22 अप्रैल की उन तमाम कहानियों में से एक कहानी यह भी है जो उस महिला की आबीती है जिसके एक तरफ खून से लथपत उसके पिता का शव पड़ा था तो दूसरी तरफ उसके दो बच्चे उसे वहां से भागने के लिए कह रहे थे बच्चों के रोने की आवाज ने दिल मजबूत किया उसने पिता के शव को वहीं छोड़ दिया और बच्चों को लेकर वहां से भाग गई 22 अप्रैल को पहलगांवह में हुए आतंकवादी हमले में कोची के रहने वाले एन रामचंद्रन की भी निधन हो गई 65 साल के रामचंद्रन अपनी पत्नी शीला बेटी आरती और जुड़वा पोतों के साथ कश्मीर घूमने आए थे इंडिया टुडे से जुड़ी शिवम मोल की रिपोर्ट के मुताबिक रामचंद्रन पहले क़तर में काम करते थे.
2 साल पहले ही वापस भारत लौटे थे उनकी बेटी आरती दुबई में रहती है वह भी कश्मीर घूमने के लिए अपने जुड़वा बच्चों के साथ भारत आई थी आरती बताती हैं कि 22 तारीख को वह अपने पिता और बच्चों के साथ मैदान में थी जबकि उनकी मां हादसे वाली जगह से कुछ मीटर दूर एक कार में बैठी थी हादसे वाले दिन को याद करते हुए आरती बताती हैं हम तस्वीरें ले रहे थे अचानक से की आवाज आई हम समझ ही नहीं पाए कि यह असली की आवाज है हमने फिर से l की आवाज सुनी तो हम लोग मैदान पर लेट गए जैसा फिल्मों में दिखाते हैं मुझे एहसास हुआ कि वो लोग हमारे नजदीक आ रहे हैं हम फिर पास में बने एक टॉयलेट के पास चले गए करीब 5 मिनट तक वहीं खड़े रहे मैं फोन लगाने की कोशिश कर रही थी लेकिन नेटवर्क नहीं था हम भागने की कोशिश कर रहे थे तभी एक बदमाश हमारे पास आया और एक व्यक्ति को दी।
आरती बताती हैं कि फिर धीरे-धीरे गोलियों की आवाज तेज होती चली गई और लोग एक-एक करके गिरने लगे आरती ने बताया जब बदमाश हमारे पास आया उसने मुझसे कुछ नहीं पूछा उसने मेरे पिता से कलमा पढ़ने को कहा हमने माफी मांगकर कहा कि हमें यह नहीं आता मेरे पिता ने शांति से पूछा कि वो क्या है यह बातचीत मुश्किल से 5 से 10 सेकंड चली होगी फिर उसने मुझसे कलमा पूछा उसने मेरी तरफ देखा और पिता पर चला दी इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आरती ने बताया कि जब मैं अपने पिता के बगल में बैठी रो रही थी मुझे मेरे बच्चों की आवाज सुनाई दी वो चिल्ला रहे थे मुझसे भागने के लिए कह रहे थे यह मेरे लिए वेकअप कॉल था मैंने देखा कि मेरे पिता की निधन हो चुकी है मैं उन्हें नहीं बचा पाई फिर मेरे अंदर की मां जागी मैं अपने बच्चों के साथ जंगल की तरफ भाग गई इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आरती ने अपने पिता की निधन की खबर कई घंटों तक अपनी मां से छिपा कर रखी उन्होंने अपनी मां को बताया कि पिता को जरूर लगी है लेकिन वह जिंदा हैं।
आरती बताती है कि स्थानीय लोगों ने उनकी काफी ज्यादा मदद की वो कहती हैं स्थानीय लोग बहुत मददगार थे मैं सभी कश्मीरी लोगों सेना सीआरपीएफ और लोकल पुलिस की आभारी हूं मुझे ऐसा नहीं लगा कि मैं वहां अकेली हूं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 22 अप्रैल को एन रामचंद्रन की तरह हादसे में 26 लोगोने जान गवाई जान गवाने वाला हर व्यक्ति अपने परिवार के साथ वहां घूमने आया था लेकिन अब उन 26 परिवारों की जिंदगी बदल चुकी है किसी पत्नी ने अपने सामने पति को देखा तो किसी बच्चे ने अपने पिता को सामने दम तोड़ते देखा है।