अजमेर शरीफ दरगाह विवाद: जब एक फकीर की बात सुन चौंक उठे शाहरुख खान..

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को बनवाया था मुगल बादशाह हुमायूं ने मगर दरगाह का ज्यादा नाम हुआ बादशाह अकबर के दौर में अकबर की दरगाह में गहरी आस्था थी क्यों था ऐसा इसकी कहानी मशहूर है आज हम आपको वह कहानी और उस पर बनी एक मशहूर फिल्म से जुड़ी कहानी भी बताएंगे और साथ ही बताएंगे कि शाहरुख खान जब बॉलीवुड के बादशाह बनने से पहले अजमेर की दरगाह गए थे तो उनके साथ क्या हुआ नमस्कार एनडी टीवी पर आप देख रहे हैं अपूर्व एक्सप्लेनर मैं हूं अपूर्व कृष्ण ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के बारे में बादशाह अकबर ने पहली बार तब सुना जब वह आगरा के पास शिकार करने गए थे रात का समय था कुछ लोगों ने बताया कि पास ही अजमेर में ख्वाजा जी की दरगाह है जिसमें लोगों की बड़ी श्रद्धा है.

अकबर ने कहा कि दरगाह जाना है सबने रोका कि अचानक वहां जाने में खतरा हो सकता है मगर अकबर नहीं माने यह 20 जनवरी 1562 की बात है यानी आज से 450 साल से भी पहले की बात अकबर दरगाह गए उन्हें वहां जाकर अच्छा लगा फिर बादशाह आगरा लौट आए राजकाज में लग गए साम्राज्य बड़ा हो रहा था किसी चीज की कोई कमी नहीं थी लेकिन सब कुछ होने के बाद भी वोह दुखी रहते थे क्योंकि उनका कोई बेटा नहीं था उन्होंने मन में मांगा कि अगर उन्हें बेटा हुआ तो पैदल चलकर दरगाह जाएंगे और फिर 1569 की 30 अगस्त को सलीम का जन्म हुआ.

जो बाद में बादशाह जहांगीर कहलाए और सलीम के जन्म के चार महीने बाद बादशाह अकबर मन्नत पूरी करने अजमेर गए 20 जनवरी 1570 को आगरा से निकले यानी आज से ठीक लगभग 45 साल प आगरा से दरगाह तक 370 किलोमीटर का रास्ता था लाव लश्कर सब साथ था हाथी घोड़े थे लेकिन बादशाह पैदल चल रहे थे नंगे पाव बादशाह अकबर के पैदल अजमेर दरगाह जाने का यह दृश्य 1960 की मशहूर फिल्म मुगले आजम का पहला सीन पृथ्वीराज कपूर अकबर बने थे इस सीन के बारे में बाद में उनके बेटे शम्मी कपूर ने एक इंटरव्यू में बताया था.

कि उनके पिता ने जब अकबर की य भूमिका की थी तो वह कुदार में इतने डूब गए थे कि जिस दिन यह सीन फिल्माया गया उस दिन काफी गर्मी थी रेगिस्तान में शूटिंग हो रही थी और पृथ्वीराज कपूर गर्म रेत पर रेत पर नंगे पांव चले और इसकी वजह से उनके पैरों में फफोले पड़े के आसिफ के निर्देशन में बनी मुगले आजम को अगर क्लासिक फिल्म कहा जाता है तो उसके पीछे कोई तो वजह रही हो फिल्म में लड़ाई के सीन भी थे वह भी राजस्थान में भीषण गर्मी के बीच फिल्माए गए और पृथ्वीराज कपूर ने उसमें लोहे का असली कवच पहना था.

उतनी गर्मी के बीच तो यह थी कहानी मुगले आजम की और बादशाह अकबर के बाद अब बात करते हैं शाहरुख खान की जिन्हें बॉलीवुड का बादशाह कहा जाता है मगर ये कहानी उनके बॉलीवुड पहुंचने से पहले की साल था 1990 शाहरुख खान दिल्ली में रहते थे घर था उनका वह अजमेर की दरगाह गए मां फातिमा और बहन शहनाज के साथ उनके पिता का 9 साल पहले निधन हो चुका था मां बहुत बीमार थी शाहरुख पर बड़ी जिम्मेदारी थी 25 साल की उम्र थी तब उनकी मुश्किल समय था टीवी सीरियल में काम करते थे लेकिन पैसे बहुत नहीं आते थे.

एक एपिसोड का तब 8000 मिलता था तो शाहरुख बीमार मां और बहन के साथ अजमेर शरीफ की दरगाह गए दूसरे श्रद्धालुओं की तरह सिर पर फूलमाला का टोकरा लिया चादर चढ़ाई वहां जाकर पूजा की और जब पूजा पूरी हुई तब शाहरुख को पता चला कि मां ने जो 000 रखने के लिए दिए थे उन्हें चादर ले जाते समय वो गायब है शाहरुख घबरा इधर उधर खोजने लगे बड़ी रकम थी वो 5000 उस परिवार के लिए शाहरुख परेशान थे एक फकीर पास में बैठा था उसने देखा रोका और पूछा कुछ गुम गया है.

क्या शाहरुख ने कहा जी फकीर ने कहा 5000 गुम हो गए हैं क्या शाहरुख यह सुनकर उसका चेहरा देखने लगी इससे कैसे पता चला कि मेरा मेरे पास इतने रुपए थे और वही मैं खोज रहा हूं फकीर ने इसके बाद कहा जा यहां आया है दर से खाली हाथ नहीं जाएगा 5000 गवाया है 500 करोड़ कमाए और इसके एक साल बाद शाहरुख खान को पहली फिल्म मिलती है.

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