जिस तरह स्वग कोकिला के बारे में पूरी दुनिया जानती है ठीक इसी तरह छट कोकिला का नाम भी देश के कोने-कोने में चर्चित है वह सिंगर जिन्होंने अपनी मीठी आवाज से छट के गाने सभी भाषा के लोगों की जुबान पर चढ़ा दिए जी हां हम बात कर रहे हैं शारदा सिन्हा की जिन्होंने अपने करियर में एक से एक हिट गाने दिए देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजी गई तो ढेरों फैंस को भी लोक गायिका के लिए प्रेरित किया.
लेकिन क्या आप जानते हैं बिहार की बेटी शारदा सिन्हा ने कैसे छट कोकिला बन गई आखिर क्यों उनकी सास को नहीं पसंद था उनका गाना बजाना दरअसल शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपो के हुलास में हुआ उनका ससुराल बेगूसराय में है शारदा सिन्हा गायिका के साथ-साथ प्रोफेसर भी रही हैं उन्होंने बीएड की पढ़ाई की और फिर वह म्यूजिक में पीएचडी करके समस्तीपुर के कॉलेज में प्रोफेसर बन गई वह हमेशा से ही सिंगिंग में काफी रूचि रखती थी.
और इसलिए उन्होंने इसे ही अप ना करियर के तौर पर चुना सिंगर के तौर पर फेमस होने के बाद भी वह अपनी नौकरी भी करती रही और कॉलेज से रिटायर भी हुई जब आठ भाइयों के इकलौती बहन शारदा सिन्हा शादी करके ससुराल आई तो बड़ी बहू होने के नाते सास ने उन्हें छट के एक-एक रीति रिवाज और नियम कायदे सिखाए इसी तरह वह छट को बारीकी से समझने लगी और खुद भी इन रिवाजों को निभाने लगी इसी के साथ इन गानों में भी वह निपुण होती गई.
जब सास शारदा सिन्हा के गाने से नाराज हो गई थी तो पति ने सपोर्ट किया और पूरे पर परिवार वालों को पत्नी के लिए मनाया शारदा सिन्हा की सास का कहना था कि घर में भजन गाने तक तो ठीक है लेकिन ऐसे बाहर गाना बजाना ठीक नहीं है ससुराल में कभी भी कोई बहू घर से बाहर इस तरह नहीं गाती थी मगर इस वक्त पति के साथ-साथ शारदा सिन्हा के ससुर ने भी उन्हें सपोर्ट किया क्योंकि उन्हें बहू की मीठी आवाज में भजन कीर्तन सुनना बेहद पसंद था.
आगे चलकर उन्होंने बहू को बाहर गाने की इजाजत दे दी फिर क्या उन्होंने भोजपुरी मैथिली मगही से लेकर हिंदी में खूब गाने गाए पहला मौका था जब इस तरह शादी और त्यौहारों के गाने मार्केट में खूब धूम मचा रहे थे इसके अलावा आपको बता दें कि शारदा सिनहा के योगदान को देखते हुए.
उन्हें साल 1991 में पद्मश्री 2000 में संगीत नाटक अकेडमी पुरस्कार 2006 में राष्ट्रीय अहिल देवी अवार्ड 2015 में बिहार सरकार पुरस्कार और 2018 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया खुद काई इंटरव्यू में शारदा सिन्हा ने इस बारे में बात की है कि उन्हें 53 साल के करियर में कई बार हर बड़ी राजनी पार्टी से ऑफर आए हैं लेकिन उन्होंने संगीत के रास्ते से खुद को नहीं भटका और हमेशा पॉलिटिक्स में आने के ऑफर को ठुकरा दिया.