम्हारी इस अधूरी दास्तान को कभी धुंधला नहीं होने देंगे तुम्हारे सपनों तुम्हारी जद्दोजहद और तुम्हारी खामोश लड़ाई को हमेशा याद रखा जाएगा ताकि कोई और विमी फिर से इस तरह खो ना जाए प्यार हुआ आप खफा हो बैठे।